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10 लाख लोगों के लिए मिलावटी दूध-मावा बनाने की थी तैयारी, ऐसे हुआ खुलासा


भिंड- ऊमरी। ऊमरी और महावीर गंज में जब्त किए गए घातक केमिकल इतनी बड़ी मात्रा में मिले हैं कि अगर इनका इस्तेमाल हो जाता तो यह करीब 10 लाख लोगों के लिए मिलावटी दूध और मावा बनाकर तैयार कर देते। खाद्य सुरक्षा के ओआईसी डिप्टी कलेक्टर ओमनारायण सिंह का कहना है इन केमिकल की मदद से हजारों लीटर दूध और क्विंटलों नकली मावा तैयार होना था। संभवत: इसे दीपावली के त्योहार को देखते हुए सप्लाई के लिए मंगवाया गया है।


3.57 लाख रुपए के केमिकल से करोड़ों कमाते


 


खाद्य सुरक्षा अधिकारी राजेश गुप्ता का कहना है कि ऊमरी और भिंड में जब्त केमिकल और मिलावट का सामान करीब 3.57 लाख रुपए का है। यहां बता दें कि इस केमिकल का इस्तेमाल अगर नकली दूध और मावा बनाने में हो जाता तो इससे मिलावट के कारोबार से जुड़े लोग करोड़ों रुपए कमाते


डिप्टी कलेक्टर ओमनारायण सिंह का कहना है कि जब्त किए गए केमिकलों की थोड़ी सी मात्रा से ही टैंकर भर नकली दूध बनाया जा सकता है। इस लिहाज से अंदाजा लगाया जा सकता है कि इनका इस्तेमाल होता तो कितना दूध और मावा बनता।


कलेक्टर पहुंचे ऊमरी, गाड़ी मालिक से पूछताछ 


मिलावटखोरों पर बड़ी कार्रवाई के दौरान कलेक्टर छोटे सिंह देर शाम ऊमरी पहुंचे। कलेक्टर ने ऊमरी थाने में पुलिस की गिरफ्त में आए घातक रसायनों से भरी गाड़ी के मालिक आशीष राठौर से पूछताछ की


वहीं इस कार्रवाई के बाद से अकोड़ा में नकली दूध-मावा की डेयरी संचालित करने वाले इंदल शर्मा, महावीर गंज में केमिकल का गोदाम संचालित करने वाले अमित जैन, ट्रांसपोर्टर शशिभूषण सिंह, व्यापारी राजू जैन उर्फ भूता जैन पुलिस की गिरफ्त में नहीं आए हैं। वहीं ऊमरी में सील किए गए तेल के कारखाने पर बुधवार को कार्रवाई होगी।


जानें कितने घातक हैं यह केमिकल


हाइड्रोजन परऑक्साइड: आमतौर पर इसका इस्तेमाल घाव साफ करने में होता है। दूध में इस्तेमाल होने से यह कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है। अंधापन, आंतरिक घाव होने का खतरा रहता है।


- कास्टिक सोडा: साबुन और डिटरजेंट बनाने में किया जाता है। समान्यत: त्वचा पर गिरने से फफोले पड़ जाते हैं। दूध में मिलावट से शरीर के आंतरिक अंगों से खून आने लगता है। हीमोलाइसिस बढ़ाता है


 सोडियन थायोसल्फेट: इसका सेवन आमाशय को क्षति पहुंचाता है। एसीडिटी करता है। शरीर में मेलिगनेंसी बढ़ता है, इससे कैंसर हो जाता है। आंतरिक अंगों में पहुंचकर किडनी, लिवर को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाता है।


- एसेटिक एसिड: दूध को फाड़ने में इस्तेमाल होता है। इसकी ज्यादा मात्रा बहुत ज्यादा हानिकारक है। इसके सेवन से शरीर के आंतरिक अंग फटने का खतरा बढ़ जाता है। शरीर के अंदर एसिड अटैक जैसे हालात पैदा कर सकता है।


 


- इलास्टो प्वान: इसका इस्तेमाल दूध में नीचे जमी चिकनाहट को ऊपर लाने में किया जाता है। यह घाव पर गिरे तो घाव बढ़ जाता है। इसके सेवन से ऊतकों के घाव में बढ़ोतरी हो जाती है। यह कैंसर रोग पैदा करता है।


- माल्टो डेक्सट्रिन: इसका इस्तेमाल दही बनाने में किया जाता है। दूध में इसे मिठास बढ़ाने में इस्तेमाल किया जाता है। इसके सेवन से छोटी और बढ़ी आंत को नुकसान पहुंचाता है। यह छोटी-बड़ी आंत का कैंसर भी बनाता है।


 


- फ्लेवर आरसी: इसके सेवन से आंतरिक अंगों को नुकसान पहुंचता है। फेफड़े, तिल्ली को नुकसान पहंुचाता है। यूरिनरी ब्लेडर को नुकसान पहुंचाकर कैंसर रोग को पैदा करता है।


(प्राणी विज्ञान के प्रोफेसर इकबाल अली के मुताबिक)


 


- यह केमिकल इतने खतरनाक हैं कि जो भी नकली-दूध मावा के जरिए इनका सेवन करता उसे कैंसर, किडनी-लिवर फेल जैसे गंभीर रोग होने का खतरा बढ़ जाता। - डॉ.शैलेंद्र सिंह परिहार, फिजीशियन, भिंड


- जब्त केमिकल इतनी ज्यादा मात्रा में हैं कि इनसे हजारों लीटर दूध बनाया जा सकता था। जिले की आधी आबादी को नुकसान पहुंचाता - ओमनारायण सिंह, ओआईसी, खाद्य सुरक्षा भिंड


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