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मध्य प्रदेश में 3,422 असिस्टेंट प्रोफेसर पद की भर्ती निकाली गई थी जिसमें से 2791 भर्तियां की गई हैं


प्रतीकात्मक तस्वीर

भोपाल. मध्य प्रदेश में 3,422 से ज्यादा पदों पर एमपीपीएससी (MPPSC) ने असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती (Appointment of Assistant Professor) निकाली थी जिसमें से 2791 पदों पर भर्तियां की गई हैं. 91 महिला उम्मीदवारों ने टॉप किया था और ये सभी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी श्रेणी से थीं. एमपीपीएससी के अधिकारियों ने अनारक्षित वर्ग की महिलाओं को आरक्षित वर्ग में शामिल कर दिया. महिलाओं की मेरिट लिस्ट को शून्य घोषित कर इन महिलाओं की जगह पर दूसरी महिलाओं को शामिल कर लिया है. महिलाएं आरक्षित कैटेगरी में ही नियुक्ति को लेकर हाई कोर्ट के निर्णय के बाद भी निर्देश का इंतजार कर रही है.
27 साल बाद हुुई थी असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती
एमपीपीएससी ने वर्ष 2017 में असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा का विज्ञापन निकाला था. वर्ष 2018 में असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती परीक्षा आयोजित की गई थी. मध्य प्रदेश में 27 साल के लंबे इंतजार के बाद एमपीपीएससी की असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा आयोजित की गई थी. इनमें 91 महिलाएं टॉपर लिस्ट में शामिल थी लेकिन दो बार चॉइस फिलिंग होने के बाद भी बीते 6 महीने से ये अपनी नियुक्ति का इंतजार ही कर रही है.


क्या है पूरा मामला
एमपीपीएससी परीक्षा में महिलाओं को मेरिट में आने पर अनारक्षित महिला सीट पर चयनित किया गया. 18 सितंबर 2019 को हाईकोर्ट ने उच्च शिक्षा विभाग और एमपी-पीएससी को लिबर्टी देते हुए इन महिलाओं को तत्काल प्रभाव से नियुक्ति देने के आदेश दिए. उच्च शिक्षा विभाग ने सभी अभ्यर्थियों को चॉइस फिलिंग भी कराई. उसके बाद इन टॉपर महिलाओं को यह कहकर रोक दिया गया कि इन पर स्पेसिफिक स्टे है. महिलाओं ने फिर हाईकोर्ट की शरण ली.
हाईकोर्ट ने भी पिछले साल दिए थे ये निर्देश
हाईकोर्ट ने 18 अक्टूबर 2019 को अंतरिम राहत देते हुए ये निर्देश दिए कि ये सभी योग्य महिला अभ्यर्थी हैं और विभाग द्वारा इनकी नियुक्ति की प्रक्रिया जल्द से जल्द शुरू की जाए. इस निर्देश के बाद विभाग ने दोबारा इनकी चॉइस फिलिंग करवाई. विभाग ने दिसंबर 2019 में इन 91 योग्य महिला अभ्यर्थियों को छोड़कर सभी चयनितों को नियुक्ति दे दी. जबलपुर हाईकोर्ट ने 20 दिन पहले ही अंतिम फैसला सुनाया जिसमें चयन सूची को संशोधित कर जल्द नियुक्ति देने के आदेश दिए है. हाईकोर्ट ने कहा कि इन 91 मेरिट होल्डर को रोकना गलत था और इन सभी को और कष्ट से न गुजरना पड़े और जल्द से जल्द इन सभी को नियुक्तियां दी जाए.
सीएम को भेजा ऑनलाइन ज्ञापन
मेरिट लिस्ट में शामिल महिलाए 6 महीने से भटक रही है. जून 2018 में बाकी परीक्षार्थियों चॉइस फिलिंग की गई थी. सितंबर 2019 में सभी उम्मीदवारों को जॉइनिंग भी मिल गयी. 91 टॉपर महिलाओ ने सीएम शिवराज को ऑनलाइन ज्ञापन भेजा है जिसमे जल्द से जल्द जॉइनिंग कराने की गुहार लगाई है.


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