Header Ads Widget

Responsive Advertisement

गुरुनानक देव की जयंती : होशंगाबाद में 601 साल से जुड़ीं हैं नानकदेव की यादें


होशंगाबाद। सिख पंथ के जनक गुरुनानक देव जी 1418 में होशंगाबाद आए थे। गुरुजी की दिव्यता से प्रभावित होकर यहां के राजा हुशंगशाह ने भी उनसे दीक्षा प्राप्त की थी। गुरुजी के पवित्र आगमन की दो निशानियां यहां अब भी मौजूद हैं। पहली निशानी हुशंगशाह का किला और दूसरी निशानी है स्वर्ण स्याही से हस्त लिखित पवित्र गुरुग्रंथ साहिब। प्रत्येक गुरुनानक देवजी के प्रकाश पर्व 4 नवंबर से 11 नवंबर तक विशेष आयोजन होते हैं। रोजाना लंगर और अरदास में सैकड़ों लोग शामिल होते हैं।


हुशंगशाह के किले के इतिहास में इस बात का भी उल्लेख है कि गुरुनानक देवजी के ज्ञान से प्रभावित होकर यहां के तत्कालीन शासक हुशंगशाह भी उनके शिष्य हो गए थे। गुरुनानक देव 1418 ईस्वी में होशंगाबाद आए थे। उनके आने की खबर राजा हुशंगशाह को लगी। हुशंगशाह गुरुजी से मिले और उनसे राजा, फकीर और मनुष्य का भेद जानने की इच्छा व्यक्त की। गुरुनानक देव ने राजा से कमर में कोपिन कमर कस्सा बांधने को कहा।


राजा ने गुरुनानक देव जी की कमर पर कोपिन बांधा तो उनके आश्चर्य की सीमा नहीं रही। क्योंकि कोपिन में गठान तो बंध गई पर कोपिन में कमर नहीं बंधी। राजा ने तीन बार कोशिश कर गुरुनानक देव की कमर में कोपिन बांधने का प्रयास किया लेकिन वे कोपिन नहीं बांध सके और आश्चर्य व चमत्कार से भरे राजा हुशंगशाह गुरुनानक देव के चरणों में गिर पड़े।


वह बोले मुझे अपना शिष्य स्वीकार कर लीजिए, जिसे अपनी करुणा के कारण गुरुनानक ने स्वीकार कर राजा हुशंगशाह को अपना शिष्य बना लिया। 17 साल बाद 1435 में राजा हुशंगशाह की मृत्यु के बाद उनका पुत्र गजनी खान यहां का उत्तराधिकारी हो गया था।


यहां है हस्तलिखित गुरुग्रंथ साहिब


सिख धर्म के पांच सबसे बड़े तीर्थ स्थान स्वर्ण मंदिर अमृतसर, पटना साहिब बिहार, हुजूर साहेब नांदेड़ महाराष्ट्र, दमदमा साहिब भटिंडा, आनंदपुर साहिब पंजाब हैं। इन सभी स्थानों पर स्वर्ण स्याही से हस्तलिखित गुरुग्रंथ साहिब है। ऐसा ही छठवां स्वर्ण स्याही से हस्तलिखित गुरुग्रंथ साहिब होशंगाबाद में भी है।


प्राप्त जानकारी के अनुसार 1973 में यहां बाढ़ आई थी। तब नर्मदा तट के पास मंगलवारा इलाके में बाढ़ के पानी में एक मकान से निकलकर तैरता हुआ लकड़ी का बॉक्स मिला था। उस बॉक्स के अंदर यह गुरुग्रंथ साहिब मिला था। तब से यहां के सिख परिवार द्वारा गुरुग्रन्थ साहिब को संभालकर रखा गया है। गुरुद्वारे का निर्माण करके नियमित प्रकाश, अरदास की जाती है। देशभर से सिख समुदाय के लोग यहां आते हैं।


गुरुजी की हाजिरी में लिखा है ग्रंथ साहिब


जिस प्रकार सिख पंथ के पांच तख्तों में स्वर्ण स्याही से हस्तलिखित गुरुग्रंथ साहिब है। उसी तरह का गुरुग्रंथ साहिब होशंगाबाद में भी है। यह ग्रंथ गुरुजी की हाजिरी में कीरतपुर में लिखा गया है। यहां हम ग्रंथ साहिब का नियमित प्रकाश-अरदास करते हैं। - हरभजन सिंह ज्ञानी, गुरुद्वारा, होशंगाबाद।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