सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मप्र सरकार को निर्देश दिए कि वह डॉक्टरों से चार स्तरीय वेतनमान की वसूली रोक दे। इस फैसले के बाद इंदौर सहित प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में काम कर रहे दो हजार डॉक्टरों ने राहत की सांस ली। 10 साल से डॉक्टर्स इसे लेकर कानूनी लड़ाई लड़ रहे थे।
सरकार ने 12 प्रतिशत ब्याज के साथ रिकवरी आदेश निकाले थे। अधिवक्ता रोहिन ओझा ने डॉक्टरों की ओर से पैरवी की। उन्होंने बताया कि मप्र चिकित्सा अधिकारी संघ व डॉक्टरों ने याचिकाएं दायर की थीं। इस दौरान सरकार ने कई रिटायर्ड डॉक्टरों से वसूली भी की है। सरकार को रुपए जमा करवाने के बाद उनमें से कुछ का निधन हो चुका है।
2008 में चार स्तरीय वेतनमान दिया था
मप्र चिकित्सा अधिकारी संघ के महासचिव डॉ. माधव हसानी ने बताया कि 2008 में चार स्तरीय वेतनमान दिया था। इसके बाद कुछ तकनीकी कारण बताकर उस आदेश को वापस ले लिया। उस दौरान हजारों डॉक्टरों को इसका लाभ मिला। इसके बाद सरकार ने रिकवरी आदेश निकाला, जिसमें 12 प्रतिशत ब्याज के साथ रिकवरी निकाली गई।
यह रिकवरी लाखों रुपए में थी। दो हजार डॉक्टरों को रिकवरी के आदेश मिले थे। हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने डॉक्टरों के पक्ष में फैसला दिया। इसके बाद सरकार ने डबल बेंच में अपील की। डबल बेंच में सरकार के पक्ष में फैसला हो गया। तब डॉक्टरों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं लगाईं।
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