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उपभोक्ता मामलों के निराकरण में मप्र देश में अव्वल:पेंडेंसी 11450 से 8756 पर पहुंची, महालोक अदालत में एक दिन में 1327 केस निराकृत

उपभोक्ताओं से जुड़े केसों की पेंडेंसी कम करने पूरे देश में पिछले दिनों हुई उपभोक्ता महालोक अदालत में मप्र शीर्ष पर रहा है। - Dainik Bhaskar

उपभोक्ताओं से जुड़े केसों की पेंडेंसी कम करने पूरे देश में पिछले दिनों हुई उपभोक्ता महालोक अदालत में मप्र शीर्ष पर रहा है।

उपभोक्ताओं से जुड़े केसों की पेंडेंसी कम करने पूरे देश में पिछले दिनों हुई उपभोक्ता महालोक अदालत में मप्र शीर्ष पर रहा है। प्रदेश के विभिन्न जिलों में एक दिन में 1327 केसों के निराकरण कर करीब साढ़े 12 करोड़ की राशि पक्षकारों को अवॉर्ड की गई। 769 केसों का आपसी सहमति से निराकरण कर यूपी दूसरे नंबर पर रहा, यहां 10 करोड़ 29 लाख से अधिक के अवाॅर्ड जारी किए गए।

699 केसों के डिस्पोजल के साथ केरल तीसरे और राजस्थान (687) चौथे नंबर पर रहा। इन दोनों प्रदेशों में निराकृत केसों से एक रुपए की भी अवॉर्ड राशि पक्षकारों को नहीं मिली। पांचवें नंबर पर आए गुजरात में 524 केसों का निराकरण कर 8 करोड़ 34 लाख के अवॉर्ड दिए गए। राज्य उपभोक्ता आयोग अध्यक्ष जस्टिस शांतनु एस. केमकर ने बताया, महा उपभोक्ता लोक अदालत का डाटा कंपाइल करने पर यह जानकारी सामने आई है।

51 - जिला उपभोक्ता फोरम मप्र में 25 - जज नियमित रूप से करते हैं सुनवाई 58 - फोरम के सदस्य प्रदेश 8756- केसों की पेंडेंसी अभी प्रदेश में

चार साल में 25 % घटी पेंडेंसी
सिर्फ महालोक अदालत से ही मप्र में बड़ी संख्या में केसों का निराकरण नहीं हुआ है, आंकड़े बताते हैं 2019 से लगातार उपभोक्ता फोरम केसों की पेंडेंसी में 25% की कमी हुई है। 2019 में 11450 केस पेंडिंग थे, जो अब घटकर 8756 हो गए हैं।

13 जज व 46 सदस्य नियुक्त
2019 से 13 जज व 46 सदस्यों की नियुक्त की गई है। पांच सदस्य राज्य आयोग में भी नियुक्त किए गए। जस्टिस केमकर ने बताया, अध्यक्ष के 4 व सदस्यों के 44 खाली पदों को भरने की प्रकिया जारी है।

यूं घटी मप्र में कंज्यूमर केसों की पेंडेंसी

वर्ष कंज्यूमर केसों

2019 - ​​​​​​​11450

2020 - 11418

2021 - 10770

2022 - 8756

महालोक अदालत में ऐसे केस आए
25 रुपए के केक का केस 16 साल से था पेंडिंग- भोपाल से जुड़े महज 25 रुपए के फ्रूट केक के 16 साल पुराने केस का निराकरण हुआ। 2006 में बड़ी कंपनी के केक पर फंगस का केस दायर किया गया। जिला उपभोक्ता फोरम ने कंपनी के खिलाफ फैसला दिया। कंपनी ने राज्य उपभोक्ता फोरम में अपील की थी। कंपनी को 11 हजार रुपए और ब्याज चुकाने के आदेश दिए।

330 का पैंट पीस, केस 6 साल चला
330 रुपए के पैंट पीस से जुड़ा 2016 का रतलाम के केस का निराकरण हुआ। 2017 में राज्य आयोग में अपील हुई थी। कंपनी ने केस सहमति से सेटल किया। ऐसे कई पुराने केस महालोक अदालत में सेटल हुए।

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