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ग्रह परिवर्तन:होलाष्टक आज से; आठ दिनों तक पूजा-अर्चना के लिए शुभ समय, इस बार दो दिन रहेगी पूर्णिमा तिथि

17 को प्रदोषकाल शाम 6.33 से, इसी दिन होलिका दहन, 18 को मनाई जाएगी धुलेंडी। - Dainik Bhaskar

17 को प्रदोषकाल शाम 6.33 से, इसी दिन होलिका दहन, 18 को मनाई जाएगी धुलेंडी।

होलिका दहन 17 मार्च को होगा। अष्टमी तिथि पर गुरुवार सेे आठ दिनी होलाष्टक की शुरुआत होगी। इस दौरान शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं, लेकिन देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना के लिए शुभ दिन माने जाते हैं। होलाष्टक को होली पर्व की सूचना लेकर आने वाला हरकारा भी कहा जाता है। होलाष्टक 10 मार्च से 17 मार्च तक रहेंगे। होलाष्टक से होलिका दहन और होली की तैयारी शुरू हो जाती है।

पं. भरत जोशी ने बताया इस दौरान ग्रह भी अपना स्थान परिवर्तन करते हैं, इसलिए इन आठ दिनों में कोई शुभ मुहूर्त नहीं होता है। प्रकृति में नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, इसलिए इस समय किसी भी नए व्यापार की शुरुआत नहीं करना चाहिए।

पौराणिक कथाओं में है यह मान्यता

होलाष्टक में शुभ कार्य नहीं करने के पीछे पौराणिक कथा है। कथा के अनुसार कामदेव द्वारा भगवान शिव की तपस्या भंग करने के कारण फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर क्रोध में आकर भगवान शिव ने कामदेव को भस्म कर दिया था। एक अन्य कथा के अनुसार राजा हिरण्यकश्यप ने बहन होलिका के साथ मिलकर अपने पुत्र प्रहलाद को भगवान विष्णु की भक्ति से दूर करने के लिए इन दिनों में यातनाएं दी थीं, इसलिए होलाष्टक में शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं।

शनि मंदिर में फाग महोत्सव 12 को : जवाहर मार्ग स्थित प्राचीनतम शनिदेव मंदिर में 12 मार्च को फाग महोत्सव व रंगोत्सव मनाया जाएगा। शनिदेव का विभिन्न रंगों से शृंगार किया जाएगा। { उषा नगर एक्सटेंशन उद्यान में 12 मार्च को शाम 7 बजे फाग उत्सव और लट्ठमार होली का आयोजन होगा।

17 को 1.31 से रात 1.10 बजे तक रहेगी भद्रा

पूर्णिमा इस बार दो दिन आ रही है। 17 मार्च को चतुर्दशी तिथि दोपहर 1 बजकर 1 मिनट तक है, उसके बाद पूर्णिमा तिथि प्रारंभ होगी। अगले दिन दोपहर 12.51 मिनट तक रहेगी। 17 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा। इस दिन रात में 12.56 मिनट के बाद भद्रा व्यतीत होने पर होलिका दहन किया जाएगा।

पं. जोशी ने बताया इस वर्ष होलिका दहन में भद्रा का साया है, लेकिन प्रदोषकाल में पाताल वासिनी भद्रा होने के कारण कोई बाधा नहीं आएगी। पूर्णिमा के दिन पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र, शूल योग, वणिज-बव करण और कन्या राशि का चंद्रमा रहेगा। प्रदोषकाल में पाताल वासिनी भद्रा रहेगी, जो शुभफल प्रदान करेंगी। 17 मार्च को दोपहर 1.31 बजे से रात 1.10 बजे तक भद्रा रहेगी और प्रदोष काल शाम 6.33 से रात 8.58 बजे तक रहेगा। इस समय में होलिका दहन किया जा सकता है। रात में 9.03 से 10.15 बजे तक भी होलिका दहन किया जा सकता है।

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