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योगिनी एकादशी आज:सबसे पहले हेममाली यक्ष ने मार्कंडेय ऋषि की सलाह पर किया था ये व्रत, श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताई थी इसकी कथा

आषाढ़ मास का योगिनी एकादशी व्रत आज किया जा रहा है। पुराणों के मुताबिक इससे हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं और अच्छी सेहत के साथ ही सुख-समृद्धि भी बढ़ती है। इस व्रत को मार्कंडेय ऋषि की सलाह पर सबसे पहले हेममाली नाम के यक्ष ने किया था। क्योंकि वो कुबेर से मिले श्राप के कारण परेशान था। ये बात भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को बताई। इसके बाद से योगिनी एकादशी व्रत किया जाने लगा।

भगवान कृष्ण ने सुनाई थी कथा
इस व्रत के बारे में भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को एक कथा सुनाई थी। जिसमें राजा कुबेर के श्राप से कोढ़ी होकर हेममाली नामक यक्ष मार्कण्डेय ऋषि केआश्रम में जा पहुंचा। ऋषि ने उन्हें योगिनी एकादशी व्रत करने की सलाह दी। यक्ष ने ऋषि की बात मान कर व्रत किया और दिव्य शरीर धारण कर स्वर्गलोक चला गया।

पौराणिक कथा
व्रत को लेकर पौराणिक कथा है कि अलकापुरी का राजा कुबेर शिव-भक्त था। हेममाली नामक एक यक्ष उनका सेवक था, जो कुबेर की शिव पूजा के लिए फूल लाता था। हेममाली एक बार पत्नी प्रेम में पूजा के लिए पुष्प लाने से चूक गया। इससे नाराज होकर कुबेर ने माली को श्राप दिया कि वह स्त्री के वियोग में तड़पे और मृत्युलोक में जाकर कोढ़ रोग का रोगी बने। कुबेर के श्राप से वह कोढ़ नामक त्वचा रोग से ग्रस्त हो गया और पत्नी भी उससे बिछड़ गई।

एक बार मार्कण्डेय ऋषि से उसकी भेंट हुई। ऋषि ने उसे आषाढ़ माह के कृष्णपक्ष की एकादशी के व्रत से उसके सभी कष्ट दूर होने की बात कही। महर्षि के वचन सुन हेममाली ने एकादशी का विधानपूर्वक व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से वह अपने पुराने स्वरूप में आ गया उसका रोग भी दूर हो गया और वह अपनी पत्नी के साथ पुन: सुखपूर्वक रहने लगा।

योगिनी एकादशी पर क्या करें
सुबह जल्दी उठकर नहाएं और गंगा जल से भगवान विष्णु का अभिषेक करें। वामन अवतार की पूजा करें। पीले फूल और तुलसी चढ़ाएं। दिनभर अन्न न खाएं। ऐसा न कर सके तो सिर्फ फलाहार करें। सुबह जल्दी पीपल को जल चढ़ाएं। तुलसी की पूजा सुबह-शाम करें। जरुरतमंद लोगों को आंवला दान करें। खाना खिलाएं। कपड़े, छाता और जूते-चप्पल भी दान कर सकते हैं।

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