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इंदौर की 56 दुकान को मप्र गौरव सम्मान:उदासीन आश्रम मार्केट से बना खाने-पीने के शौकीनों का ठिया; जानिए पूरी कहानी

 इंदौर के ‘छप्पन’ का। हां, वही छप्पन दुकान का जिसमें जनभागीदारी और सामूहिक प्रबंधन के लिए यहां की व्यापारी एसोसिएशन को मध्यप्रदेश गौरव सम्मान दिया गया है।

56 दुकानों के लिए देश-विदेश तक मशहूर कैंपस के बनने की कहानी जितनी दिलचस्प है उसके बदलने और बढ़ने का सफर उतना ही शानदार..। व्यापारियों के अनुसार करीब 50 लाख रुपए रोज का कारोबार इन 56 दुकानों में हो जाता है।

दरअसल, इंदौर शहर के खान-पान के शौकीनों को एक ‘खाऊ ठिए’ की जरूरत थी। जहां पोहा से लेकर चाय तक, मोमोज से लेकर डोसा तक, मिठाई से लेकर आइसक्रीम तक सब मिले। न्यू जनरेशन के लिए पिज्जा से लेकर हॉट डाग तक मिले। अब शायद ही ऐसा कोई मीठी-चटपटी डिश हो जो यहां नहीं मिलती हो।

इंदौर की व्यापारी एसोसिएशन को मध्यप्रदेश गौरव सम्मान दिया गया।
इंदौर की व्यापारी एसोसिएशन को मध्यप्रदेश गौरव सम्मान दिया गया।

पहले बात करते हैं इसके ‘बनने’ के दिनों की
1974 तक यह इलाका उदासीन आश्रम मार्केट के नाम से जाना जाता था। हल्का जंगल जैसा इलाका था। कुछ खास सुविधाएं नहीं थीं। आसपास चौराहे पर बेतरतीब ढंग से सब्जी, फल और खाने-पीने के सामान के ठेले लगा करते थे। स्थानीय प्रशासन ने इसे ठीक करने का फैसला किया।

उस वक्त ठेलेवालों को एक मार्केट बनाकर दिया जिसमें 56 दुकानें बनाई गईं। तब यह मार्केट उदासीन आश्रम मार्केट के नाम से ही सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज हो गया। यहां घूमते-फिरते रहकर धंधा कर रहे ठेले वालों को 2500-2500 रुपए में दुकानें आवंटित कर दी गईं। इन दुकानों का साइज महज छह बाय आठ हुआ करता था। जितने में मात्र ठेला खड़ा हो जाए।

छप्पन दुकान एसोसिएशन के संरक्षक मोहन अग्रवाल बताते हैं कि ‘तब यहां स्थितियां बिल्कुल उलट थीं। जहां-तहां सब्जी, फल बेचने वालों को दुकानें तो दे दी गईं लेकिन उनकी आदत नहीं छूटी। वे दिन में यूं मार्केट, चौराहों पर ठेला लगाते, रात में जरूर यहां ठेला लाकर खड़ा कर दिया जाता था’।

छप्पन दुकान अब काफी बदल चुका है। यहां हर रोज खाने की शौकीन आते है। चटपटे और लजीज डिशेज के लिए यह देश-विदेश तक मशहूर है।
छप्पन दुकान अब काफी बदल चुका है। यहां हर रोज खाने की शौकीन आते है। चटपटे और लजीज डिशेज के लिए यह देश-विदेश तक मशहूर है।

2000 में इसकी पूरी काया पलट गई…

मोहन अग्रवाल बताते हैं कि तब इसी मार्केट से सब्जियां आदि जैसे फुटकर सामान बिका करते थे। पर धीरे-धीरे इन दुकानों को कुछ नए लोगों ने खरीदा। यहां पर फास्ट फूड से लेकर तमाम चटपटे आइटम्स बेचे जाने लगे। 1980 से 90 के बीच यह इंदौर की पहचान बन गया और लोग इसे 56 दुकान कहकर पुकारने लगे। देखते ही देखते पुराना नाम भूला दिया गया और यही मशहूर हो गया।

