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मध्यप्रदेश की कला से होंगे रूबरू:‘कल्चर लेक’ में मिट्‌टी आर्ट, सिलबट्‌टे की चटनी से लेकर बाग प्रिंट की छपाई; चंदेरी व माहेश्वरी साड़ी की बुनाई देखेंगे 4000 प्रवासी भारतीय

कारीगरों को परिधान बुनते हुए मेहमान लाइव देख सकेंगे, बेंबू व टीकमगढ़ का माटी आर्ट भी दिखाएंगे - Dainik Bhaskar

कारीगरों को परिधान बुनते हुए मेहमान लाइव देख सकेंगे, बेंबू व टीकमगढ़ का माटी आर्ट भी दिखाएंगे
  • प्रदेश के 10 आर्ट फॉर्म का लाइव प्रदर्शन करेंगे कलाकार, दुनिया को  मध्यप्रदेश की कला का हुनर बताएंगे

प्रवासी भारतीय सम्मेलन में खाने के मेन्यू से लेकर प्रवासियों को शहर की मेहमाननवाजी की तासीर बताने के लिए भी कई आयोजन होंगे। इनमें ‘कल्चर लेक’ मुख्य आकर्षण रहेगा। इसमें मप्र की कला का जीवंत प्रदर्शन होगा। बाग, चंदेरी, माहेश्वरी प्रिंट से लेकर गोंडी आर्ट के बारे में बताया जाएगा। पुरस्कार प्राप्त कलाकार लाइव परफॉर्म करेंगे। सम्मेलन के लिए 1700 से 1800 रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं।

कल्चर लेक एक गली टाइप होगी, जिसमें मप्र के 10 आर्ट फॉर्म का लाइव प्रदर्शन कलाकार करेंगे और दुनिया को मप्र की कला का हुनर बताएंगे। बाग प्रिंट का ब्लॉक, चंदेरी की साड़ियां सहित कई ऐसे आर्ट हैं, जिन्हें आयोजन स्थल पर ही प्रदर्शित किया जाएगा। कारीगरों को परिधान बुनते हुए मेहमान लाइव देखेंगे। चंदेरी, माहेश्वरी, बाग प्रिंट, गोंडी आर्ट, बेंबू आर्ट, टीकमगढ़ का माटी आर्ट, सिलबट्टे की चटनी, लूम आदि का जीवंत प्रदर्शन होगा।

बाग प्रिंट

1300 ब्लॉक में अलग-अलग पैटर्न और डिजाइन की छपाई कपड़ों में की जाती है। प्राकृतिक रंगों के साथ पारंपरिक हैंड ब्लॉक प्रिंट है। इसका कला का नाम धार जिले की बाग नदी के तट पर गांव बाग से लिया गया है।

गोंडी आर्ट

गोंड पेंटिंग चमकीले रंगों, विशेष रूप से लाल, नीले, पीले और सफेद रंग से होती है। ये रंग रंगीन मिट्टी, लकड़ी का कोयला, पौधों की पत्तियों और रस और यहां तक ​​कि गाय के गोबर जैसे जैविक स्रोतों से निकाले जाते हैं।

माहेश्वरी साड़ी

माहेश्वरी साड़ियों की परंपरा को जीवित रखने के लिए महाराजा यशवंत राव होलकर के पुत्र ने ‘रेवा सोसाइटी’ नामक इस संस्था का निर्माण किया। महेश्वर किले में ही माहेश्वरी साड़ियों का निर्माण किया जाता है।

चंदेरी साड़ियां

चंदेरी सिल्क और यहां की साड़ियां विदेश में भी प्रसिद्ध है। चंदेरी फेब्रिक और डिजाइन आकर्षक है। बुंदेलखंड और मालवा की सीमा से लगा ये शहर बुनकरों की नगरी है। यहां के कलाकार और साड़ियां इस शहर की पहचान हैं।

जैसा सुन रखा, उससे भी बेहतर दिखाएंगे

खानपान, पहनावे, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर का पूरा ध्यान रखा जाएगा, इसीलिए मप्र के 10 आर्ट फॉर्म को लेकर लाइव प्रदर्शनी होगी। दुर्लभ कला के क्षेत्र में मप्र ने महारथ हासिल की है। जिस इंदौर के बारे में मेहमानों ने सुना हो, उससे बेहतर माहौल उन्हें देना है। यही वजह है कि कई संगठन इसके लिए आगे आए हैं। वे अपनी तरफ से कुछ नया करने की कोशिश कर रहे हैं।
- प्रतिभा पाल, निगमायुक्त

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