- किताबों से जानिए, कैसे आत्मा को अपने आप को व्यक्त करने दिया जा सकता है? भीतर दबी हुई इच्छाओं को पहचानना क्यों जरूरी है?
पुराने अनुभवों की गहराई को समझें यह न सोचें कि सफलता या खुशी पाने में अब देर हो गई है। यह मत कहें कि आप बीमार हैं, टूट गए हैं। आत्मा न तो बीमार होती है, न टूटती है। क्योंकि वह ईश्वर का अंश है। आपका मन ही आपके शरीर को बीमार बनाता है। आत्मा को अपने आप को व्यक्त करने दें। अगर आप अपने पुराने दु:खों और संघर्षों की वजह से खुद को उदास और चिड़चिड़ा बना लेते हैं, तो आप इन अनुभवों की गहराई को खो रहे हैं।
अपनी छिपी हुई संभावनाओं को पहचानें बहुत लोग यह नहीं जानते कि वे बेचैन क्यों हैं, उन्हें वास्तव में चाहिए क्या, या वे अपने सच्चे जुनून के लिए कितना कम समय और ऊर्जा लगाते हैं। जैसे-जैसे आप अपने भीतर दबी हुई इच्छाओं और पक्षों को पहचानना शुरू करेंगे, वैसे-वैसे आप अपनी छिपी हुई संभावनाओं को स्वीकार कर पाएंगे और उनका बेहतर उपयोग भी कर पाएंगे। कोई और नहीं, आप खुद ही तय करते हैं कि अपने जीवन के साथ क्या करना है।
आपको तय करना है आपका जीवन कैसा हो अपने आप को एक विकसित किए जाने वाले स्थल की तरह सोचें। याद रखें हर स्थल पर अलग विकास उपयुक्त है। आपका लक्ष्य क्या है? आपके पास कौन-से संसाधन उपलब्ध हैं और कौन-सी चीजें आपकी जमीन पर बेहतर बैठेंगी? अपनी साइट का अनुभव करें। सलाहकारों से मदद लें। फिर निर्माण शुरू करें। यह ढांचा आपकी जमीन पर बन रहा है, आपको तय करना है कि यह कैसा होगा। खुद को वैसे ही स्वीकार करें, जैसे आप हैं
अपने आप के हर पहलू को स्वीकार करना इसलिए जरूरी है कि इससे आप खुद के प्रति ज्यादा नरम, ज्यादा करुणामय हो जाते हैं। जब आप अपनी नकारात्मक भावनाओं को कोई बड़ी बात या डरने वाली चीज मानना बंद करते हैं, तो वे आपको उतनी डरावनी नहीं लगतीं। जब आप अपने सम्पूर्ण अस्तित्व को अपनाते हैं, तो आपको यह दिखावा नहीं करना पड़ता कि आपकी जिंदगी परफेक्ट है। खुद को वैसे ही स्वीकार करें जैसे आप हैं। अपने साथ प्रेमपूर्वक व्यवहार करने की कोशिश करें।
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