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सरकारें और पुलिस अपनी ओर से चाहे जितनी कोशिशें करें लेकिन अपराधियों के हौसले पस्त नहीं हो रहे हैं. NCRB के आंकड़े तो यही कह रहे हैं.


सरकारें और पुलिस अपनी ओर से चाहे जितनी कोशिशें करें लेकिन अपराधियों के हौसले पस्त नहीं हो रहे हैं. NCRB के आंकड़े तो यही कह रहे हैं. एनसीआरबी यानि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो ने 2018 में हुए अपराधों का आंकडा जारी किया. इसके मुताबिक 2018 में 504634 अपराध हुए. 2017 में 5007044 अपराध हुए थे. इस नए आंकडे के मुताबिक 2017 की तुलना में 2018 में अपराध में 1.3 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई. 2017 में अपराध प्रति लाख जनसंख्या पर 388.6 था वहीं 2018 में घट कर प्रति लाख जनसंख्या पर 383.5 हो गया.


एनसीआरबी ने कहा- 5074634 अपराध साल 2018 में दर्ज किए गए जिनमें से 3132954 आईपीसी के तहत दर्ज किए गए जबकि 1941680 स्पेशल और लोकल लॉ के तहत रजिस्टर किए गए. 2017 की अपेक्षा इसमें 1.3 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है लेकिन जनसंख्या घनत्व के हिसाब से इसमें कमी आई है.


2018 में कत्ल के 29017 मामले दर्ज किए गए जबकि 2017 में कत्ल की संख्या 28653 थी. यानि इसमें 1.3 फीसद की बढ़त देखी गई. इन आंकडों के मुताबिक व्यक्तिगत दुश्मनी हत्याओं का सबसे बड़ा कारण बनी. इसके अलावा 2018 में किडनैपिंग के 105734 केस दर्ज किए गए जो 2017 में दर्ज हुए 95893 केस से 10.3 फीसदी ज्यादा हैं.


आपको बता दें कि 105536 अपहरणों के मामलों में से 80871 मामले लड़कियों के अपहरण के थे. इनमें से भी 48106 मामले बच्चियों के अपहरण के थे. गौरतलब है कि महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में 31.9 प्रतिशत अपराधों में पति और उसके परिवार के लोग शामिल थे. 22.5 प्रतिशत अपराध अपहरण के थे और 10.3 फीसदी बलात्कार के मामले थे.


2018 में क्राइम रेट प्रति लाख महिलाओं पर 58.8 था जबकि 2017 में 57.9 था. यानि महिलाओं पर होने वाले अपराधों की संख्या में भी इजाफा हुआ है.


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