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जब आप अपनी गलतियों को स्वीकारना शुरू करते हैं तो खुद से भागना छोड़ देते हैं

  • हाल ही में मानहानि के दावे में मिली जीत ने जॉनी डेप को चर्चा में बनाए रखा है, कैसा रहा उनका जीवन, कैसे जीते वो अपने जज्बातों से, जानिये यहां...

‘मैं स्कूल में कभी लोकप्रिय बच्चा नहीं रहा। अपनी दुनिया में खोया रहता था और सोचता था कि लोग मुझे ऐसे ही स्वीकारते क्यों नहीं हैं! 12 साल का हुआ तो सर्कस में मुंह से आग उगलने वाले को देखा, घर आकर वैसा करने की कोशिश की, जलते-जलते बचा! चार भाई-बहनों में सबसे छोटा था, घर का माहौल ठीक नहीं था। स्कूल मुझ पर हावी हो रहा था, पैरेंट्स को लेकर शर्मिंदा महसूस होता था। उस दौर में मुझे एक गिटार मिला। गिटार के आने से चीजें बदल गईं... गायब ही हो गईं। गिटार ने मुझे बचा लिया। मैं खुद को कमरे में बंद कर लेता था और खुद से ही गिटार सीखता था। 12 साल के लड़के के लिए गिटार उत्साहित करने वाला हो सकता था, लेकिन ऐसा था नहीं... गिटार मेरे लिए दुनिया से दूर अपना कोना था। मेरा यह भागना कई साल तक जारी रहा।
15 साल का हुआ तो पैरेंट्स अलग हो गए। इस अलगाव के लिए मैं काफी दिनों से तैयारी कर रहा था। लेकिन इससे मेरी मां बीमार हो गईं। मुझे मां को संभालने के लिए उनके पास जाना पड़ा। 20 साल में मेरी शादी हो गई थी। मैं मानता हूं कि पहली नजर में जो होता है, वह प्यार तो नहीं होता। असली प्यार तब होता है, जब आप सामने वाले को जानने लगते हैं। मैंने भी अपनी पहली पत्नी से प्यार किया, लेकिन गलतियां सभी से होती हैं, उनसे ही आप सीखते हैं। जब आप गलतियां स्वीकारना शुरू करते हैं, तो खुद से भागना छोड़ देते हैं। खुद से भागना बंद करना ही आपको सफलता की ओर लेकर जाता है। खुद से भागते हुए आप सही रास्ता चुन सकते हैं, सफल भी हो सकते हैं, लेकिन संतुष्ट नहीं होंगे, खुश नहीं रहेंगे। मुझे यह समझने में वक्त नहीं लगा। लोग पैसा, करियर, सफलता को हमेशा खुशी के साथ जोड़ते हैं, जबकि मैं ऐसा नहीं समझता। एक दोस्त की कही बात मुझे हमेशा याद रहती है- पैसा आपको कभी नहीं बदलता, केवल यह उजागर करता है कि आप असल में हैं क्या! सफलता का भी ऐसा ही है, वो आपको बदलती नहीं, केवल आपकी असलियत सामने लाती है। फिल्में चुनने में मैंने समझदारी नहीं दिखाई, मैं नहीं कह सकता कि बतौर बिजनेसमैन मैंने अच्छी फिल्में कीं और पैसा बनाया।
मैं पैसों के लिए काम नहींं कर सकता, इसलिए जो भी आज तक किया है उसका मुझे पछतावा नहीं है। ये हो सकता है कि और बेहतर कर सकता था। आप पैसों के पीछे जाएंगे तो कई दफा पछतावा होगा। जिंदगी में हर तरह का दौर आप देखेंगे.. कभी तूफान के बीच होंगे तो कभी किनारे पर... मायने यह रखता है कि आप उनसे जूझते कैसे हैं। आगे की जिंदगी इस लड़ाई पर तय होगी। खुद के साथ रहिए, भागिए नहीं। खुद को स्वीकारते ही आधी लड़ाई आप उसी पल जीत लेंगे।’ (कुछ इंटरव्यू में जॉनी डेप)
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कोई परफेक्ट नहीं
- लोग इसलिए नहीं रोते कि वो कमजोर होते हैं, ऐसा हो जाता है क्योंकि वो बहुत लंबे समय तक मजबूत बने रहे हैं।
- जो आपके पास नहीं है, उसे पाने की कोशिश में सबसे ज्यादा दर्द होता है।
- हममें से कोई भी परफेक्ट नहीं है।हमें इस पर शर्मिंदा नहीं होना चाहिए बल्कि इसका जश्न मनाना चाहिए।

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