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इंदौर :सड़क सुरक्षा समिति दे चुकी सर्टिफिकेट- वरदान नहीं, अभिशाप है बायपास

राऊ से मांगलिया तक 16 किलोमीटर के बायपास का मकसद शहर के भारी ट्रैफिक से वाहन चालकों को बचाना और सुगम सफर मुहैया कराना था। लेकिन यही बायपास वाहन चालकों के लिए अब वरदान की जगह अभिशाप बन गया है। जिला सड़क सुरक्षा समिति भी मान चुकी है कि बायपास पर न तो सफर सुरक्षित है और न ही सुगम। बायपास की पहचान अब रोड किनारे सब्जी की दुकानों, कपड़े की दुकानों, पार्किंग, गैराज और टूटे डिवाइडर से अचानक घुसते वाहनों से होने लगी है।


1. नायता और पत्थर मुंडला : फ्लायओवर के दोनों ओर 50 से ज्यादा गैराज, पार्किंग
आरटीओ ऑफिस के रास्ते पर बने फ्लायओवर (नायता मुंडला और पत्थर मुंडला) के दोनों ओर 50 से ज्यादा गैराज हैं, जहां ज्यादातर ट्रक और अन्य वाहन सुधारे जाते हैं। यहां बायपास के मुख्य हिस्से पर ट्रकों की कतार लगती है और मैकेनिक उन्हें सड़क पर ही सुधारते दिखते हैं। सर्विस रोड तो पूरी तरह गैराज के हवाले हो गई है।


यहां रॉन्ग साइड आते ट्रक दुर्घटना के अंदेशे को कई गुना बढ़ा देते हैं। ट्रकों के बीच से मुख्य सड़क पर अचानक आने वाले दोपहिया भी खतरनाक साबित होते हैं। सर्विस रोड पर पंक्चर की दुकान चलाने वाले रईस अंसारी कहते हैं यहां अकसर जाम लग जाता है। सबसे ज्यादा परेशानी सर्विस रोड से गुजरने वालों को होती है। कई लोग मजबूरी में बायपास पर चलने को मजबूर हो जाते हैं, क्योंकि सर्विस रोड पर इतने ट्रक जमा हो जाते हैं कि दोपहिया निकालना भी मुश्किल हो जाता है।


2. कनाड़िया जंक्शन, बेस्ट प्राइस : सर्विस रोड पर दोनों ओर से आती-जाती हैं गाड़ियां
कनाड़िया जंक्शन और बेस्ट प्राइस के पास से शहर में आने और बाहर जाने वाले वाहनों का दबाव सबसे ज्यादा होता है। दोनों तरफ के वाहनों को एक ही तरफ की सर्विस रोड का उपयोग करना पड़ता है। बायपास से रोज गुजरने वाले आदित्य शर्मा कहते हैं कई जगह सर्विस रोड नहीं है, इसलिए गाड़ियां बायपास पर रॉन्ग साइड आती हैं। डिवाइडर भी टूटे हैं।

3. राऊ से आगे : लोगों ने अपने हिसाब से कई स्थानों पर तोड़ दिए हैं डिवाइडर
सड़क पार करने के लिए टूटे डिवाइडर पूरे बायपास पर हैं। राऊ से आगे पलाश परिसर के सामने आधे किलोमीटर में दो जगह लोगों ने डिवाइडर तोड़े हैं। बायपास के पार स्कूल बसें, फैक्टरी जाने वाले वाहन सहित कॉलोनी के रहवासी भी इन्हीं टूटे डिवाइडरों से निकल जाते हैं।


होटल संचालक नंदू खोवारे ने बताया एक महीने में तीन बड़ी दुर्घटनाएं इन्हीं टूटे डिवाइडरों के कारण हो चुकी हैं। सिलिकॉन सिटी से आने वाली गाड़ियां भी रॉन्ग साइड आकर पलाश परिसर के सामने बने कट से ही सड़क पार करती हैं। इससे भी दुर्घटनाएं बढ़ी हैं।


ऐसी ही स्थिति रालामंडल की ओर जाने वाले जंक्शन पर भी है। दुकान संचालक अनिल सिसौदिया कहते हैं पार्किंग में जाने के लिए ट्रक चालक अकसर रॉन्ग साइड आते हैं। दूसरे राज्यों से आने वाले वाहन तेजी से निकलते हैं, क्योंकि उन्हें पता नहीं होता कि बीच में कट बने हैं। और ऐसे में ही दुर्घटना होती है।


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