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दूर के दर्शन:देश के कोने-कोने में निर्मित हैं भव्य और कलात्मक मंदिर, सैकड़ों वर्ष प्राचीन इन मंदिरों का स्थापत्य लोगों को आश्चर्य में भर देता है

 

  • विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक हमारा राष्ट्र अपने अतीत के कई वैभवशाली आयामों में विस्तार पाता है। यहां के प्राचीन मंदिर भारतीय इतिहास, साहित्य, कला और मूर्तिकला के चरमोत्कर्ष को छूते अपने वैभव को बयां करते हैं।
  • इस बार कुछ ऐसे ही मंदिरों का दर्शन, जिनका भव्य रूप आपको आश्चर्य से भर सकता है और जिनका कलात्मक सौंदर्य महान शिल्पियों की गाथा गाता है।

01. राजराजा के ईश्वर
बृहदेश्वर मंदिर...

विश्व के प्रमुख ग्रेनाइट मंदिरों में से एक है बृहदेश्वर, जो कि तमिलनाडु के तंजौर में स्थित है। कैलाशपति शिव को समर्पित इस मंदिर का निर्माण 11वीं सदी में चोल शासक महाराजा राजराजा प्रथम ने 5 वर्ष की अवधि मंे करवाया था। यह मंदिर अपनी कलात्मकता के कारण विश्व धरोहर सूची में शामिल है। 13 मंज़िला इस मंदिर की ऊंचाई 66 मीटर है।

02. मां मीनाक्षी की नगरी
मीनाक्षी अम्मन मंदिर...

तमिलनाडु के मदुरै में स्थित देवी पार्वती के इस प्रसिद्ध एवं प्राचीन मंदिर में बारह बड़े गोपुरम हैं। अनुमानित तौर पर मंदिर के गलियारे और स्तम्भों पर 33 हज़ार से अधिक प्रतिमाएं हैं, जो कि पुराणों की कथाओं या स्थानीय किंवदंतियों को बांचती हैं। चितिरई यानी चैत्र माह में मीनाक्षी अम्मा और भगवान सुंदरेश्वर (शिवजी) के विवाह का उत्सव एक मास तक मनाया जाता है।

03. भगवान का निवास
अक्षरधाम मंदिर...

राजधानी दिल्ली स्थित यह मंदिर यूं तो आज के समय में निर्मित है, किंतु इसका भव्यातिभव्य रूप, कलात्मक उन्नतता और आध्यात्मिक महत्व इसे औरों से जुदा करते हैं। अक्षरधाम का अर्थ होता है भगवान का निवास। यह भगवान स्वामीनारायण, हिंदू धर्म के ऋषियों, देवों और अवतारों को समर्पित है। यहां पर कई फ़िल्म एवं प्रदर्शनियों के ज़रिए भारत की शानदार विरासत के 10 हज़ार वर्षों का सफ़र कराया जाता है।

04. भगवान कृष्ण का धाम
द्वारकाधीश मंदिर...

प्राचीन सप्तपुरियों तथा देश के चारों कोनों में स्थित चार धामों में से एक। यहां भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी नगरी बसाई थी और जिस स्थल पर उनका ‘हरिगृह' था, आज वहीं पर द्वारकाधीश मंदिर स्थित है। मान्यता है कि मूल मंदिर का निर्माण भगवान के प्रपौत्र वज्रनाभ ने करवाया था। मंदिर के 78.3 मीटर ऊंचे शिखर पर करीब 84 फ़ीट लम्बी धर्मध्वजा फहराती रहती है।

05. खजुराहो का सौंदर्य
कंदरिया महादेव मंदिर...

खजुराहो मंदिर समूह में सबसे बड़ा यह मंदिर महादेव को समर्पित है। यह 109 फ़ीट लम्बा, 60 फ़ीट चौड़ा और 116 फ़ीट ऊंचा है। अर्द्धमण्डप, महामण्डप, मण्डप, अंतराल, प्रदक्षिणा पथ, गर्भगृह से युक्त यह मंदिर भारतीय वास्तुकला का अनुपम उदाहरण है।

06. समुद्र किनारे शिव
मुरुदेश्वर मंदिर...

भगवान शिव ने रावण को एक आत्मलिंग दिया था, लेकिन रावण उसे अपने साथ लंका नहीं ले जा पाया। कर्नाटक की कंदुका पहाड़ी पर अरब सागर के किनारे यह शिवलिंग स्थापित हुआ, जिसे आज मुरुदेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है। मंदिर का लगभग 250 फ़ीट ऊंचा गोपुरम और 123 फ़ीट ऊंची शिव प्रतिमा प्रमुख आकर्षण का केंद्र हैं।

07. सूर्यदेव का रथ
कोणार्क सूर्य मंदिर...

उड़ीसा के कोणार्क में बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित इस भव्य मंदिर का निर्माण गंग वंश के नरसिंहदेव प्रथम ने 13वीं शताब्दी में करवाया था। कोणार्क का शाब्दिक अर्थ होता है कोण तथा अर्क यानी सूर्य। सूर्य देव के रथ के रूप में निर्मित यह मंदिर आज एक विश्व-विरासत स्थल है। निर्माण के समय इसकी ऊंचाई लगभग 227 फ़ीट यानी 70 मीटर के आसपास थी।

08. पूर्णता का पर्याय
कैलाशनाथ मंदिर...

महाराष्ट्र के एलोरा की प्रसिद्ध गुफाओं में स्थित यह मंदिर स्थापत्य और तक्षणकला में अपने समकक्ष किसी को नहीं रखता है। यह मंदिर एक ही विशाल शिलाखंड को तराशकर बनाया गया है, जिसका निर्माण राष्ट्रकूट शासक कृष्ण प्रथम ने करवाया था। इस मंदिर को 7,000 मज़दूरों ने 150 वर्षों में पूर्ण किया था। भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर कैलाश पर्वत की अनुकृति के रूप में निर्मित है।

09. शिल्पसौंदर्य का अग्रणी
रणकपुर जैन मंदिर...

राजस्थान के रणकपुर में अरावली की घाटियों में स्थित यह जैन मंदिर आदिदेव ऋषभदेवजी को समर्पित है। मंदिर के भीतर 1,444 स्तम्भ हैं, जिन पर कई कलात्मक निर्माण किए गए हैं। धरणी शाह नामक पोरवाल के स्वप्न में आए एक दिव्य रथ की कल्पना को साकार करने के लिए इस मंदिर का निर्माण मेवाड़ के महाराणा कुम्भा के शासनकाल में हुआ था।

10. विजयनगर का वैभव
विरुपाक्ष मंदिर...

भगवान शिव का यह मंदिर महान साम्राज्य विजयनगर की राजधानी आज के हम्पी में स्थित है। 1509 में सम्राट कृष्णदेव राय ने अपने राज्याभिषेक के समय यहां गोपुरम का निर्माण करवाया था। मंदिर का शिखर ज़मीन से 50 मीटर ऊंचा है।

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