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मां सिद्धिदात्री की उपासना से सर्वकार्य होते हैं सुलभ


 शारदीय नवरात्रि प्रतिपदा से शुरू होकर का नौवे दिन भक्ति के चरम पर पहुंच जाती है। इस दिन माता सिद्धिदात्री की आराधना की जाती है। देवी की आराधना में मन लगाकर आठ दिनों तक भक्तिभाव से परिपूर्ण रहने पर भक्त को नौवे दिन सिद्धियों की प्राप्ति होती है। साधक के सभी कार्य सुलभ हो जाते हैं और जीवन सफलताओं से भर जाता है।


नौवें दिन सिद्धिदात्री को मौसमी फल, हलवा, पूरी, काले चने, ऋतुफल और नारियल का भोग लगाएं। नवरात्रि के दिन देवी आराधना के साथ नवरात्रि की उपासना का समापन किया जाता है। माता सिद्धिदात्री की उपासना से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। मां सिद्धिदात्री को कमल का फूल अर्पित करना शुभ माना जाता है। इस दिन साधक को बैंगनी या जामुनी रंग के वस्त्र धारण करना चाहिए। यह अध्यात्म का प्रतीक है। नवरात्रि के समापन पर इस दिन देवी के साथ महादेव, ब्रह्माजी का पूजन कर हवन करें और हवन सामग्री के साथ नौ दिनों कि पूजा सामग्री को किसी बहते हुए जल में विसर्जित कर दें


देवी सिद्धिदात्री स्तुति मंत्र


या देवी सर्वभू‍तेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता


नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।


हे माँ! सर्वत्र विराजमान और माँ सिद्धिदात्री के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ। हे माँ, मुझे अपनी कृपा का पात्र बनाओ


देवी सिद्धिदात्री स्तोत्र


कंचनाभा शखचक्रगदापद्मधरा मुकुटोज्वलो


स्मेरमुखी शिवपत्नी सिध्दिदात्री नमोअस्तुते॥


पटाम्बर परिधानां नानालंकारं भूषिता


नलिस्थितां नलनार्क्षी सिद्धीदात्री नमोअस्तुते॥


परमानंदमयी देवी परब्रह्म परमात्मा।


 


परमशक्ति, परमभक्ति, सिध्दिदात्री नमोअस्तुते॥


विश्वकर्ती, विश्वभती, विश्वहर्ती, विश्वप्रीता।


 


विश्व वार्चिता विश्वातीता सिध्दिदात्री नमोअस्तुते॥


भुक्तिमुक्तिकारिणी भक्तकष्टनिवारिणी।


 


भव सागर तारिणी सिध्दिदात्री नमोअस्तुते॥


धर्मार्थकाम प्रदायिनी महामोह विनाशिनी।


मोक्षदायिनी सिद्धीदायिनी सिध्दिदात्री नमोअस्तुते॥


देवी सिद्धिदात्री कवच


"ओंकारपातु शीर्षो मां ऐं बीजं मां हृदयो।


हीं बीजं सदापातु नभो, गुहो च पादयो ॥


ललाट कर्णो श्रीं बीजपातु क्लीं बीजं मां नेत्र घ्राणो।


कपोल चिबुको हसौ पातु जगत्प्रसूत्यै मां सर्व वदनो॥


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