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मध्यप्रदेश में भाजपा की 'लाडली' आंधी, 2003 के बाद सबसे बड़ी जीत, 165 सीट जीतीं

मध्यप्रदेश में भाजपा 165 पर और कांग्रेस 64 सीटों पर जीत दर्ज कर रही है, एक सीट अन्य के खाते में गई है....। मध्यप्रदेश में भाजपा ने 2003 के बाद पहली बार इतना ऐतिहासिक प्रदर्शन किया है...। 2013 में भी भाजपा ने ऐसा ही क्लीन स्वीप किया था...। आज भी उसी अंदाज में कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया...।

मध्यप्रदेश में रविवार को आए परिणामों ने सभी को हैरान कर दिया। ऐसी प्रचंड जीत की कल्पना भाजपा ने भी नहीं की थी। भाजपा ने ऐसी जीत पिछले 18 सालों में दर्ज नहीं की थी। 2003 के बाद इसे सबसे बड़ी जीत माना जा रहा है। कांग्रेस दो के आंकड़ों पर सिमट गई। हैरानी की बात यह भी रही कि भाजपा की आंधी में भाजपा के ही कई दिग्गजों को भी हार का सामना करना पड़ा, वहीं कांग्रेस के कई दिग्गजों के गढ़ भी धराशायी हो गए।

रविवार सुबह मतगणना शुरू होते ही डाक मत पत्रों में भी जो रुझान देखने को मिला, उसने सभी की धड़कनें बढ़ाना शुरू कर दिया था। क्योंकि पोस्टल मत पत्र में कर्मचारियों का रुझान नजर आ गया। ज्यादातर मत भाजपा के पक्ष में नजर आए। इसके बाद जैसे ही इवीएम से काउंटिंग शुरू हुई तो एक के बाद एक भाजपा की सीटें शुरुआती रुझान में आगे नजर आई। कुछ एक सीटों पर ही कांग्रेस आगे दिखीं, लेकिन शाम होते होते तक यह आंकड़ा 165 के करीब जा पहुंचा और कांग्रेस 65 के आंकड़ें पर सिमट गई।

कांग्रेस ने हार स्वीकार की

इधर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में प्रेस से बात करते हुए अपनी हार स्वीकार कर, हार की समीक्षा करने को कहा है। कमलनाथ ने भाजपा को इस प्रचंड जीत की बधाई भी दी है। कमलनाथ ने कहा है कि हमें जनता पर भरोसा था, लेकिन भाजपा को जनता ने चुना है तो हम इसका सम्मान करते हैं और भाजपा से उम्मीद करते हैं कि वो जनता के भरोसे पर खरा उतरेंगे। प्रेस वार्ता के दौरान पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह और रणदीप सुरजेवाला सहित कई दिग्गज कांग्रेस नेता शामिल थे।

भाजपा के यह दिग्गज हारे

कोई भरोसा नहीं कर पा रहा था कि भाजपा की इतनी आंधी नजर आएगी। इस आंधी के बावजूद कई भाजपा के दिग्गज नेता अपना गढ़ नहीं बचा पाए। भाजपा के दिग्गज नेताओं में केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते चुनाव हार गए। मंडला जिले की निवास सीट से उन्हें मैदान में उतारा था। भाजपा के सांसद गणेश सिंह भी चुनाव हार गए। एमपी के कृषि मंत्री कमल पटेल भी हरदा से चुनाव हार गए। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्र दतिया से अपना गढ़ नहीं बचा पाए। वहीं बदनावर से राजवर्धन सिंह दत्तीगांव चुनाव हार गए। सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया चुनाव हार गए। डबरा से इमरती देवी चुनाव हार गए। बालाघाट से मंत्री गौरीशंकर बिसेन भी हार गए।

कांग्रेस के दिग्गज हारे

इधर, कांग्रेस के भी कई दिग्गजों को हार का सामना करना पड़ा। राऊ से कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व मंत्री जीतू पटवारी चुनाव हार गए। नेता प्रतिपक्ष डा. गोविंद सिंह अपना गढ़ नहीं बचा पाए। जबलपुर से पूर्व मंत्री तरुण भनौट चुनाव हार गए। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति भी गोटेगांव से हार गए। पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल भी चुनाव हार गए। पूर्व मंत्री पीसी शर्मा भी चुनाव हार गए। सोनकच्छ से प्रत्याशी पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा भी चुनाव हार गए।

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महाकौशल क्षेत्र
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38 सीटें
भाजपा 23
कांग्रेस 15

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विंध्य क्षेत्र
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30 सीटें
भाजपा 25
कांग्रेस 5

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मालवा-निमाड़
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66 सीट
भाजपा 49
कांग्रेस 16
अन्य 1

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मध्य क्षेत्र
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कुल जिले- 8
कुल सीट- 36
भाजपा- 32
कांग्रेस- 4

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बुंदेलखंड
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कुल जिले- 6
कुल सीट- 26
भाजपा-21
कांग्रेस- 5
सपा-0
बसपा-0
अन्य-0

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ग्वालियर-चंबल (अंतिम आंकड़े)
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कुल जिले- 08
कुल सीट- 34
भाजपा- 18
कांग्रेस-16
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