Header Ads Widget

Responsive Advertisement

दिलचस्प:मशरूम भी करते हैं आपस में बातें, विद्युत तरंगों द्वारा होता है सूचनाओं का आदान-प्रदान

  • कवक एक ऐसी प्रजाति है जो आपको अपने आसपास आसानी से दिखाई दे जाएगी। इसी कवक (फंगाई) को लेकर एक नए शोध में अनुमान लगाया गया है कि ये फंगाई आपस में बात भी कर लेते हैं।कैसे‌, पढ़िए...

मशरूम, ख़मीर, फफूंद आदि उस कुटुम्ब के सदस्य हैं जिसे कवक या फंगाई कहते हैं। प्रकृति में इनकी लगभग 1,44,000 प्रजातियां पहचानी गई हैं और ये हमारे पर्यावरण में एक महत्वपूर्ण योगदान देती हैं। ध्यातव्य है कि ये कवक ज़मीन के भीतर भी एक-दूसरे से जुड़े होते हैं। जैसे हमारे पूरे शरीर में कोशिकाएं फैली होती हैं, कुछ उसी प्रकार से।

जिस धागे जैसी संरचना से ये कवक आपस में जुड़े होते हैं उसे अंग्रेज़ी में हाइफ़ कहते हैं। ये हाइफ़ मिलकर माइसेलियम नामक संरचना का निर्माण करते हैं जो कि किसी जड़ की तरह दिखाई देती है। पूर्व में हुए एक शोध में यह बात सामने आई थी कि ये कवक इन हाइफ़ के माध्यम से आपस में विद्युत तरंगें भेज सकते हैं।

इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए पश्चिमी इंग्लैंड विश्वविद्यालय के कम्प्यूटर वैज्ञानिक एंड्रयू एडमात्ज़की ने एक नई खोज की है। उनका अनुमान है कि इन तरंगों के माध्यम से कुछ फंगाई आपस में संवाद स्थापित करते हैं। साथ ही उन्होंने शोध में यह भी निष्कर्ष निकाला कि इनके शब्दकोश में 50 शब्द मौजूद हैं।

इस शोध में एंड्रयू ने चार प्रकार के फंगाई को शामिल किया यथा - घोस्ट फंगाई, कैटरपिलर फंगाई, स्पिलिट गिल फंगाई और इनोकी फंगाई। इन भिन्न प्रकार की फंगाई में संकेतों के आदान-प्रदान के बारे में जानने के लिए उन्होंने इन मशरूमों के हाइफ़ से छोटे-छोटे इलेक्ट्रॉड्स को जोड़ा। इससे उन्हें इन फंगी द्वारा आपस में भेजे जाने वाले संकेतों में होने वाले उतार-चढ़ाव को दर्ज करने में सहायता मिली। इस शोध के परिणाम चौंकाने वाले रहे।

मशरूमों की हलचल के साथ-साथ, इनके संकेतों में भी निश्चित समय अंतराल में परिवर्तन हो रहा था। इन हलचलों का समय और लम्बाई भिन्न थे और कुछ-कुछ संकेत तो 21 घंटे जितने लम्बे भी थे। एंड्रयू ने इन सभी परिणामाें को दर्ज किया और कवक द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे संकेतों से कुल 50 शब्दों के शब्दकोश का अनुमान लगाया। हालांकि, इनमें से 15 से 20 फंगल शब्द अधिक और थोड़े-थोड़े अंतराल में उपयोग हो रहे थे। एंड्रयू बताते हैं कि इन चारों में से स्पिलिट गिल मशरूम ने बहुत अनोखे और जटिल वाक्यों का निर्माण किया था। बहरहाल, इस शोध में फंगाई के विद्युत संकेतों के पैटर्न को समझा गया, किंतु इससे यह कभी नहीं बताया जा सकता कि उनके बीच किस विषय पर संवाद हो रहा है।

एंड्रयू स्पष्ट करते हैं कि हमें वास्तव में नहीं पता कि मनुष्यों की संवाद प्रणाली और फंगाई के बीच विद्युत तरंगों के आदान-प्रदान में कोई समानता है भी या नहीं! यह भी सम्भव है जिस प्रकार भेड़िये आवाज़ करते हैं, उसी प्रकार फंगाई आपस में अपनी उपस्थिति का संकेत भेजते हों। यह भी हो सकता है कि वे कुछ भी न कह रहे हों लेकिन ये विद्युत तरंगें बिल्कुल भी असामान्य नहीं थीं। उनकी एक जैसी लय से यह तो अनुमान प्रबल हो जाता है कि फंगाई आपस में कोई बातचीत ज़रूर कर रहे होंगे।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