कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद का मानना है कि देश का माहौल अच्छा नहीं है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर गहरा आघात हुआ है। आज भारत में लोग सुखी नहीं दिख रहे। इसका पहला कारण है लालच और दूसरा है बदलाव लाने वाले नेतृत्व की कमी। रविवार को डेली कॉलेज के एक कार्यक्रम में शामिल होने इंदौर आए खुर्शीद ने दैनिक भास्कर से बातचीत में हिंदुत्व, इस्लाम, लचर विपक्ष और उदयपुर हिंसा पर भी बात की...
देश में सांप्रदायिक तनाव का माहौल बना हुआ है। इसकी बड़ी वजह क्या है?
यह दुर्भाग्यपूर्ण है। इन बातों को जानबूझकर बढ़ावा दिया जा रहा है। अलग-अलग समुदायों और जाति-विशेष में जो कटुता बढ़ गई है, जिस तरह के घिनौने आरोप वे एक-दूसरे पर लगा रहे हैं उसकी तह में राजनीतिक कारण हैं। मुझे ऐसा लगता है कि देश के लोगों की सोच ऐसी नहीं है। किसी ने इसे बिगाड़ने का प्रयास किया है। मैं समझता हूं कि हमें थोड़ा संयम रखना होगा।
उदयपुर में कन्हैया की हत्या के पीछे सुप्रीम कोर्ट ने नूपुर की बयानबाजी को जिम्मेदार ठहराया है। इस पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं, आप क्या कहेंगे?
सुप्रीम कोर्ट से ऊंची और कोई संस्था हमारे पास नहीं है। अगर हम सहमत नहीं हैं तो आदरपूर्वक कहें कि इस पर पुनर्विचार किया जाए। लेकिन यह कहना गलत है कि सुप्रीम कोर्ट को समझ नहीं है और वह पक्षपात कर रहा है। सर्वोच्च अदालत को ही नकार देंगे तो फिर किसके पास जाएंगे अपनी बात लेकर।
विपक्ष इतना लचर क्यों है, क्या कांग्रेस के पास कोई चेहरा ही नहीं है?
कांग्रेस को बहुत गंभीरता से यह सोचना होगा कि देश और देश की सोच में ऐसा क्या बदलाव आया है, जिसमें हम फिट नहीं हो पा रहे। यह आत्मावलोकन का समय है।
क्या आम आदमी की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर आघात हुआ है?
देश का माहौल अच्छा नहीं है। आज भारत में लोग सुखी नहीं दिख रहे। हमारा नाम दुनिया के उन देशों में शामिल नहीं किया जा सकता है जो सुखी हैं, जहां चैन-ओ-अमन है। पहला कारण यह है कि लालच बहुत बढ़ गया है। जब पैसा नहीं चलता है तो हम धर्म की शरण में जाते हैं। अब हमें ऐसी लीडरशिप चाहिए जो इस सोच में आमूलचूल परिवर्तन ला सके, जैसे महात्मा गांधी ने किया था।
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