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मध्य प्रदेश का आईटी हब बना इंदौर, सालाना 350 करोड़ का निर्यात


इंदौर शहर की एक आईटी कंपनी ने अमेरिका की 10 मिलियन डॉलर का कारोबार करने वाली कंपनी का अधिग्रहण कर लिया। बमुश्किल 25 दिन पहले यह खबर इंदौर के कारोबारी जगत में चर्चा का विषय बनी थी। आईटी सेक्टर में इंदौर की ताकत से अपरिचित कई लोगों को इस खबर ने चौंका दिया था। असलियत इससे कई गुना बड़ी है। इस शहर में आईटी कंपनियों के कारोबार का आंकड़ा तीन हजार करोड़ रुपए सालाना तक पहुंच चुका है। शहर में 100 से ज्यादा बड़ी-छोटी आईटी कंपनियां काम कर रही हैं। एकेवीएन (एमपीआईडीसी) से ही बीते साल 350 करोड़ रुपए का आईटी क्षेत्र में निर्यात किया गया है।


बैंगलुरु, हैदराबाद, पुणे के बाद इंदौर को आईटी उद्योग के लिहाज से सबसे ज्यादा संभावनाओं वाला शहर कहा जा रहा है। प्रदेश का पहला और सफल क्रिस्टल आईटी पार्क तो इंदौर में है ही, इस पार्क में 14 कंपनियां काम कर रही हैं जो पूरी तरह सिर्फ अपने उत्पाद और सेवाओं को निर्यात कर रही हैं। सेज के दर्जे वाले क्रिस्टल आईटी पार्क के बाद दूसरा आईटी पार्क अतुल्य भी शुरू हो चुका है। सालभर पहले बने इस दूसरे आईटी पार्क में 27 आईटी या आईटी आधारित कंपनियां काम कर रही हैं। इसी बीच एमपीआईडीसी ने तीसरे आईटी पार्क का ऐलान कर दिया है। दोनों मौजूदा आईटी पार्क के पास ही तीसरा आईटी पार्क भी खड़ा होगा


छह एकड़ जमीन पर बनने वाले तीसरे आईटी पार्क के साथ ही पहली बार प्रदेश के किसी शहर में 'आईटी पार्कों का संकुल' बन जाएगा। आईटी पार्क के बनने से पहले ही शहर ने आईटी सेक्टर में सफलता की ओर कदम बढ़ा दिए थे। इंदौर में पैदा हुई करीब पांच आईटी कंपनियां ऐसी हैं जो अब ग्लोबल ब्रांड बन चुकी हैं। इम्पेट्स से लेकर डीएक्ससी, यश टेक्नोलॉजी, इंफोबींस या डायस्पार्क। टीसीएस और इंफोसिस के आने से पहले ही इंदौर से शुरुआत कर ये कंपनियां ग्लोबल ब्रांड बन चुकी थी। पूरे मप्र की 70 फीसदी आईटी कंपनियां इंदौर में काम कर रही हैं।


हर साल एक हजार रोजगार


 



आईटी सेक्टर के इंदौर में पनपने और फलने-फूलने की भी खास वजह हैं। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज के प्लेसेमेंट ऑफिसर अवनीश व्यास के मुताबिक, इंदौर में छोटी-बड़ी आईटी कंपनियों की तादाद 100 के पार पहुंच चुकी हैं। कई कंपनियां आने वाले दिनों में वैश्विक स्तर पर बड़ा नाम करती नजर आएंगी। मोटे तौर पर देखा जाए तो सीधे इंदौर के कॉलेजों से निकलने वाले एक हजार छात्रों को हर साल आईटी कंपनियों में नौकरियां मिल रही हैं। ये संख्या सिर्फ उनकी है जो इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट कॉलेजों से प्लेसमेंट के जरिए चयनित हो रहे हैं। यानी असल आंकड़ा इससे भी ज्यादा है। बीते दिनों आईटी आधारित भुगतान पर काम करने वाली फेडिलिटी नामक विश्व की बड़ी कंपनी ने भी इंदौर में पड़ाव डाल दिया है।


संचालन में लग रहा कम खर्चप्लेसमेंट ऑफिसर व्यास के मुताबिक, इंदौर में तमाम आईटी कंपनियों के आने की कुछ खास वजह है। असल में इम्पेट्स, यश या डायस्पार्क ने इंदौर के अपेक्षाकृत कम खर्च वाले संसाधानों व टैलेंट का लाभ उठाते हुए खुद को स्थापित कर लिया। इसके बाद आईटी और मैनेजमेंट एजुकेशन में शहर ने तेजी से विस्तार किया। आईटी कंपनियों को बैंगलुरु, हैदराबाद, पुणे के मुकाबले इंदौर में संचालन खर्च अपेक्षाकृत कम लग रहा है। अब इंदौर की कंपनियां सिर्फ आईटी सर्विस नहीं बल्कि प्रोडक्ट डिजाइन भी करने लगी हैं। क्रिस्टल आईटी पार्क जैसे प्रोजेक्ट ने बाहर से आने वाली कंपनियों की राह और आसान कर दी है। आईटी सेक्टर में इंदौर की असल उड़ान तो आने वाले दिनों में नजर आएगी



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