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कोल्हापुर का महालक्ष्मी मंदिर:मान्यता है कि दो असुरों ने किया था मंदिर का निर्माण, नवरात्र में रोज 2 से 3 लाख श्रद्धालुओं के आने का अनुमान

कोल्हापुर का महालक्ष्मी मंदिर…यह दुनिया के 51 शक्तिपीठों में से एक प्रमुख शक्तिपीठ है। दो साल से कोरोना की वजह से यहां दर्शन बंद थे। लेकिन इस साल नवरात्र में यहां रोजाना 2 से 3 लाख श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। दूसरे नवरात्र पर आज पढ़िए महालक्ष्मी मंदिर से रिपोर्ट।

पौराणिक कथा के अनुसार, दो असुरों ने किया था महालक्ष्‍मी मंदिर का निर्माण

कोल्हापुर शहर में मौजूद यह शक्तिपीठ जम्बू द्वीपांतर्गत ‘शिव’ के क्षेत्र में बसा हुआ है। .देवी का यह मंदिर 1700 से 1800 साल पुराना है। मंदिर में स्थित द्वारपालों की दो भव्य मूर्तियों को लेकर भी एक कहानी है। कहा जाता है कि ये मूर्तियां दो असुरों की हैं। इन्ही असुरों ने केवल एक रात में इस भव्य मंदिर का निर्माण किया था। हालांकि, इस कहानी के अलावा भी एक कहानी है। माना जाता है कि तैलन नाम के व्यक्ति ने लगभग वर्ष 1140 में देवी के सामने महाद्वार का निर्माण किया था। पुरातन लेखों के अनुसार- मंदिर के पूर्व द्वार का निर्माण तत्कालीन सरदार दाभाडे ने किया था। वहीं देवी महालक्ष्मी के सामने गरुड़मंडप का निर्माण दाजी पंडित ने सन 1838 से 1842 के बीच में किया था। आदिलशाह के समय में देवी की मूर्ति को छिपाकर शहर के कपिल तीर्थ क्षेत्र में रहने वाले एक पुजारी के घर में रखा गया था। कहा जाता है कि बाद में विजयादशमी के दिन देवी की मूर्ति को दोबारा मंदिर में विराजित किया गया था।

नवरात्र में कोल्‍हापुर के महालक्ष्‍मी मंदिर को धूम-धाम से सजाया गया
नवरात्र में कोल्‍हापुर के महालक्ष्‍मी मंदिर को धूम-धाम से सजाया गया

महालक्ष्मी मंदिर में और भी देवी-देवताओं के मंदिर

महालक्ष्‍मी मंदिर को त्रिकुट मंदिर भी कहा जाता है। महालक्ष्मी मंदिर के अंदर और बाहर कई अन्य देवी- देवताओं के मंदिर भी स्थित हैं। इस मंदिर के प्रमुख गर्भगृह में करवीर वासिनी, आदिमाया, आदिशक्ति देवी महालक्ष्मी अर्थात अंबाबाई की काले पत्थर में बनाई सुंदर चतुर्भुज मूर्ति विराजित की गई है।

इस वर्ष धूमधाम से मनाया जाएगा नवरात्रि पर्व

पिछले दो साल कोरोना की वजह से महालक्ष्मी मंदिर के द्वार श्रद्धालुओं के लिए बंद थे। मंदिर के सभी उत्सवों पर जिला प्रशासन की पाबंदी थी। सिर्फ गिने-चुने पुजारियों की मौजूदगी में ही पूजा-पाठ की जा रही थी। हालांकि, इस साल सभी पाबंदियां हटाने के बाद भी मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ गई है। पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान समिति के सेक्रेटरी शिवराज नाइकवडे कहते हैं- इस वर्ष यहां लगभग 27 लाख से भी ज्यादा श्रद्धालु आ सकते हैं। शिवराज बताते हैं- भारी भीड़ को देखते हुए देवी के मंदिर में कड़ा पुलिस बंदोबस्त तैनात किया जा चुका है। इसके अलावा मंदिर प्रशासन के 58 सिक्योरिटी गार्ड्स भी तैनात किए गए हैं। कोरोना से पूर्व के वर्षों की ही तरह इस वर्ष भी 9 दिनों तक विशेष शास्त्रीय संगीत कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।

मंदिर के अंदर विराजित महालक्ष्‍मी माता की मूर्ती
मंदिर के अंदर विराजित महालक्ष्‍मी माता की मूर्ती

विजयादशमी के दिन देवी की दशहरा चौक में होगी पूजा

अष्टमी को मंदिर के चारों ओर रंगोली से सड़कें सजाई जाएंगी। और आकर्षक रोशनी में देवी की उत्सव मूर्ति को पालखी में रखकर नगर प्रदक्षिणा की जाएगी और आखरी दिन यानी विजयादशमी को देवी की पालखी कोल्हापुर के दशहरा चौक पहुंचेगी, जहां श्रीमंत राजर्षि शाहू महाराज से जुड़े घराने के वारिस देवी की पूजा करेंगे और फिर सीमोल्लंघन सम्पन्न की जाएगी।



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