किसी शादी समारोह में भले ही लिफाफा लेकर न जाएं, लेकिन अस्पताल में भर्ती किसी मरीज को देखने जाएंगे तो लिफाफा जरूर ले जाएंगे। ये अनूठी और नई पहल शुरू की है नगर निगम के अधिकारी-कर्मचारी और कॉन्ट्रेक्टरों ने। इस नई पहल से जुड़े 100 से ज्यादा लोगों ने यह संकल्प लिया है। पिछले दिनों दो अलग-अलग घटनाओं में झुलसे नगर निगम कर्मचारी प्रदीप सराठे और कम्प्यूटर ऑपरेटर सचिन साहू के 4 वर्षीय बेटे के इलाज के लिए इन्होंने 3 लाख 11 हजार 400 रुपए जुटाए। रविवार को ये पैसा दोनों जरूरतमंदों के परिजनों को सौंपा गया।
इस नई पहल के सूत्रधार दीपक सिंह का कहना है कि जब हम किसी रिश्तेदार के यहां शादी या किसी अन्य उत्सव में जाते हैं तो लिफाफे में कुछ रुपए रखकर शगुन के तौर पर देते हैं। यह शदियों से चली आ रही परंपरा है, जिसका हम सब पालन करते आ रहे हैं। लेकिन, जब हम अस्पताल में भर्ती किसी रिश्तेदार को देखने जाते हैं तो खाली हाथ ही चले जाते हैं, जबकि आर्थिक मदद की सबसे ज्यादा जरूरत व्यक्ति को अस्पताल में ही होती है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए मेरे मन में यह विचार आया।
और जुड़ते गए लोग
दो लोगों की बातचीत में उपजे इस आइडिया को दीपक ने निगम के अधिकारी-कर्मचारी व कॉन्ट्रेक्टर्स के सोशल मीडिया ग्रुप पर शेयर किया था। इस लोगों ने खुशी-खुशी सहमति दी और दोनों पीड़ितों के लिए आर्थिक मदद भी दीपक को उपलब्ध कराई। 100 से भी ज्यादा लोगों ने भविष्य में मरीज को देखने जाने पर लिफाफा देने का संकल्प लिया है।
लिफाफों पर बधाई की जगह शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना
मुहिम से जुड़े लोगों का कहना है इस नई पहल से अधिक से अधिक लाेगों को जोड़ा जाएगा, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों की मदद की जा सके। हम सब मिलकर इसके लिए अभियान चलाएंगे। शुरुआतीतौर पर हुई प्लानिंग में यह तय किया गया है कि सोशल मीडिया के अलावा व्यक्तिगत मुलाकात के दौरान भी लोगों को इस नई पहल के बारे में बताएंगे, ताकि लोग इसमें शामिल हो सकें।
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