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मप्र में एक रुपए में एक किलो प्याज मिल रहा है मामला रतलाम का है। यहां भाव नहीं मिलने किसान नाराज हैं

मप्र में एक रुपए में एक किलो प्याज मिल रहा है। मामला रतलाम का है। यहां भाव नहीं मिलने किसान नाराज हैं। किसान मंडी में ही प्याज फेंककर जा रहे हैं। रतलाम कृषि उपज मंडी में मीडियम क्वालिटी के एक किलो प्याज का रेट 1 रुपए तक मिल रहे हैं। एक सप्ताह से प्रतिदिन 200 से ज्यादा ट्रॉली नई प्याज मंडी में आ रहा है। किसानों को हल्की और मध्यम गुणवत्ता वाले प्याज का कोई खरीदार ही नहीं मिल रहा है। प्याज का न्यूनतम मूल्य 100 क्विंटल तक लगाया जा रहा है। वहीं, रतलाम से 600 किलोमीटर दूर जबलपुर में प्याज के थोक रेट 25 रुपए किलो है। खुदरा रेट 45 रुपए किलो तक है। इंदौर में थोक रेट 15 और खुदरा में 25 रुपए तक है।

लागत भी नहीं निकाल पा रहे किसान

मंडी में प्याज लेकर पहुंचे किसान अपनी फसल को औने-पौने दाम पर ही बेच रहे हैं। वहीं, फसल नहीं बिकने पर प्याज मंडी में ही छोड़कर जा रहे हैं। मौसम खराब होने से किसानों को कृषि मंडी में दोहरी मार भी सहना पड़ रही है। बारिश की आशंका से खुले में पड़ा प्याज खराब होने की चिंता भी सता रही है। प्याज की खेती करने वाले किसान गिरी हुई कीमतों की वजह से लागत मूल्य भी नहीं निकाल पा रहे हैं।

100KM दूर से मंडी पहुंचे किसान, भाड़ा और मजदूरी तक नहीं निकली

विक्रमगढ़ आलोट से रतलाम कृषि उपज मंडी में प्याज की फसल लेकर पहुंचे किसान श्याम सिंह का कहना है कि 100 किलोमीटर दूर से ट्रैक्टर ट्रॉली का भाड़ा लगाकर मंगलवार रात में रतलाम मंडी में फसल बेचने आए थे। आज नीलामी में उनकी फसल 320 प्रति क्विंटल ही बिकी है। जिसमें उनका ट्रैक्टर ट्रॉली का भाड़ा और मजदूरी भी नहीं निकल पाएगा। बरबोदना के किसान अपनी फसल नहीं बिकने पर पशुओं को खिलाने के लिए प्याज की ट्रॉली वापस लेकर चले गए। कुछ दिनों पहले 30 रुपए किलो तक प्याज बिक रही थी। अब न्यूनतम एक रुपए किलो तक में भी बिक रहा है।

मंडी में 200 ट्रॉली प्याज आ रही

​​​​​​प्याज की 200 ट्रॉली प्रतिदिन नीलामी के लिए पहुंच रही है। किसान ग्रेडिंग किए बिना अपनी फसल लेकर मंडी में पहुंच रहे हैं। जिसमें गुणवत्ता कमजोर होने पर प्याज के खरीदार नहीं मिल रहे है। अच्छी गुणवत्ता का प्याज 1500 से 2200 रुपए प्रति क्विंटल तक बिक रहा है। न्यूनतम100 रुपए प्रति क्विंटल के सौदे हो रहे हैं । फसल नहीं बिकने पर किसान अपना बचा हुआ माल मंडी में ही छोड़ कर चले जाते हैं।

मानसिंह मुनिया, मंडी सचिव, कृषि उपज मंडी रतलाम

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