Header Ads Widget

Responsive Advertisement

कृष्णकुंज:जैसी लीलाएं भगवान कृष्ण ने रचीं वैसे उनके नाम प्रसिद्ध होते गए, कहीं कहाते हैं बांकेबिहारी तो कहीं धरते हैं विट्‌ठल रूप

  • श्रीकृष्ण अपनी लीलाओं के लिए लोकपूज्य हैं, इसलिए लीला पुरुषोत्तम कहलाते हैं। ब्रज में वे बांकेबिहारी हैं, गिरिधारी हैं तो गुजरात में द्वारकाधीश हो जाते हैं। उन्हें नाथद्वारा में श्रीजी रूप में लाड़ लड़ाया जाता है तो पंढरपुर में विट्‌ठल रूप में पूजा जाता है।
  • जैसी लीलाएं रचीं, वैसे नाम उन्हें मिलते गए। इन्हीं योगेश्वर के नामों से पुष्पित यह पुष्पवेणी आज भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को उनके प्राकट्योत्सव के उपलक्ष्य में कृष्ण भक्तों के लिए गूंथी गई है।

गोस्वामी तुलसीदासजी ने यों तो प्रभु श्रीराम के लिए लिखा था –

‘जाकी रही भावना जैसी,
प्रभु मूरत देखी तिन तैसी'

अर्थात जिसकी जैसी भावना रही, उसने प्रभु के उसी रूप में दर्शन किए।

हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए यह पंक्ति अमूमन उनके सभी इष्ट एवं पूज्य देवी-देवताओं पर लागू होती है क्योंकि इसका सम्बंध सीधा आस्था से है। आस्था जैसी होगी, वैसे ही दर्शन होंगे! श्रीराम की भांति श्रीकृष्ण भी भगवान विष्णु का अवतार हैं, अत: तुलसी का यह चौपाई-अंश श्रीकृष्ण पर भी उतना ही लागू होता है जितना राम पर।

कृष्ण हिंदू पौराणिक साहित्य के सबसे रहस्यमय और आकर्षक देवता माने जाते हैं। द्वारकाधीश कहे जाने वाले श्रीकृष्ण को अनेक नामों से पहचाना जाता है और उसका एकमात्र कारण है कि लोगों ने कृष्ण को अलग-अलग रूपों में देखा है और उसी रूप में उनकी उपासना की है। स्वाभाविक है कि उन विभिन्न स्वरूपों के गुण-धर्म के आधार पर ही कृष्ण को अनेक नाम भी दिए गए हैं। इन नामों की रोचकता यह है कि इन सभी के विशिष्ट अर्थ हैं और सबका अपना-अपना महत्व है।

विभिन्न धर्मग्रंथों में हमें विष्णु के एक हज़ार अनेक नाम मिलते हैं जिन्हें ‘विष्णुसहस्रनाम‌' कहा जाता है। कृष्ण, विष्णु के ही अवतार-रूप हैं, इस नाते विष्णु के वे नाम कृष्ण पर भी लागू होते हैं किंतु कुछ नाम ऐसे हैं जिन्हें सुनकर केवल कृष्ण को याद किया जाता है। यों तो इन नामों की सूची बहुत लम्बी है किंतु स्थान की सीमा को देखते हुए श्रीकृष्ण के लिए प्रयुक्त होने वाले कुछ विशिष्ट और अनूठे नाम तथा उनके अर्थ/ संदर्भ यहां दिए जा रहे हैं –

गिरिधारी ...
पर्वत को ‘गिरि’ कहते हैं। इंद्र ने जब लगातार सात दिन तक ब्रज के ऊपर वर्षा की और समूचे गांव पर संकट छा गया तो ब्रजवासियों की रक्षा के लिए कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाकर उसे अपनी उंगली पर धारण कर लिया था। इससे उनका नाम हुआ गिरिधारी।

मुरारी ...
तारकासुर को मारने निकले कृष्ण का सामना मार्ग में मुरासुर से हुआ। मुरा नाम का असुर बहुत बलशाली था, परंतु युद्ध करके कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से मुरासुर का सिर काट डाला। इस तरह मुरा के अरि (शत्रु) रूप में आए कृष्ण को नाम मिला ‘मुरारी’।

गोविंद ...
गोवर्धन पर्वत उठाकर कृष्ण ने समस्त गांववालों के साथ पशु-पक्षियों और विशेषकर गायों की रक्षा की थी। इंद्र ने अंत में पराजय स्वीकार करके कृष्ण को ‘गोविंद’ नाम दिया।

केशव ...
कंस ने केशी नाम के दैत्य के हाथों कृष्ण की हत्या करवाने की योजना बनाई थी। केशी घोड़े का रूप धरकर कृष्ण को मारने गया था, लेकिन कृष्ण ने उसका वध कर दिया। केशी का वध करने से उनका नाम ‘केशव’ हुआ।

