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देव उठनी एकादशी की इस स्तुति से जगाए जाएंगे देव, पढ़ें पूरी स्तुति

उठो देव बैठो देव, हाथ-पांव फटकारो देव, अंगुलियां चटकाओ देव, सिंघाड़े का भोग लगाओ देव... इस स्तुति के साथ गुरुवार को देवोत्थान एकादशी पर्व पर घर-घर में सोए हुए देवों को जगाया जाएगा। इसी के साथ मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाएगी..आइये पढ़ें देव उठनी एकादशी की

देव उठनी एकादशी स्तुति
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शाम को गोधूलि बेला में देव उठने का समय है। इस बार देवउठनी ग्यारस पर शाम के समय सर्वार्थसिद्धि योग का महासंयोग रहेगा। दिव्य योग में देव उत्थापन और तुलसी-शालिग्राम का विवाह होगा। इसके बाद मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाएगी। 23 नवंबर से 15 दिसंबर तक शादियों के 12 दिन शुभ हैं। इन 12 दिनों में ही बैंड बाजा और बारात निकालने की तैयारी करनी होगी। नवंबर में शादी विवाह के पांच मुहूर्त हैं। जबकि दिसंबर में भी नौ शुभ मुहूर्त में शहनाइयां बजेंगी।
नवंबर-दिसंबर में विवाह मुहूर्त
नवंबर में शादी: 23 नवंबर, 24 नवंबर, 27 नवंबर, 28 नवंबर और 29 नवंबर विवाह शुभ दिन हैं।
दिसंबर में शादी: 5 दिसंबर, 6 दिसंबर, 7 दिसंबर, 8 दिसंबर, 9 दिसंबर, 11 दिसंबर और 15 दिसंबर हैं।
15 से लगेगा खरमास
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार आपातकालीन विवाह लग्नों का भी प्रावधान है जो की 15 दिसंबर तक किए जा सकते हैं। 15 दिसंबर के बाद शादी का कोई लग्न नहीं है. आपको बता दें की 15 दिसंबर से लेकर 14 जनवरी तक खरमास लग जाएगा। जिसके दौरान विवाह नहीं हो सकेंगे। माघ माह में विवाह के लग्न 16 जनवरी से फिर शुरू हो जाएंगे।

देवउठनी एकादशी स्तुति


उठो देव बैठो देव
हाथ-पांव फटकारो देव
अंगुलियां चटकाओ देव
सिंघाड़े का भोग लगाओ देव
गन्ने का भोग लगाओ देव
सब चीजों का भोग लगाओ देव ॥
उठो देव बैठो देव
उठो देव, बैठो देव
देव उठेंगे कातक मोस
नयी टोकरी, नयी कपास
जारे मूसे गोवल जा
गोवल जाके, दाब कटा
दाब कटाके, बोण बटा
बोण बटाके, खाट बुना
खाट बुनाके, दोवन दे
दोवन देके दरी बिछा
दरी बिछाके लोट लगा
लोट लगाके मोटों हो, झोटो हो
गोरी गाय, कपला गाय
जाको दूध, महापन होए,
सहापन होएI
जितनी अम्बर, तारिइयो
इतनी या घर गावनियो
जितने जंगल सीख सलाई
इतनी या घर बहुअन आई
जितने जंगल हीसा रोड़े
जितने जंगल झाऊ झुंड
इतने याघर जन्मो पूत
ओले कोले, धरे चपेटा
ओले कोले, धरे अनार
ओले कोले, धरे मंजीरा
उठो देव बैठो देव

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