छोटा कैंपस होने से लोग सीधे दुकान के सामने ही गाड़ियां खड़ी कर देते थे। इस कदर जाम रहने लगा कि हर कोई परेशान हो जाता था। लेकिन, सन 2000 में इसका पूरा कायापलट कर दी गई और फिर यह इंदौर ही नहीं, मध्यप्रदेश के साथ देश में भी छा गया। सेलिब्रिटी से लेकर बड़े अफसर, नेता सब यहां आने के लिए उत्साहित रहने लगे। जब भी इंदौर आते तो परिवार के साथ यहां घूमना कोई नहीं भूलता।

छप्पन दुकान में सेलिब्रिटी से लेकर नेता तक खाने के लिए आ चुके हैं। यहां पोहा से लेकर जलेबी, आइसक्रीम और फास्ट फूड पिज्जा, बर्गर और कई डिशेज मिलती हैं।
छप्पन दुकान में सेलिब्रिटी से लेकर नेता तक खाने के लिए आ चुके हैं। यहां पोहा से लेकर जलेबी, आइसक्रीम और फास्ट फूड पिज्जा, बर्गर और कई डिशेज मिलती हैं।

हॉट डाग की छोटी सी दुकान, कारोबार करोड़ों में
यहां पर 62 साल के विजय सिंह राठौर शॉप है। लोग इन्हें जॉनी भाई या दादू के नाम से बुलाते हैं। राठौर पिछले 42 साल से ‘जॉनी हॉट डॉग’ नाम से शॉप चला रहे हैं। हर दिन 2,000 से ज्यादा हॉट डॉग बेचते हैं। सालाना 2 करोड़ से ज्यादा का बिजनेस कर रहे हैं। 2019 में उन्होंने 3 करोड़ का बिजनेस किया था।

साल 2019 में विजय राठौर को UBEREATS की तरफ से एशिया में 90 दिनों में सबसे ज्यादा ‘हॉट डॉग’ बेचने का खिताब मिल चुका है। विजय राठौर इसके पीछे का कारण कस्टमर का विश्वास, जॉनी हॉट डॉग का स्वाद और किफायती रेट बताते हैं, लेकिन यहां तक पहुंचने के पीछे उनकी लंबी और संघर्ष भरी कहानी है।

‘जॉनी हॉट डॉग’ शॉप 42 साल से चल रही है। यहां के हॉट डॉग फेमस है। यहां हर दिन 2000 से ज्यादा हॉट डॉग बिकते है। सालाना कारोबार करोड़ों में होता है।
‘जॉनी हॉट डॉग’ शॉप 42 साल से चल रही है। यहां के हॉट डॉग फेमस है। यहां हर दिन 2000 से ज्यादा हॉट डॉग बिकते है। सालाना कारोबार करोड़ों में होता है।

वो इनोवेशन, जिसने छप्पन को देश में चमकाया
छप्पन दुकान मार्केट एसोसिएशन के अध्यक्ष गुंजन शर्मा कहते हैं कि हमारा पहला ऐसा मार्केट था जिसने सबसे पहले दुकानों पर डस्टबिन लगवाए। डोर टू डोर कचरा गाड़ी में कलेक्शन की शुरुआत भी यहीं से हुई। कम्पोजिट प्लांट हो तो कचरा सेग्रिगेशन का मामला, हर प्रयोग सबसे पहले यहीं किया गया। यह भारत का दूसरा क्लीन स्ट्रीट फूड हब बना। महिलाओं के लिए पिंक यूरिनल, पहला बायो वेस्ट टॉयलेट, जीरो वेस्ट मार्केट सब यहीं हुआ। कोयले के तंदूर भी यहां इस्तेमाल नहीं किए जाते।

यहां है मार्केट का सक्सेस मंत्र

  • 7 कार्यकारिणी सदस्यों समेत 11 व्यापारियों की बॉडी फैसला करती है, उसे सभी को मान्य करना होता है।
  • इनोवेशन के लिए सीनियर व्यापारियों को आगे कर सबको समझाया जाता है ताकि उसे लागू कराया जा सके।
  • सफाई से लेकर खाने के इनोवेशन के लिए सभी प्रतिष्ठानों को कमिटेड रहने के लिए प्रेरित किया है।
56 दुकान पर खाने-पीने के शौकीन को आने का सिलसिला सुबह से ही शुरू हो जाता है। देर रात तक यहां हजारों लोग यहां की डिशेस का स्वाद लेने आते हैं।
56 दुकान पर खाने-पीने के शौकीन को आने का सिलसिला सुबह से ही शुरू हो जाता है। देर रात तक यहां हजारों लोग यहां की डिशेस का स्वाद लेने आते हैं।

