Header Ads Widget

Responsive Advertisement

कार्तिक पंचपर्व की शुरुआत 2 नवंबर से:इस बार धनतेरस पर त्रिपुष्कर शुभ योग के साथ शुरू होगा पांच दिनों का दीपोत्सव

 

  • 2 नवंबर को धनतेरस से पंचपर्व की शुरुआत होगी और ये 6 नवंबर को भाई दूज के साथ खत्म होगा

इस बार महालक्ष्मी का पंचपर्व दीपोत्सव त्रिपुष्कर योग में शुरू होगा। पांच दिन तक चलने वाला दीपोत्सव धन त्रयोदशी से भाई दूज तक चलेगा। पहला पर्व कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनाध्यक्ष कुबेर के पूजन से शुरू होकर मृत्यु के देवता यमराज के लिए दीपदान तक चलेगा।

कब कौन सा पर्व
धनतेरस 2 नवंबर को मनाई जाएगी। त्रयोदशी तिथि मंगलवार सुबह 11:31 से शुरू होगी और बुधवार सुबह 9:03 तक रहेगी। त्रिपुष्कर योग सुर्योदय से सुबह 11:31 बजे तक रहेगा। रूप चतुर्दशी 3 नवंबर बुधवार को सर्वार्थसिद्धि योग मनाया जाएगा। 4 नवंबर को दिवाली, 5 को गोवर्धन पूजा के साथ देवी अन्नपूर्णा की पूजा और अन्नकूट महोत्सव भी रहेगा। 6 नवंबर को विशेष योगों के बीच भाई दूज पर्व मनेगा।

धनतेरस : दीपदान की होगी शुरुआत
चिकित्सक अमृतधारी भगवान धन्वन्तरि की पूजा करेंगे। इसी दिन से देवता यमराज के लिए दीपदान से दीप जलाने की शुरुआत होगी और पांच दिनों तक जलाए जाएंगे। ज्योतिषशास्त्री पं. दिनेश मिश्रा के अनुसार लोकाचार में इस दिन खरीदे गए सोने या चांदी के धातुमय पात्र अक्षय सुख देते हैं। लोग नए बर्तन या दूसरे नए सामान खरीदेंगे।

रूप चतुर्दशी : महिलाएं संवारेगी रूप
चतुर्दशी तिथि को भगवान विष्णु ने माता अदिति के आभूषण चुराकर ले जाने वाले निशाचर नरकासुर का वध कर 16 हजार कन्याओं को मुक्ति दिलाई थी। परंपरा में इसे शारीरिक सज्जा और अलंकार का दिन भी माना गया है। इसे रूप चतुर्दशी भी कहा जाता है। इस दिन महिलाएं ब्रह्म मुहूर्त में हल्दी, चंदन, सरसो का तेल मिलाकर उबटन तैयार कर शरीर पर लेप कर उससे स्नान कर अपना रूप निखारेंगी।

दीपावली: महालक्ष्मी-गणेश पूजन
अथर्ववेद में लिखा है कि जल, अन्न और सारे सुख देने वाली पृथ्वी माता को ही दीपावली के दिन भगवती लक्ष्मी के रूप में पूजा जाता है। कार्तिक अमावस्या का दिन अंधेरे की अनादि सत्ता को अंत में बदल देता है, जब छोटे-छोटे ज्योति-कलश दीप जगमगाने लगते हैं। प्रदोषकाल में माता लक्ष्मी के साथ गणपति, सरस्वती, कुबेर और भगवान विष्णु की पूजा का विधान है।

गोवर्धन पूजा: बंटेगा अन्नकूट
दीपावली के अगले दिन राजा बली पर भगवान विष्णु की विजय का उत्सव है। ऋग्वेद में उल्लेख है कि भगवान विष्णु ने वामन रूप धरकर तीन पदों में सारी सृष्टि को नाप लिया था। श्रीकृष्ण ने इसी दिन देवेंद्र के मानमर्दन के लिए गोवर्धन को धारण किया था। शहर में स्थान-स्थान जगह-जगह नवधान्य के बने हुए पर्वत शिखरों का भोग अन्नकूट प्रसाद के रूप में वितरित जाएगा।

भाईदूज : भाई करेंगे बहनों के घर भोजन
भविष्य पुराण में लिखा है कि इस दिन यमुना ने अपने भाई यम को अपने घर पर भोजन करने के लिए आमंत्रित किया था। यही वजह है कि आज भी इस दिन समझदार लोग अपने घर मध्याह्न का भोजन नहीं करते। कल्याण और समृद्धि के भाई को इस दिन अपनी बहन के घर में ही स्नेहवश भोजन करना चाहिए।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