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जापान के जाम की अब मप्र में खेती:ऐसा अमरुद जो नाशपती जैसा मीठा, तरबूज जैसा सुर्ख लाल, जिसमें बीज ढूंढ़ते रह जाएंगे...

कई सालों से इस मौसम में अमरूद खाने वाले मप्र के लोगों के लिए अब जापान से इम्पोर्ट होने वाला रेड जापानीज अमरूद अब मप्र में न केवल उपलब्ध है बल्कि इसकी खेती भी शुरू हो चुकी है। खास बात यह कि यह अमरूद भारत के अमरुदों की वैरायटियों से सबसे अलग है। साइज में बड़े इस अमरुद का भीतरी रंग तरबूज जैसा लाल सुर्ख है तथा बिना बीज वाला है। इस मौसम में इसकी कुछ आवक शुरू हो गई है तथा मप्र के किसानों का रुख भी इसकी खेती को लेकर बढ़ा है।

खाचरौद में से शुरू हुई जापानीज रेड डायमण्ड अमरूद की खेती।
खाचरौद में से शुरू हुई जापानीज रेड डायमण्ड अमरूद की खेती।

इंदौर के एग्रीकल्चर कॉलेज में आयोजित चार दिनी अंतर्राष्ट्रीय कृषि मेले में इस अमरूद की खेती से मप्र ही नहीं आसपास के राज्यों के किसानों में भी रुचि जागी है। फिलहाल इसकी खेती खाचरौद के मध्यांचल नर्सरी में हो रही है। इसके संचालक प्रो. मधुसूदन धाकड़ ने बताया कि दो साल पहले यह जापानीज रेड डायमण्ड अमरूद मप्र में आया था लेकिन अब मप्र में सबसे पहले इसी खेती खाचरौद में ही हो रही है तथा मंडियों में इसकी डिमांड बनी हुई है। इसकी खेती ग्राफ्टिंग प्रोसेस के तहत होती है। बीते दो सालों में मप्र के खाचरौद में सबसे पहले इसकी खेती की शुरुआत हुई। इसके बाद कुछेक अन्य स्थानों पर इसकी खेती शुरू हुई है। प्रो. धाकड़ के मुताबिक खाचरौद में करीब दो साल पहले उन्होंने इसकी खेती शुरू की। विशेष किस्म के ये अमरूद दो साल में उत्पादन देते हैं। इसमें केवल दो-तीन बीज ही होते हैं।

जानिए जापानीज रेड डायमण्ड की खूबियां

- इन अमरुदों की खेती के लिए इन्हें उगाने के लिए पौधों की साइज डेढ़ से दो फीट तक रहती है जिसके लिए ग्राफ्टिंग प्रोसेस में यूज की जाती है।

- दो साल में इसकी अधिकतम ऊंचाई 6 से 7 फीट हो जाती है।

- दो साल बाद एक पेड़ में अधिसंख्य अमरूद आ जातें हैं।

- जिन स्थानों पर देशी अमरूदों की खेती होती है, इसकी भी खेती वहीं की जा सकती है। इसमें टेम्प्रेचर को लेकर किसी प्रकार की अनिवार्यता नहीं है।

- इन्हें स्पेशल पैकिंग के तहत 10 किलो के बॉक्स में पैक किया जाता है।

- इसकी डिमांड दिल्ली, पूणे, मुंबई, बेंगलूर आदि शहरों में ज्यादा है। इंदौर से ये अमरूद वहीं भेजे जाते हैं।

- इंदौर की चोइथराम मण्डी में भी अब ये अमरूद उपलब्ध हैं लेकिन अन्य शहरों में डिमांड ज्यादा होने से इंदौर सहित प्रदेश के अन्य शहरों में कम मात्रा में हैं।

- बाजार में आने के बाद इन जापानीज रेड डायमंड अमरूद की कीमत 100 से 150 रु. प्रति किलो है जबकि देशी अमरूद 60 रु. प्रति किलो है।

पल्स इण्डस्ट्रीज में इसका भरपूर उपयोग

इन अमरुदों को पल्स (दालों) उद्योगों में उपयोग किया जाता है। देशी अमरुद जहां मीठा होता है, उसके मुकाबले यह कम मीठा होकर भी काफी स्वादिष्ट होता है। आमतौर पर इसे अब फाइव स्टार होटल्स, पार्टियों में सलाद के रूप में परोसा जाता है। महानगरों में अब इसका चलन तेजी से बढ़ा है। अभी लोगों की जुबान पर देशी अमरुदों का स्वाद सालों से है। इसके चलते आमजन में इस जापानीज रेड डायमंड अमरूद को अपना स्थान बनाने के लिए थोड़ा समय लगेगा।

गोल्डन सीताफल की भी खेती

खाचरौद में इसके अलावा सीताफल की गोल्डन वैरायटी की उच्च कीपिंग क्वालिटी की भी खेती की जा रही है। यह गोल्डन सीताफल 8 से 10 दिनों तक खराब नहीं होता। इसमें बीच बहुत कम रहते हैं जबकि गुदा बहुत ज्यादा व मीठा होता है। इसका साइज आम सीताफल की तुलना में काफी बड़ा होता है। एक सीताफल आधा किलो से एक किलो वजनी होता है।

राजस्थान का हायब्रिड नींबू का रुख मप्र की ओर

अंतर्राष्ट्रीय कृषि मेले में हनुमानगढ़ (राजस्थान) के हायब्रिड नींबू (काली पत्ती) की भी खासी धूम रही। किसान योगेंद्र कुमार निगम ने बताया इसका पौधा टिश्यू कल्चर में तैयार होता है तथा नींबू छोटी साइज के रहते हैं। खास बात यह कि यह सालभर उत्पादन देता है। इसमें एक ही पौधे में फ्लॉवरिंग व फ्रुटिंग दोनों ही होती है। इसकी फ्रुटिंग जैसे ही बंद होती है फिर फ्लॉवरिंग शुरू हो जाती है। इसकी ऊंचाई 5 से 6 फीट रहती है। पौधा उगाने के बाद यह तीन साल में उत्पादन देता है। अभी मप्र में इसकी खेती शुरू नहीं हुई है।

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