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सार्थक और प्रभावी शिक्षा के लिए जरूरी है मातृभाषा - मंत्री सुश्री ठाकुर

 

संस्कृति, पर्यटन और अध्यात्म मंत्री सुश्री उषा ठाकुर ने कहा कि विश्व में कई शोध यह प्रमाणित करते हैं कि प्रभावी और सार्थक शिक्षा के लिए मातृभाषा ही श्रेष्ठ माध्यम है। समाज और देश इसी से विकास कर सकता है। मंत्री सुश्री ठाकुर रविंद्र भवन में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर हुए 'मातृभाषा समारोह' को संबोधित कर रही थी। सुश्री ठाकुर ने कहा कि बहुभाषी देश में एक समुदाय द्वारा दूसरे समुदाय की संस्कृति और स्वाद का परस्पर आदान-प्रदान हो रहा है। इससे भाषाई विविधता में एकतात्मता का भाव पैदा हो रहा है। मंत्री सुश्री ठाकुर ने माँ सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर समारोह का शुभारंभ किया।

मंत्री सुश्री ठाकुर ने कहा कि स्वतंत्रता के 75 वर्ष को पूरे भारत में 'आजादी के अमृत महोत्सव' के रूप में मनाया जा रहा है। यह वर्ष उन महापुरुषों और क्रांतिकारियों को याद करने का वर्ष है, जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। सुश्री ठाकुर ने सभी आमजन से घर की बैठकों में एक क्रांतिकारी या महापुरुष का चित्र लगाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा यह चित्र परिवार के सदस्यों में चित्त का निर्माण करेगा। 

मातृभाषा समारोह 26 और 27 फरवरी 2022 को मातृभाषा मंच और मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद के संयुक्त प्रयासों से किया जा रहा है। साथ ही सांस्कृतिक संध्या का भी आयोजन किया गया। इसमें रविंद्र भवन मुक्ताकाश मंच से कई सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ कलाकारों द्वारा दी गई। पूर्व न्यायाधीश और एमपीपीएससी के पूर्व चेयरमैन श्री अशोक कुमार पांडेय, मातृभाषा मंच के अध्यक्ष श्री एस.के. राउत, श्री अमिताभ सक्सेना सहित विभिन्न भाषाओं के प्रबुद्धजन, प्रतिनिधि और बड़ी संख्या में नागरिक उपस्थित थे।

समारोह में आजादी के अमृत महोत्सव पर केन्द्रित प्रदर्शनी और विभिन्न भाषाई समाजों के पारंपरिक व्यंजनों के स्टाल लगाए गए हैं। साथ ही समारोह में 'स्वाधीनता संग्राम का सर्वव्यापी एवं सर्वस्पर्शी स्वरूप' विषय पर संज्ञान (बौद्धिक विमर्श), युवा संवाद, स्वाधीनता संग्राम में मातृ शक्ति के योगदान विषय पर संवाद भी किया जा रहा है। देश के विभिन्न हिस्सों से आये असमी, उड़िया, कन्नड़, कश्मीरी, उत्तराखंडी, गुजराती, बंगाली, भोजपुरी, मराठी, मलयाली, राजस्थानी, सिंधी, हरियाणवी, संस्कृत, पंजाबी, हिंदी, तेलुगू, नेपाली, तमिल आदि भाषाओं के कलाकार सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ देंगे।  

बौद्धिक विमर्श पर केंद्रित "संज्ञान" कार्यक्रम में "स्वाधीनता संग्राम का सर्वव्यापी एवं सर्व स्पर्शी स्वरूप" विषय पर समाजसेवी एवं विचारक श्री दीपक विस्पुते जी ने ओजस्वी उद्बोधन दिया। उन्होंने भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के कई अनछुए पहलुओं और ऐतिहासिक घटनाओं का प्रमाणिकता के साथ उल्लेख करते हुए कहा कि यह संघर्ष हमारी समझ से कहीं अधिक व्यापक, मजबूत और त्यागपूर्ण था।

दो दिवसीय मातृभाषा समारोह में रविवार 27 फरवरी को रविंद्र भवन में दोपहर 2 बजे युवा संवाद, शाम 4 बजे स्वाधीनता संग्राम में मातृ शक्ति के योगदान विषय पर संवाद और शाम को 6 बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। 


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