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भाजपा रिकॉर्ड तोड़ने की कोशिश में, ‘आप’ सीट छीनने के लिए बेताब, नए चेहरे आमने-सामने

गुजरात के किसी भी इलाके में चले जाइए चुनावी माहौल एक जैसा नजर आता है। चुनाव के नतीजों को लेकर वहीं दिलचस्पी है, जहां भाजपा और दूसरे दलों के चर्चित प्रत्याशी मैदान में हैं। मैं यहां के चुनावी माहौल को समझने के लिए भावनगर संसदीय क्षेत्र में पहुंचा। भावनगर में 1991 से भाजपा लगातार जीतती आ रही है। इसलिए स्थानीय निवासी भावनगर को भाजपा का गढ़ कहते हैं। ससंदीय इलाके में किसी भी घर, दुकान या सार्वजनिक स्थान पर किसी से भी पूछो तो एक ही जवाब आता है कि यहां बदलाव होने की संभावना नहीं दिख रही है।

26 में से 24 सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी में मुकाबला

वैसे तो राज्य की 26 सीटों में से 24 पर चुनाव मैदान में कांग्रेस व भाजपा प्रत्याशी ही मुख्य मुकाबले में हैं, लेकिन भावनगर उन दो सीटों में से हैं एक है जहां भाजपा का मुकाबला आम आदमी पार्टी से है। कांग्रेस ने भावनगर सीट ‘इंडिया’ गठबंधन के तहत आम आदमी पार्टी के लिए छोड़ी है। पिछले एक दशक में तो केन्द्र व राज्य में डबल इंजन की सरकार ने भाजपा के इस गढ़ को और मजबूत करने का काम किया है। चर्चा में यह बात भी सामने आई कि भरूच व भावनगर सीटों को आम आदमी पार्टी को देने से कांग्रेस का एक धड़ा खफा है।

बीजेपी ने निमुबेन बंभानिया बनाया उम्मीदवार

भाजपा ने वर्ष 2019 में तीन लाख से ज्यादा मतों के अंतर से लोकसभा चुनाव जीतने वाली दो बार की सांसद डॉ. भारती बेन शियाल का टिकट काटकर नए चेहरे पर दांव खेला है। यहां से भाजपा प्रत्याशी निमुबेन बंभानिया दो बार मेयर रह चुकी हैं और 15 वर्षों सेही वार्ड से पार्षद हैं। आम आदमी पार्टी ने भावनगर की बाटोद विधानसभा सीट से मौजूदा विधायक उमेश मकवाना को चुनाव मैदान में उतारा है। भावनगर में कुल 12 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। लेकिन मुख्य मुकाबला भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच ही नजर आ रहा है। सादिक से चुनावी चर्चा छेड़ी तो बोले, अबकी बार भी कुछ नया होने वाला नहीं है। उनकी इस बात को दवा व्यापारी प्रवीण यादव आगे बढ़ाते हुए कहा, नीमू बेन के सामने अपनी ही पार्टी का पुराना रिकॉर्ड तोड़ने की चुनौती है।

विवादित बयान से ‘आप’ को उम्मीद

केन्द्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला के विवादित बयान की चर्चा यहां भी सुनने को मिली। आम आदमी पार्टी को यहां भी राजपूतों को लेकर दिए गए इस बयान से उठी नाराजगी से उम्मीद दिख रही है स्टील और हीरे का कारोबार भावनगर पहचान है। रजवाड़ों के दौर में भावनगर का अपना इतिहास रहा है। राजा भाव सिंह के नाम पर बसे भावनगर आजादी के बाद भारत मेें विलय होने वाला पहला राजसी स्टेट था। जनरल स्टोर के संचालक प्रतीक बारड़ ने कहा, इस बार भी पिछले चुनाव जैसा ही हाल है। कुछ बदलाव होने वाला नहीं है। बलदेव सोलंकी ने कहा, क्षत्रिय समाज की नाराजगी से भाजपा का नुकसान होना तय है।

कई जगह लोगों ने बदलाव की संभावना बताई

कई लोगों ने यहां बदलाव की संभावना भी जताई। इनमें से महबूब भाई को भावनगर में इस बार कुछ चमत्कार की आस है। वे कहते हैं कि जनता बदलाव चाहती है। महबूब भाई ने उल्टे मुझ पर ही सवाल दाग दिया। आपने देखा नहीं, भाजपा को इसी वजह से अपना उम्मीदवार बदलना पड़ा है?

