इंदौर। लोकायुक्त पुलिस ने नगर निगम के बेलदार और उसके भाइयों के निवास पर मंगलवार को छापामार कार्रवाई कर करीब एक करोड़ रुपए की अनुपातहीन संपत्ति का खुलासा किया है। डीएसपी ने जब उससे पूछा कि इतना पैसा कैसे बना लिया तो उसने कहा कि मैं तो गरीब हूं। आज शाम का चूल्हा कैसे जलेगा, इसका भी पता नहीं है। लोकायुक्त एसपी सव्यसाची सराफ के मुताबिक शिकायत मिली थी कि नगर निगम के बेलदार रियाज अंसारी ने बड़ी मात्रा में अनुपातहीन संपत्ति एकत्रित कर ली है। इस पर मंगलवार सुबह डीएसपी प्रवीणसिंह बघेल और टीम ने उसके घर छापा मारा। बघेल ने बताया कि टीम सुबह साढ़े पांच बजे स्नेहलतागंज स्थित देवछाया अपार्टमेंट पहुंची। यहां दरवाजा अंसारी ने खोला। इसी समय टीम ने नीचे के फ्लोर पर रहने वाले उसके भाई और मां के फ्लैट पर भी दबिश दी। उसके यहां से 50 हजार रुपए नकद, करीब पांच लाख के सोने-चांदी के जेवर आदि मिले।
जेल रोड स्थित एक दुकान कुछ समय पूर्व बेचने की बात भी सामने आई है, जबकि परिवार के लिए एक नया मकान बनाने की जानकारी भी मिली है। इसके अलावा कुछ समय पहले ही उसने अपनी स्कार्पियो कार बेच कर डस्टर कार खरीदी थी। 20 दिसंबर को ही निगमायुक्त ने उसे बर्खास्त कर दिया था।
22 लाख रुपए होता है अब तक का वेतन
बघेल ने बताया कि 2003 में पिता की मौत के बाद रियाज को अनुकंपा नियुक्ति मिली थी। उसका अब तक का वेतन ही करीब 22 लाख रुपए होता है। इसकी तुलना में कई गुना संपत्ति उसके यहां से मिली है।
बिल्डिंग में तीन फ्लैट
अधिकारियों ने बताया कि बिल्डिंग के तीन फ्लैट में उसका परिवार रहता है। उसका एक भाई ऑटो चालक है। दूसरा निगम में, जबकि तीसरा बेरोजगार है। एक फ्लैट में उसकी मां और बहन रहती हैं।
यह मिला बेलदार के घर से
- स्नेहलतागंज में दो फ्लैट, एक पेंट हाउस
- पाकीजा लाइफ स्टाइल में एक निर्माणाधीन मकान
- खजराना में बहन के नाम पर मकान
50 हजार रुपए नकद
- डस्टर कार और दो पहिया वाहन
- बीमा पॉलिसी और बैंक खाते
- 90 ग्राम सोने के जेवर
- 573 ग्राम चांदी के जेवर
संपति कर वसूलता था बेलदार
लोकायुक्त के शिकंजे में आया बेलदार रियाज अंसारी पार्षदों और अधिकारियों का खास था। इसी कारण विजय नगर जोन पर रहते हुए रियाज को संपत्ति कर वसूलने की जिम्मेदारी दे रखी थी। सूत्रों के मुताबिक उसके पास हमेशा संपत्ति कर वसूली के लिए रसीद कट्टा रहता था। लोगों पर रौब झाड़ने के लिए उसने अपना विजिटिंग कार्ड भी छपवा रखा था, जबकि नियमानुसार दरोगा स्तर के कर्मचारी को कार्ड रखने की पात्रता नहीं है। निगम सूत्रों के मुताबिक 2015 में विजय नगर जोन में 51 करोड़ का घोटाला सामने आया था। तब रियाज लोगों से नकद संपति कर वसूलता था, लेकिन पैसा समय पर जमा नहीं करता था। बाद में फर्जी चेक लगाकर बाउंस करवा देता था। इससे निगम को राजस्व का नुकसान होता था। मामले की जांच अधिकारियों ने दबा रखी है। शिकायतों के बावजूद नेताओं और अधिकारियों ने रियाज पर मेहरबानी बनाए रखी थी। 2017 में रियाज को कुछ महीने के लिए असिस्टेंट रेवेन्यू ऑफिसर (एआरओ) बनाया गया था।
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