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ऐसे बीमार रहता है सरकारी सिस्टम:सालाना 4 करोड़ रुपए खर्च, फिर भी एमवायएच में डेढ़ महीने से बंद है किडनी, लिवर की जांच

एमवाय अस्पताल में भर्ती मरीजों में 50 से 60 फीसदी को इन जांचों की जरूरत पड़ती है। - Dainik Bhaskar

एमवाय अस्पताल में भर्ती मरीजों में 50 से 60 फीसदी को इन जांचों की जरूरत पड़ती है।

प्रदेश सरकार मेडिकल कॉलेजों के अस्पतालों में सेंट्रलाइज लेबोरेटरी शुरू करने की योजना पर काम कर रही है, लेकिन तब तक मरीजों को जांच सुविधा नहीं मिल रही है। एमवाय अस्पताल में एक-डेढ़ महीने से मरीजों की किडनी, लिवर की जांच नहीं हो पा रही है। हैरत की बात यह है कि जिस किट की कमी का हवाला देकर जांच नहीं की जा रही, उस पर सालाना 3 से 4 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं।

किडनी और लिवर फंक्शन पता कराने के लिए एलएफटी और आरएफटी जांच करवाई जाती है। ये बहुत सामान्य जांचें हैं, जो ज्यादातर डॉक्टर मरीजों की करवाते हैं। कोई मरीज खुद के खर्च पर जांच करवा रहा है तो कोई मददगार ढूंढ रहा है। आयुष्मान योजना के मरीजों की भी यही स्थिति है, जबकि उन्हें तो यह सुविधा नि:शुल्क दी जाना है। इस परेशानी पर अस्पताल से जुड़े जिम्मेदारों का कहना है जांच किट नहीं आ रही हैं।

हर दिन 3000 से ज्यादा मरीजों की आवाजाही

अस्पताल में रोजाना 3000 मरीजों की आवाजाही है। करीब 1000 मरीज प्रतिदिन भर्ती रहते हैं। कम से कम 500 से 600 मरीज ऐसे हैं, जिन्हें एलएफटी-आरएफटी करवाने की जरूरत पड़ती है।

यह होती है एलएफटी जांच
लिवर फंक्शन टेस्ट (एलएफटी) ब्लड टेस्ट का एक हिस्सा है, जो लिवर के स्वास्थ्य को निर्धारित करने में मदद कर सकता है। इस जांच के जरिये रक्त में प्रोटीन या एंजाइम के स्तर का पता लगाकर लिवर में सूजन या किसी अन्य नुकसान की पहचान करने में मदद मिलती है।

यह होती है आरएफटी जांच

रिनल फंक्शन टेस्ट (आरएफटी) किडनी के कार्यों की जांच करने और किडनी पर नजर रखने में मदद करता है। ब्लड और यूरिन सैंपल लेकर यह जांच की जाती है।

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