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हम यदि किसी की कमी का मज़ाक उड़ाते हैं, तो समय हमें सिखा जाता है कि कोई भी किसी से कम या कमज़ोर नहीं है

 

  • कोई भी किसी से कम या कमज़ोर नहीं होता। जंगल की प्रतियोगिता ने यह साबित करके दिखाया।
  • बच्चों को ज़रूर सुनाइए यह रोचक कहानी।

राजू हाथी ने श्यामवन जंगल के जानवरों के लिए एक रोचक प्रतियोगिता रखी। दूर जंगल में एक सुनहरा फूल खिला करता था। वो फूल बड़ा सुंदर और कमाल का था। राजू हाथी ने सभी प्रतियोगियों को प्रतियोगिता के नियम बताते हुए ज़मीन पर एक लम्बी लाइन खींचते हुए कहा, ‘आप सबको इस निश्चित लाइन से उस सुनहरे फूल तक दौड़ना है, और जो भी उस सुनहरे फूल की ख़ुशबू लेकर सबसे पहले आएगा उसे इस प्रतियोगिता का विजेता मानकर इनाम दिया जाएगा।’ हिरन, खरगोश, लोमड़ी आदि जानवरों ने प्रतियोगिता में अपना नाम दर्ज कराया। प्रतियोगिता के लिए सबका जमा होना शुरू हुआ, तभी इस प्रतियोगिता में चींटी भी अपना नाम लिखवाने आई। सभी जानवर चींटी की ओर देखकर हंसने लगे। वे चींटी से बोले, ‘चींटी रानी! तुम, क्यों भाग ले रही हो? हमारा एक क़दम तुम्हारे हज़ार क़दमों के बराबर है।’ चींटी उदास होकर बोली, ‘माना कि मैं बहुत छोटी हूं, तो क्या ? मेरा इसमें कोई दोष है? हाथी भाई! आप ही बताइए, क्या छोटे होने के कारण मैं प्रतियोगिता से बाहर हो जाऊं?’ राजू हाथी ने कहा, ‘नहीं, नहीं चींटी रानी! बिल्कुल नहीं। तुम भाग लो, क्योंकि हार-जीत से ज़्यादा किसी प्रतियोगिता में भाग लेने का महत्व होता है। छोटा होना कोई कमज़ोरी नहीं होती।’ राजू हाथी ने हरी झंडी दिखाकर दौड़ प्रतियोगिता शुरू की। सभी ख़ूब तेज़ दौड़े। सब जल्द से जल्द सुनहरे फूल की ख़ुशबू ले वापस आना चाहते थे। इसी दौरान इस प्रतियोगिता के बारे में शेरों के झुंड को पता चल गया। उन्होंने उस रास्ते को पहले से ही घेर लिया। शेरों को देखकर सभी जानवर यहां-वहां भागने लगे। जैसे-तैसे सबने अपनी जान बचाई। वापस आकर जानवरों ने राजू हाथी को सारी बात बताई। राजू हाथी प्रतियोगिता पूरी न हो पाने से उदास हो गया। वह बोला, ‘यह प्रतियोगिता बेकार हो गई, किसी को भी इनाम की ट्रॉफी नहीं मिल पाई।’ यहां सब उदास बैठे थे कि चींटी आती दिखी। धीरे-धीरे आती चींटी के चेहरे पर मुस्कान थी। जैसे ही चींटी पास आई सबने उसकी ख़ुशी का राज़ जानना चाहा। चींटी बड़ी ख़ुश हो बोली, ‘हाथी भाई! मैंने प्रतियोगिता पूरी की पर मैं सबसे बाद में आई, शायद सभी जानवर मुझ से पहले ही सुनहरे फूल की ख़ुशबू ले आए। लेकिन मुझे इसका दुःख नहीं कि मैं सबसे पीछे रही बल्कि मैं ख़ुश हूं क्योंकि मैंने भी प्रतियोगिता पूरी की।’ राजू हाथी चींटी की बातों से बड़ा ख़ुश हुआ। वह बोला, ‘प्यारी छोटी-सी चींटी रानी, तुम पीछे नहीं आई, बल्कि तुम ही आज की विजेता हो। सारे जानवर शेरों के भय से वापस लौट आए, लेकिन तुमने प्रतियोगिता को पूरा किया इसलिए तुम विजेता हो।’ सभी जानवर एक स्वर में बोले, ‘हम कैसे मान लें कि चींटी सुनहरे फूल की ख़ुशबू लेकर आई है? ऐसा करते किसी ने इसे नहीं देखा इसलिए ये झूठ भी बोल सकती है।’ तब राजू हाथी बोला, ‘नहीं! चींटी सच बोल रही है, क्योंकि सुनहरे फूल की ख़ुशबू जो भी लेता है वह ख़ुशबू उसके पास से भी आने लगती है। मैं उस ख़ुशबू को अच्छे से पहचानता हूं।’ सभी जानवर चींटी के पास से उस ख़ुशबू को महसूस कर पा रहे थे। छोटी-सी चींटी रानी को तालियों की गड़गड़ाहट के साथ विजेता की ट्रॉफी दी गई। चींटी आज अपने छोटे होने पर गर्व कर रही थी क्योंकि अपनी लघुता के कारण ही वह आज शेरों के झुंड से बच पाई थी।

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