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ठोठिया मेले में पान खिलाते ही एक दूजे के हो जाते हैं युवक-युवती


 मध्य प्रदेश के हरदा जिले के खिरकिया जनपद पंचायत के आदिवासी अंचल मोरगढ़ी में हर साल दीपावली के बाद ठोठिया बाजार भरता है। यह बाजार आज (दीपावली के बाद पहला रविवार) भरेगा। वर्षों से जारी परंपरा के अनुसार, इस बाजार में आदिवासी समुदाय के युवक-युवती पसंदीदा साथी से प्रेम का इजहार करेंगे और पान खिलाकर एक-दूजे के हो जाएंगे। पान खिलाना शादी की रस्म मानी जाती है। परंपरानुसार, इस बाजार में आने वाले युवक-युवती पसंदीदा साथी से प्रेम का इजहार करते हैं और प्रणय निवेदन स्वीकार होने पर साथ चले जाते हैं। बाद में वे शादी कर लेते हैं। गांव के बुजुर्गों को भी नहीं मालूम कि यह परंपरा कब और कैसे शुरू हुई? वे पीढ़ियों से इसे निभाते चले आ रहे हैं। इस बार भी तीन नवंबर को पड़ने वाले पहले रविवार को यहां परंपरा निभाने कोरकू, गौंड जनजाति के युवक-युवती आएंगे।


मंडलियों को कहा जाता है ठोठिया


इस बाजार में आसपास के आदिवासी अंचलों से युवा टोलियों में पारंपरिक वेशभूषा धोती-कुर्ता पहनकर पहुंचते हैं। इन टोलियों को ही यहां ठोठिया कहा जाता है। युवतियां भी लहंगा व चुनरी डालकर बाजार में आती हैं। यह बाजार बीच गांव में भरता है। टोलियां वाद्ययंत्र लेकर भी आती हैं, जिनकी थाप और धुन पर वे बाजार में गाते-बजाते व सामूहिक नृत्य करते हैं।


दोनों पक्ष स्वीकारते हैं शादी


मोरगढ़ी के लोगों ने बताया कि क्षेत्र में साप्ताहिक बाजार दोपहर करीब 12 बजे से भरता है, जो रात आठ बजे तक चलता है। जो युवा एक-दूसरे को पसंद कर लेते हैं, वे एक-दूसरे को पान खिलाते हैं और बाजार से ही साथ चले जाते हैं। लड़का अपने पसंदीदा जीवनसाथी को लेकर एक दिन बाद घर पहुंचता है और फिर लड़की के घर खबर भिजवा दी जाती है कि लड़की को ढूंढना मत, शादी कर ली है। इस शादी पर वर और वधू दोनों पक्ष सहमत होते हैं।


कई गांवों में भरता है यह बाजार


दीपावली के बाद ठोठिया बाजार क्षेत्र में भरता है। आदिवासी जनजातियों की यह परंपरा है। क्षेत्र के पटाजन, रोशनी गांव में भरने वाले बाजारों में भी यह परंपरा है। हालांकि बाजार में लड़कियां कम आती हैं। युवकों की टोलियां ज्यादा होती हंै। परंपरा कब से चली आ रही है, यह गांव में किसी को नहीं मालूम। - सुरेश विश्वकर्मा, सचिव, ग्राम पंचायत मोरगढ़ी


पीढ़ियों से चली आ रही परंपरामैं स्वयं कोरकू जनजाति से हूं। पूर्वजों द्वारा शुरू की गई यह परंपरा हमारे यहां वर्षों से चली आ रही है। गांव में हर साल ठोठिया बाजार भरता है। इसमें युवक-युवती एक-दूसरे को पसंद करते हैं और फिर उनके बीच शादी मान ली जाती है। हर साल करीब आधा दर्जन युवक-युवतियां इस बाजार में शादी करते हैं। - मीराबाई गेंदू, सरपंच, ग्राम पंचायत मोरगढ़ी


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