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तकनीक के सहारे नजदीक आ रहा न्याय


तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख...अब यह बात कुछ पुरानी सी लगेगी। मध्य प्रदेश की अदालतों में कई नवाचार की वजह से सरकार से जुड़े मुकदमों में फैसले अपेक्षाकृत तेजी से आने लगे हैं। शायद इसीलिए रिकॉर्ड समय में सजा सुनाए जाने की खबरें भी सुर्खियां बन रही हैं। मध्यप्रदेश में लोक अभियोजकों (सरकार की ओर से केस लड़ने वाले वकील) की कार्यदक्षता में जबरदस्त वृद्धि होने का परिणाम यह है कि अब गंभीर अपराध में अपराधियों को पांच दिन में भी अदालत से किए की सजा मिल पा रही है। कुछ अपराधों में तो लोक अभियोजकों ने महज पांच घंटे में ही आरोपितों को सजा दिलाकर रिकॉर्ड बनाया है। इस काम में तकनीक ने भी अहम भूमिका निभाई है। लोक अभियोजकों (पब्लिक प्रोसिक्यूटर) के काम को प्रतिस्पर्धी और पेशेवर बनाने के लिए अपनाए गए नवाचार से यह संभव हुआ है।


इससे न केवल लोक अभियोजकों की कार्यक्षमता बढ़ी बल्कि देश-विदेश में मप्र की छवि भी निखरी है। मप्र के लोक अभियोजन संचालनालय को अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर पर 10 सम्मान भी मिल चुके हैं। दरअसल, न्याय पाने की दिशा में पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती होती है आरोपितों की गिरफ्तारी के बाद उन्हें सजा दिलाना। अभियोजन का काम कोर्ट में पुलिस द्वारा जांच के बाद इकट्ठा किए गए सबूत व गवाह प्रस्तुत कर पीड़ित को न्याय और अपराधी को सजा दिलवाना होता है। मध्य प्रदेश में इस दिशा में जो नया और अत्याधुनिक सिस्टम बनाया है। इससे अपराधियों को सजा दिलाने का आंकड़ा 10 फीसदी तक बढ़ा है


सूचना प्रौद्योगिकी के अत्याधुनिक साधनों के सहारे लोक अभियोजन ने एक 'ऐप' ईप्रोसिक्यूशनएमपी विकसित कर पैरवी करने वाले लोक अभियोजकों के काम की मॉनिटरिंग तो शुरू की ही, उन्हें काम के मुताबिक महत्व दिए जाने की पद्धति भी विकसित की गई। ऐप से काम की निगरानी का परिणाम यह हुआ कि अभियोजन में लगे लोगों का मूल्यांकन होने लगा। ऐप शुरू होने के पहले ही साल (2018) में 21 गंभीर मामलों में अपराधियों को फांसी की सजा दिलवा दी गई तो करीब 300 मामलों में अपराधियों को आजीवन कारावास की सजा दिलाने में भी सफलता मिली। 2019 में 10 लोगों को फांसी की सजा लोक अभियोजक दिलवा चुके हैं।


ऐप में लगातार किए गए सुधार : तत्कालीन लोक अभियोजन महानिदेशक राजेंद्र कुमार ने अभियोजन में लगे अधिकारियों के काम के मूल्यांकन के लिए एक ऐप विकसित करने की दिशा में काम किया और जनवरी 2018 में इसे लॉन्च किया गया। इसमें कुछ कमियां थीं, जिन्हें दूसरे और तीसरे वर्जन के रूप में अपडेट किया गया। अभी ईप्रोसिक्यूशनएमपी एप का तीसरा वर्जन काम कर रहा है। इसमें हर लोक अभियोजन अधिकारी के काम को जोड़ा गया है। हर लोक अभियोजन अधिकारी ने इसे मोबाइल में डाउनलोड किया है। वे रोज अपने काम को उस पर अपलोड करते हैं। कितने मामलों में पैरवी की, कितनी गवाही कराई और किस मामले में कोर्ट का क्या फैसला रहा, तमाम जानकारियां अभियोजन अधिकारी भरते हैं। इससे डाटा तो इकट्ठा हो ही रहा है। एप के माध्यम से हर लोक अभियोजक को प्रत्येक गतिविधि के हिसाब से अलग-अलग अंक मिलते हैं। एप अपने तय सिस्टम के हिसाब से अंक देता हैश्रेष्ठ काम करने वालों को प्रोत्साहन : अभियोजन अधिकारी के काम की निगरानी, देखरेख जिला अभियोजन व उप संचालक द्वारा किया जाता है। ऐप के पाइंट सिस्टम से ग्रेडिंग तय होती है। अंकों के आधार पर अभियोजन अधिकारियों की रैंकिंग की जाती है और ग्रेडिंग को पांच अलग-अलग वर्ग में विभाजित किया जाता है। सबसे ज्यादा अंक पाने वाले 20 प्रतिशत अधिकारियों को डायमंड और फिर 20-20 प्रतिशत अधिकारी अन्य ग्रेड में विभाजित किए जाते हैं। अच्छे अंक पाने वाले लोक अभियोजक को ऊपरी कोर्ट में उम्र व अनुभव की सीमा को शिथिल करते हुए पैरवी का मौका मिलता है


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