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चिंता हुई कम; 32 इंच तक पहुंचा आंकड़ा:सोयाबीन की फसलें तैयार, इंदौर के तालाब अच्छी स्थिति में, अप्रैल-मई में जलसंकट की आशंका नहीं

इस बार मानसून की बेरुखी और अलग-अलग दौर में हुई बारिश के बावजूद जिले में 32 इंच बारिश हो चुकी जबकि औसतन कोटा 34-35 इंच का है। अभी मानसून की बिदाई में कैलेंडर के हिसाब से सितम्बर के चार दिन बाकी हैं। मौसम विभाग ने भी 29 सितम्बर तक खुश्म मौसम के साथ बारिश की संभावना जताई है। अगर बारिश हो तो भी यह जिले के लिए अच्छा होगा और अगर नहीं होती है या कम भी होती है तो अब इतनी चिंता की बात नहीं है। जिले के बड़े तालाब लबालब होकर स्थिति अच्छी है। ऐसे में अप्रैल-मई में जलसंकट की आशंका नहीं है। इसी कड़ी में जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट ने इंदौर को जल प्रबंधन के मामले में देश में नंबर 1 होने के लिए उचित निर्देश दिए हैं। दूसरी ओर मालवा-निमाड़ सहित आसपास के क्षेत्रों में पहले बोवनी हुई सोयाबीन भले ही कुछ खराब हो गई हो लेकिन दूसरी बोवनी की सोयाबीन की नई वैरायटियों की फसलें पककर तैयार हैं और किसानों के चेहरे खिल गए हैं।

इस साल मानसून आने में काफी समीकरण बदलते गए लेकिन फिर अगस्त की बारिश ने आमजन और खासकर किसानों को निराश किया था। स्थिति यह थी कि जुलाई-अगस्त में केवल 10 इंच ही बारिश हुई थी लेकिन सितम्बर के पहले दिन से ही अच्छी बारिश शुरू हो गई। इन 25 दिनों में कभी मौसम खुश्क तो कभी ऐसे ही मौसम में दोपहर बाद बादल छा जाने के साथ कई बार बारिश हुई। दरअसल, इस बार अरब सागर की खाड़ी व बंगाल की खाडी के बीच टर्फ लाइन द्रोणिका बनने से मप्र के इंदौर, मालवा निमाड़ सहित कई हिस्सों में बारिश का असर रहा। हालांकि इस पूरे माह जिले में कभी भी तीन घंटे मूसलधार बारिश नहीं हुई लेकिन रुक-रुककर हुई तेज, सामान्य और रिमझिम ने 24 दिन में करीब 22 इंच तक जा पहुंची और इस मौसम में अब 32 इंच बारिश हो चुकी है।

चार बड़े तालाब हुए लबालब

ऐसे ही तालाबों की स्थिति जाने तो सबसे बड़े सिरपुर तालाब की क्षमता 19 फीट है। बीते 10 दिनों में इसने कई बार क्षमता से ज्यादा का जल स्तर पार किया लेकिन सायफन ज्यादा देर तक खोले नहीं जा सके क्योंकि बारिश का तेजी वाला रुख लगातार नहीं रहा। अभी भी यह अपनी क्षमता तक तो लबालब है। ऐसे ही बडे सिरपुुर तालाब की क्षमता 16 फीट है जिसमें अभी 15.2 फीट तक पानी भरा है। छोटा सिरपुर की क्षमता 14 फीट है जिसमें 13.12 फीट पानी है। पीपल्यापाला तालाब (रीजनल पार्क) की क्षमता 22 फीट है जो लबालब है। ऐसे ही बड़ा बिलावली की क्षमता 34 फीट है जिसमें 23.5 फीट पानी व छोटा बिलावली की क्षमता 22 फीट है जिसमें 8.10 फीट पानी भरा है।

जल प्रबंधन में नं. 1 के लिए तैयारियां

इस बीच इंदौर को स्वच्छता तथा वॉटर प्लस में नंबर वन रहने के साथ ही अब जल प्रबंधन में भी नंबर वन बनाने की प्रारंभिक तैयारियां शुरू हो गई है। शनिवार को जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट की अध्यक्षता में रेसीडेंसी में इस दिशा में रणनीति तैयार करने के लिए बैठक आयोजित की गई। इंदौर उत्थान अभियान से जुडी प्रमुख संस्थाओ के पदाधिकारियों के साथ हुई इस बैठक में मंत्री सिलावट ने इस पहल की प्रशंसा की। बताया गया कि "स्वच्छता में नंबर वन", "वाटर प्लस में नंबर वन’ का दर्जा प्राप्त करने के बाद प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के आह्वान के अंतर्गत अब इंदौर जल प्रबंधन में बने नंबर 1’ यह अनूठी पहल है। सदस्यों द्वारा किया गया गहन अध्ययन सिर्फ इंदौर व प्रदेश को ही नहीं बल्कि सारे देश को "बेहतर जल प्रबंधन व्यवस्था कायम कर जल का सम्मान करने हेतु प्रेरित करेगा। सिलावट ने कहा कि आने वाली पीढ़ी को बेहतर इंदौर सौंपने के लिए आप लोग सदैव गहन अध्ययन और इसे मूर्त रूप देने हेतु सदैव दिन-रात प्रयास करते रहते हैं। मध्यप्रदेश सरकार आपके द्वारा किए गए प्रयासों एवं विकास के लिए उठाए गए हर मुद्दे पर गंभीरता से विचार कर तुरंत उचित कदम उठाएगी।

इंडियन सोयाबीन रिसर्च इंस्टिट्यूट ने सोयाबीन फसलों पर जताया संतोष

उधर, अच्छी बारिश के चलते मालवा-निमाड सहित आसपास के क्षेत्रों में सोयाबीन की दूसरी बोवनी की फसलें पककर तैयार हैं। आष्टा व सीहोर के अलावा इनके आसपास के गांव इछावर, मैना, कोटरी, वफापुर, बागेर, भंवरा, खड़ी, जावर, मेतवाड़ा क्षेत्र की नई सोयाबीन फसलों की अच्छी ग्रोथ होने से किसान विनोद वर्मा (टिटोरिया), मनोहर पटेल (खड़ी), अनिल सरोसिया (मैना), रोहित वर्मा (कोतरी), देवकरण व अनिल वर्मा (वफापुर) सहित सारे किसानों के चेहरे खिले हैं। बस अब बारिश के रुकने का इंतजार है और फिर कटाई होगी। शनिवार को इंडियन सोयाबीन रिसर्च इंस्टिट्यूट इंदौर के अधिकारियों ने इन क्षेत्रों के खेतों में जाकर स्थिति जानी। इंस्टि्यूट की डायरेक्टर डॉ.नीता खांडेकर, डॉ. पूनम कुचलान, सीनियर वैज्ञानिक डॉ. लोकेश मीणा, भवानीसिंह राठौर आदि ने फसलों की ग्रोथ पर संतोष जताया। उन्होंने किसानों को बताया गया कि सोयाबीन और गेहूं की बुवाई बीबीएफ ब्रॉड बेड फर्रो मशीन से करें जिसमें दोनों साइड नालियां बनती है जिसका फायदा यह है कि कम पानी गिरता है तो नालियों को दोनों मेड से बंद कर दे तो फसल के लिए नमी बनी रहती है। एेसे अगर ज्यादा पानी गिरता है तो नालियों को दोनों मेड से खोल दें तो जो अतिरिक्त पानी है वह उन नालियों के माध्यम से बाहर निकल जाता है। कुछ किसानों ने इसे अपनाया जिसके चलते फसलें बहुत अच्छी स्थिति में है।

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