भाजपा को पहले से ज्यादा उम्मीद

भाजपा कार्यालय में भाजपा के महानगर उपाध्यक्ष भावेश सुभाष भाई बोरा मिले। उन्होंने कहा, हम पार्टी की जीत को नहीं देख रहे है। हम पिछली बार के जीत के रिकॉर्ड मतों से आगे की सोच रहे है। हमारा लक्ष्य 4 से 5 लाख के बीच के अंतर का है।

शाइनिंग इंडिया जैसा हाल नहीं हो जाए

आम आदमी पार्टी के प्रदेश महासचिव सागर रेबारी कहते हैं। इस बार भाजपा का हाल शाइनिंग इंडिया जैसा भी हो सकता है। आम आदमी पार्टी को आगे बढऩे से भाजपा नहीं रोक पाएगी। आप देख नहीं रहे, यहां किसान कितने परेशान हैं। बेरोजगारी से युवा परेशानी में हैं। महंगाई से गृहणियां परेशान हैं। करों के भार से व्यापारी परेशान हैं। सरकार की नीतियों के कारण भावनगर का डायमण्ड व्यापार भी चौपट हो रहा है। अब आप ही बताइए कौनसा वर्ग भाजपा को वोट देगा। इन हालात में आप की झाड़ू पूरे भावनगर में भाजपा की सफाई कर देगी।

मतदाता के मन में क्या है, कौन जाने

आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी उमेश मकवाना और 48 वर्षीय भाजपा प्रत्याक्षी नीमू बेन एक ही कॉलेज में पढ़े हैं। दवा कारोबार में जुड़े भाविन भट्ट ने कहा कि यहां भाजपा लगातार मजबूत होती दिख रही है। व्यापारी जय ओझा ने कहा कि विपक्ष अभी इतना सक्षम नहीं है कि जो मोदी को चुनौती दे सके। भावनगर में भाजपा की जीत तय है। पास ही बैठे अमन ने कहा, माहौल तो भाजपा का लग रहा है, लेकिन मतदाता के मन में क्या है, कौन जान सकता है। हीरेन कुर्मी ने तो एक फिल्मी गीत सुनाते हुए कहा ‘आप’ का क्या होगा जनाबे आली…’ गृहणी दीक्षा पटेल ने बताया कि मोदी का जादू बकरार है। शहर में 38 डिग्री तापमान से बचने के लिए प्रत्याशी सुबह-शाम ही प्रचार करते नजर आते हैं।
सूरज की भीषण तपिश से मौसम भले ही गर्म हो गया हो, लेकिन यहां चुनावी माहौल एक दम ठंडा पडा है। पूरे शहर में घूमने पर लगता ही नहीं कि यहां चुनाव हैं। न चुनाव प्रचार का शोर है और ना ही झंडे बैनर पोस्टर होर्डिंग नजर आ रहे हैं। चुनाव के मामले में पूरा शहर खामोश है। अब्दुल जब्बार ने तंज कसते हुए कहा, जीत तो भाजपा की होगी, क्योंकि उन्हें ईवीएम चलाना आता है। भावनगर के लक्ष्मी नारायण स्वामी मंदिर के बाहर कुछ युवक-युवतियों से मुलाकात होती है। उनका कहना था कि मोदी ने दुनियाभर में देश का नाम रोशन किया है। हर भारतीय के मन में राष्ट्रवाद को जगाया है। राम मंदिर के निर्माण से धार्मिक आस्था को बढ़ाया है। बातचीत से पता चला कि यहां कांग्रेस कार्यकर्ताओं के मन में यह टीस है कि कांग्रेस ने आखिर मुकाबले वाली इस सीट को गठबंधन के लिए क्यों छोड़ा?

निमुबेन बंभानिया (भाजपा)

मजबूत पक्ष

  1. मजबूत संगठन
  2. नरेन्द्र मोदी का नेतृत्व
  3. कार्यकर्ताओं की मजबूत टीम
    कमजोर पक्ष
  4. जीत के प्रति अति आत्मविश्वास
  5. मतदाताओं को बाहर निकालने की रणनीति का अभाव
  6. टिकट बदलने से कार्यकर्ताओं में नाराजगी

उमेश मकवाना (आम आदमी पार्टी)

मजबूत पक्ष
  1. कांग्रेस के वोट बैंक का लाभ
  2. प्रत्याशी का ग्रामीण क्षेत्र में अच्छा प्रभाव
  3. दोनों दलों के कार्यकर्ताओं की टीम सक्रिय
    कमजोर पक्ष
  4. संगठन का अभाव
  5. संसाधनों का अभाव
  6. शहरी क्षेत्र में प्रत्याशी का प्रभाव कम होना

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