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भोजन की समस्या न हो. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 66 लाख विद्यार्थियों के खातों में 146 करोड़ की राशि जमा कराई है


मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान (File Photo)

भोपाल. कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन में स्कूल कॉलेज और शैक्षणिक संस्थाएं बंद कर दिए गए हैं. स्कूलों में छात्र-छात्राओं को मिलने वाले मिड डे मील  की जगह सीएम शिवराज सिंह चौहान खाद्य सुरक्षा भत्ता छात्रों के खातों में पहुंचा रहे हैं, ताकि कोरोना संकट काल (Corona Crises) में उनको भोजन की समस्या न हो. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 66 लाख विद्यार्थियों के खातों में 146 करोड़ की राशि जमा कराई है. पहली बार छुट्टियों में भी छात्रों को खाद्य सुरक्षा भत्ते के रूप में मध्यान भोजन की व्यवस्था कराई जा रही है.
यह पहला मौका है, जब मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने छुट्टियों में भी छात्र छात्राओं की भोजन की व्यवस्था की है. मई और जून महीने के 37 दिनों की 145.92 करोड़ की राशि 66.27 लाख विद्यार्थियों के खातों में जमा कराई गई है. इससे पहले मार्च और अप्रैल के महीने में 33 दिन की राशि 117.11 करोड़ रुपए जमा कराए जा चुके हैं. मिड डे मील तैयार करने वाले रसोइयों को भी दो किस्तों में 84 करोड़ की राशि खातों में पहुंचाई गयी है.
प्रदेश के 1.13 लाख स्कूलों में दिया जाता है मिड डे मील
प्रदेश भर के 1.13 लाख शासकीय प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय, अनुदान प्राप्त शालाओं, मदरसों, बाल श्रम परियोजना के स्कूलों के बच्चों को मध्‍याह्न भोजन यानी स्कूलों में दोपहर में पका हुआ भोजन दिया जाता था. कोरोना वायरस के समय स्कूलों में मिड डे मील का वितरण कराना संभव नहीं था, क्योंकि लॉकडाउन के चलते स्कूल पूरी तरह से बंद हैं. ऐसे में बच्चों के सामने भोजन का संकट न हो, इसलिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बच्चों को खाद्य सुरक्षा भत्ता मध्यान भोजन की जगह देने का फैसला किया है. इसी के साथ ही 29 मार्च को बच्चों को खाद्य सुरक्षा भत्ते की पहली किस्त 117.8 करोड़ रुपए छात्रों के खातों में जमा कराई गई. दूसरी किस्त यानी 33 दिन की राशि 145.92 करोड़ की राशि प्रदेश भर के छात्र-छात्राओं के खातों में पहुंचाई गई है.
बच्चों के घरों तक भी पहुंचाए जा रहा राशन


प्रदेश भर में प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में पढ़ाई करने वाले 66.27 लाख बच्चों को 26109.79 मीट्रिक टन गेहूं और चावल स्व-सहायता समूहो,रसोइयों और स्वैच्छिक संगठनों के माध्यम से घर-घर पहुंचाया जाएगा. दूसरे चरण में 29479.65 मीट्रिक टन गेहूं और चावल का वितरण बच्चों के घर घर किया जाएगा. प्रदेश भर में हर स्टूडेंट के घर पर गेहूं और चावल पहुंचाने की जिम्मेदारी स्वास्थ सहायता समूह रसोई और स्वैच्छिक संगठनों की होगी. अभी तक शिक्षक गेंहू और चावल यानी अनाज के वितरण का काम संभाल रहे हैं.
छात्रों को अनाज वितरण 
सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले प्राइमरी और मिडिल कक्षाओं के छात्रों को मिड डे मील के लिए स्कूलों से अनाज का वितरण किया जा रहा है. अनाज बाजार में अब तक शिक्षकों की ही ड्यूटी लगाई गई है. छात्र-छात्राओं के घर अनाज पहुंचाने की जिम्मेदारी शिक्षक की ही है. सरकारी स्कूलों के शिक्षक छात्रों को घर-घर जाकर गेहूं और चावल पहुंचा रहे हैं. बच्चों को 3 किलो 600 ग्राम गेहूं और 4 किलो 300 ग्राम चावल बांट रहे है. शिक्षकों की ड्यूटी संकुल के हिसाब से लगाई गई है.


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