देर रात तक यहां जुटते हैं खाने के शौकीन
1977 में 56 दुकान बाजार पुराने नाम उदासीन आश्रम की दुकानों से जाना जाता था लेकिन धीरे-धीरे यहां स्थापित 56 दुकानों ने अपना ऐसा स्वाद ईजाद किया कि शहर के हर कोने से लोग इन व्यंजनों का लुत्फ लेने यहां आने लगे। फिर 2000 के दशक में इस दुकान को सही मायने में जैसे ‘56 भोग’ कहा जाता है, वैसे ही 56 दुकान नाम से साकार हुआ। सुबह से यहां लोगों का चाय-नाश्ते के लिए जो आगमन शुरू होता है वह देर रात तक चलता है। हर मौसम की शाम चाहे वह सुहानी हो या रिमझिम या बारिश वाली, लोगों के कदम इधर ही खींचे चले आते हैं।

जाने 56 दुकान बाजार की और क्या हैं खासियत

क्या हैं यहां के चटपटे व्यंजन

यहां ये डिशेज उपलब्ध
इस बाजार में पानी-पताशे, आलू-छोले की टिकिया, हॉट डॉग, बर्गर, कचोरी, समोसे, पोहे, खमण, मसाला डोसा, उत्तपम, मोमोज, भुट्‌टे का कीस, गराडू, सहित 100 से ज्यादा प्रकार के चटपटे व्यंजन यहां गरमा-गरम उपलब्ध हैं। इसके अलावा मावे, बंगाली, ड्राय फ्रूट्स सहित कई प्रकार की मिठाइयां हैं। ऐसे ही मूंग दाल का हलवा, शिकंजी, फालूदा केसर आइस्क्रीम, विशेष प्रकार की चाय, कॉफी, कोल्ड ड्रिंक्स, आइसक्रीम सहित ढेरों आइटम हैं। बाजार का जो सौंदर्यीकरण किया गया है, वह अपने आप में अद्भुत है। यहां बैठने और घूमने-फिरने के लिए पर्याप्त जगह है।

क्रिकेटर वेंकटेश अय्यर है यहां से ब्रांड एंबेसेडर

क्रिकेटर वेंकटेश अय्यर इस बाजार में साफ-सफाई को लेकर यहां के ब्रांड एंबेसेडर है। स्वच्छ अमृत महोत्सव में इंक्रेडिबल इंदौर टीम की लॉन्चिंग की गई। इस टीम में इनक्रेडिबल कैप्टन के रूप में क्रिकेटर वेंकटेश अय्यर को ब्रांड एंबेसेडर बनाया गया।

शिवराजसिंह, सिंधिया, कमलनाथ व राहुल गांधी भी उठा चुके हैं लुत्फ

मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान सपत्नीक यहां आ चुके हैं।
मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान सपत्नीक यहां आ चुके हैं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भी लजीज व्यंजन का लुत्फ ले चुके हैं। उनके साथ उस समय ज्योतिरादित्य सिंधिया(अभी भाजपा में) भी मौजूद थे।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भी लजीज व्यंजन का लुत्फ ले चुके हैं। उनके साथ उस समय ज्योतिरादित्य सिंधिया(अभी भाजपा में) भी मौजूद थे।

लोग मेहमानों को यहां लाना नहीं भूलते
प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान सहित कई मंत्री यहां के व्यंजनों को लुत्फ लेने आते हैं। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ सहित कई हस्तियां यहां भोजन कर चुकी हैं। इसके अलावा शहर में लोगों के यहां देश-विदेश से आने वाले मेहमान जब भी आते हैं तो यहां बिना नाश्ता-भोजन किए नहीं जाते। शहर के लोगों की भी यह खासियत है कि वे अपने मेहमानों को यहां लाना नहीं भूलते।

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