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हीरे की नई खदानें नहीं खुल पाईं:दुनिया की तीन बड़ी हीरा खदानों ने कच्चे माल के दाम बढ़ाए, बाजार में नहीं हो रही पर्याप्त सप्लाय

नई खदानें हैं नहीं, पुरानी बंद और बाकी आधी क्षमता से चल रहीं। - Dainik Bhaskar

नई खदानें हैं नहीं, पुरानी बंद और बाकी आधी क्षमता से चल रहीं।

दुनिया की तीन प्रमुख हिरा उत्पादक खदानों ऑस्ट्रेलिया की रियो टिंटो, रूस की अलरोसा और दक्षिण अफ्रीका की डी बीयर्स द्वारा कच्चे माल के दाम बढ़ाने का असर हीरे की कीमतों पर पड़ेगा। पॉलिश किया हुआ हीरा महंगा हो सकता है। दाम बढ़ने के अन्य कारण भी हैं।

दरअसल, दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में इस बार कोरोना संक्रमण के कारण हीरे की नई खदानें नहीं खुल पाईं। वहीं, जो पुरानी कुछ खदानें थीं, उनमें से कुछ बंद हो गईं और बाकी की खदानों में से अधिकतर कोरोना के कारण आधी क्षमता से ही चल पा रही हैं।

मुंबई के एक हीरा निर्यातक के मुताबिक दो महीने में ही कच्चे हीरे की कीमत 18 से 20 फीसदी तक बढ़ी है, जिससे प्रॉफिट मार्जिन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। पूर्व में जो रफ डायमंड खरीदा जा चुका है, उसे पॉलिश करने के बाद 10 से 12 फीसदी की बढ़ी हुई कीमत पर एक्सपोर्ट किया जाएगा। शेष|पेज 7 पर

खदानों द्वारा दो बार बढ़ाए जा चुके हैं भाव

जेम एंड ज्वेलरी काउंसिल ऑफ इंडिया के गवर्निंग बोर्ड ऑफ डायरेक्टर सुमित आनंद का कहना है कि विदेशों से आने वाला कच्चा माल महंगा हो चुका है। वहीं, इंदौर के बाजार में माल की शॉर्टेज है। सूरत और मुंबई से ही मुख्यत: पॉलिश हीरा इंदौर के बाजार में आता है। दो महीने में ही दो बार हीरे की खदानों द्वारा भाव बढ़ाए जा चुके हैं। ऐसे में आगामी वर्ष में इसमें काफी तेजी देखने को मिल सकती है।

शहर के सराफा व्यापारियों के मुताबिक दुनिया में बिकने वाले 15 में से 14 हीरे गुजरात के सूरत में पॉलिश किए जाते हैं। घरेलू बाजार के अलावा अमेरिका, हांगकांग और यूएई जैसे देश सूरत में पॉलिश किए हीरों के सबसे बड़े उपभोक्ता हैं। वहां से तैयार हीरों की मांग लगातार बढ़ने से उनके लिए प्रॉफिट मार्जिन बनाए रखना मुश्किल हो रहा है। यही हाल इंदाैर के हीरा व्यापारियों का भी है।

इन कैटेगरी में उपयोग होता है हीरा

इंदौर चांदी सोना जवाहरात एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल रांका के मुताबिक हीरे के भाव बढ़ने से अब इसमें रिवर्स बाइंक शुरू हो गई है। सूरत और मुंबई के हीरा व्यापारी अब देशभर के हीरा व्यापारियों से उन हीरों को वापस खरीद रहे हैं जो पूर्व में उन्होंने ही बेचे थे। हीरा प्रमुख रूप से स्टार, मेले और सॉलिटेयर्स तीन कैटेगरी में ही ज्यादातर चलन में रहता है। इसमें स्टार को फेंसी ज्वेलरी में उपयोग किया जाता है। मेले को चूड़ी, हार में उपयोग करते हैं। सॉलिटेयर्स को अंगूठी और नेकलेस में उपयोग किया जाता है।

इंदौर में हर माह 30 करोड़ तक के हीरे बिक जाते हैं

आनंद ज्वेल्स के गौरव आनंद के मुताबिक हीरे की दुनिया की तीन बड़ी खदानों द्वारा कच्चे माल के दाम हाल ही में दूसरी बार बढ़ाए गए हैं। इसका असर तैयार माल की कीमतों पर तीन से चार सप्ताह में देखने को मिलेगा। प्रतिमाह इंदौर में हीरे का कामकाज करने वाले लगभग 20 ज्वेलरी व्यापारियों द्वारा 30 करोड़ रुपए तक का व्यापार किया जाता है। ऐसे में हीरे के दाम बढ़ने की आशंका है।

इंदौर के व्यापारियों की मांग नहीं हो पा रही पूरी

सूरत के एक हीरा व्यापारी ने बताया कि वहां के हीरा बाजार में ही पर्याप्त माल उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। ऐसे में देश के अन्य हिस्सों में भी यहां से कम माल भेजा जा रहा है। इंदौर की डिमांड को भी सूरत का बाजार पूरा नहीं कर पा रहा है। असल में हीरे के कच्चे माल की आवक बढ़ी कीमतों पर होने से ऐसा हो रहा है।

मांग मुताबिक सप्लाय नहीं होने से बढ़े दाम

हीरे की कीमतों में उछाल के दो प्रमुख कारण उत्पादन में कमी और मांग में बढ़त है। कच्चे माल की कीमतों में बढ़त के चलते तैयार माल भी महंगा होगा। पहले ही दो बार हीरे के दाम में बढ़त हो चुकी है और आगे भी इसका असर देखने को मिलेगा।- दामजी मवाणी, सचिव, सूरत डायमंड एसोसिएशन

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