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इंदौर आई अस्पताल में दिखने लगी धुंधली आकृति, ठीक से दिखने में लग सकते हैं दो माह


धार रोड स्थित इंदौर आई अस्पताल में मोतियाबिंद का ऑपरेशन फेल होने के बाद आंख की रोशनी खोने वाले मरीजों को इलाज चोइथराम नेत्रालय में किया जा रहा है। इनमें से दो महिला मरीजों की रोशनी धीरे-धीरे लौटने लगी है। सोमवार को डॉक्टरों ने उनकी आंख से पट्टी हटाई। उन्हें पूरी तरह तो नहीं दिख रहा, लेकिन प्रकाश व व्यक्तियों की धुंधली सी आकृति दिखने लगी है।


इनकी आंख में बैक्टीरिया का संक्रमण होने के बाद दोबारा ऑपरेशन किया गया। एंटीबायोटिक देकर पहले बैक्टीरिया का प्रभाव कम किया गया। डॉक्टरों के अनुसार तीन दिन बाद इनकी छुट्टी कर दी जाएगी। इसके बाद फॉलोअप के लिए बुलाया जाएगा। आंख की रोशनी पूरी तरह लौटने में दो माह लग सकते हैं


अब खुश है सुशीला बाई


धार निवासी सुशीला बाई का आठ अगस्त को इंदौर आई अस्पताल में ऑपरेशन किया गया था। संक्रमण होने के बाद आंख में सूजन आई थी। रविवार रात सुशीला बाई का ऑपरेशन चेन्नई के शंकर नेत्रालय से आए डॉ. राजीव रमन ने किया। महिला की आंख में सूजन व तेज दर्द हो रहा था। सोमवार को उसकी आंख की पट्टी खोली गई। सुशीला बाई ने बताया कि पहले इस आंख से किसी भी प्रकार की रोशनी नहीं दिख रही थी, लेकिन अब उसे प्रकाश व चलते हुए लोगों की आकृति दिखने लगी है। इससे वह बहुत खुश है


रामी बाई ने छोड़ दी थी उम्मीद


धार निवासी रामी बाई का ऑपरेशन भी रविवार को चोइथराम नेत्रालय के डॉक्टरों ने ही किया। वह मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद आंख में संक्रमण होने से तेज दर्द से परेशान थी। सोमवार को रामी बाई की भी आंख से पट्टी हटाई गई। रामी बाई ने बताया कि ऑपरेशन के बाद दर्द व सूजन आने के बाद वह डर गई थी। डॉक्टर बोले दवाई से फायदा नहीं हुआ तो आंख की रोशनी वापस लाना मुश्किल होगा। एक आंख से पहले ही दिखाई नहीं देता था। दूसरी आंख का ऑपरेशन बिगड़ने के बाद उम्मीद ही छोड़ दी थी, लेकिन अब मुझे धुंधला दिखने लगा है


शाम सात बजे तीन मरीजों को भेजा चेन्नई


सोमवार शाम सात बजे विमान से तीन मरीजों को उनके एक-एक परिजन के साथ चेन्नई स्थित शंकर नेत्रालय भेजा गया। रविवार को इनकी जांच डॉ. राजीव ने ही की थी। साथ ही इनकी आंख में बैक्टीरिया का सबसे अधिक संक्रमण होने की जानकारी दी और चेन्नई भेजना जरूरी बताया। स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने आदेश देते हुए तीनों को चेन्नई भेजने की व्यवस्था कराई। इनमें शामिल मरीज मनोहर रामकृष्ण हरोड़ अपने बेटे शैलेश के साथ रवाना हुए। मनोहर ने बताया पहले ही एक आंख से कम दिखता है। ऐसे में दूसरी आंख भी खराब होने से जीवन कैसे गुजारेंगे, यह सोचकर डर लगता है। बेटा व पत्नी भी घबराए हुए हैं


अटेंडर नहीं था, कर्मचारी की देखरेख में भेजा


दूसरे मरीज हरपाल दास ने बताया कि हम एक ट्रस्ट के माध्यम से इंदौर आई अस्पताल पहुंचे थे। हमें नहीं पता था कि इस तरह से मोतियाबिंद का ऑपरेशन बिगड़ेगा। हरपाल दास के बेटा नरसिंह लाल साथ में गया है। एक अन्य मरीज मोहन भील के साथ कोई अटेंडर न होने से स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी की देखरेख में उन्हें भेजा गया


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