रणछोड़ ...
जरासंध ने यवन देश के राजा कालयवन के साथ मिलकर मथुरा पर आक्रमण कर दिया था। कालयवन को वरदान मिला हुआ था और कृष्ण जानते थे कि उसे बाहुबल या सुदर्शन चक्र से मारना संभव नहीं था, इसलिए उसे मारने के लिए श्रीकृष्ण ने युक्ति का सहारा लिया और मौक़ा देखकर रणभूमि छोड़कर भाग गए। तभी से कृष्ण का नाम ‘रणछो‌ड़’ पड़ गया। कृष्ण ने कालयवन को एक गुफा में ले जाकर छल से मारा था।

राधावल्लभ ...
वल्लभ का अर्थ होता है, प्रियतम। राधा के प्रियतम होने के कारण कृष्ण को नाम मिला राधावल्लभ।

मदनमोहन ...
संसार को मोहित कर लेने वाले काम (देव) का एक नाम मदन भी है। परंतु कृष्ण इतने मनमोहक हैं कि मदन (काम) भी उनसे मोहित हो जाता है। इसलिए कृष्ण को मदनमोहन कहा गया है।

विठोबा ...
पुंडालिक द्वारा माता-पिता की सेवा से प्रसन्न हो कृष्ण उससे मिलने पंढरपुर पहुंचे, लेकिन पुंडालिक उस समय भी सेवा में व्यस्त था। उसने कृष्ण को एक ईंट के ऊपर खड़े रहकर प्रतीक्षा करने को कहा। बाद में, कृष्ण का वही रूप विट्ठल (या विठोबा) कहलाया।

घनश्याम ...
घन का अर्थ है काले बादल। कृष्ण का रंग भी सांवला था, इसलिए उन्हें कई बार घनश्याम कहा जाता है।

दामोदर ...
‘दाम’ का अर्थ है रस्सी, और पेट को ‘उदर’ कहते हैं। एक बार मां यशोदा ने कृष्ण के पेट पर रस्सी लपेटकर उन्हें ऊखल से बांध दिया था। इसी घटना के बाद कृष्ण का नाम पड़ा ‘दामोदर’।

चक्रधर ...
कृष्ण अपने एक हाथ में सुदर्शन चक्र धारण करते हैं इसलिए उन्हें ‘चक्रधर’ कहा जाता है।

राजगोपाल ...
कृष्ण मुख्य रूप से ग्वाले थे इसलिए उन्हें गोपाल भी कहते हैं। परंतु सभी ग्वालों में श्रेष्ठ कृष्ण को गोपालों का राजा माना जाता है, जिसके कारण वे राजगोपाल कहलाते हैं।

पद्मनाभ ...
जिसकी नाभि में कमल हो, उसे पद्मनाभ कहा जाता है। कृष्ण, विष्णु अवतार हैं, विष्णु की नाभि से निकले पद्म (कमल) से ब्रह्मा की उत्पत्ति हुई जिन्होंने फिर इस संसार की रचना की। इसी कारण कृष्ण को भी पद्मनाभ नाम से संबोधित करते हैं।

बांकेबिहारी ...
बांकेबिहारी को भगवान कृष्ण और राधा का एकाकार और संयुक्त रूप माना जाता है। कहते हैं, स्वामी हरिदास के अनुरोध पर कृष्ण और राधा ने ये संयुक्त रूप धारण किया था।

श्यामसुंदर ...
‘श्याम’ वर्ण और ‘सुंदर’ रूप वाले कृष्ण को अपने इन दो गुणों के कारण ‘श्यामसुंदर’ कहा जाता है।

पार्थसारथि ...
अर्जुन का एक नाम ‘पार्थ’ भी है। महाभारत युद्ध में कृष्ण, अर्जुन के सारथि बने थे इसलिए उन्हें पार्थसारथि भी कहते हैं।

जगन्नाथ ...
जगन्नाथ शब्द ‘जगत्‌’ और ‘नाथ’ की संधि से बना है। जगत्‌ (संसार) के नाथ (स्वामी) को जगन्नाथ (ईश्वर) कहते हैं। ईश्वरीय अवतार होने के नाते कृष्ण का नाम जगन्नाथ है।

जनार्दन ...
विष्णुसहस्रनाम में से एक नाम ‘जनार्दन’ भी है। इसके दो अर्थ हैं- वह जो दुष्टों को कष्ट देता है, और जिसकी पूजा संसार सफलता एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए करता है। कृष्ण पर दोनों ही अर्थ लागू होते हैं इसलिए उन्हें जनार्दन नाम मिला है।

मधुसूदन ...
श्रीकृष्ण ने मधु नामक दैत्य का संहार किया था। विनाश करने वाले को ‘सूदन’ कहते हैं।

कुंजबिहारी ...
कुंज का अर्थ है, उद्यान। बिहारी शब्द विहार से बना है। श्रीकृष्ण को गोपियों संग कुंज में विहार करना पसंद है इसलिए उन्हें कुंजबिहारी कहते हैं।

वासुदेव ...
श्रीकृष्ण, यदुवंशी वसुदेव के पुत्र थे इसलिए उन्हें वासुदेव कहते हैं।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