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परेशानी:मुफ्त बिजली बंटवाने के बाद सरकार ने अनुदान के 21 हजार करोड़ रुपए नहीं चुकाए कंपनी को

 

दो साल गर्मियों में लाॅकडाउन की वजह से वसूली नहीं हुई बकाया की। - Dainik Bhaskar
दो साल गर्मियों में लाॅकडाउन की वजह से वसूली नहीं हुई बकाया की।

प्रदेश में कमजोर मानसून और बारिश के सीजन में ट्यूबवेल से सिंचाई की नौबत ने ऊर्जा विभाग को सांसत में डाल रखा है। बिजली की मांग कम होने का नाम नहीं ले रही है। अधिक मांग की वजह से वितरण कंपनी को बिजली खरीदना भारी पड़ रहा है। दरअसल, कांग्रेस और भाजपा सरकार ने घोषणा-पत्र के वादे को पूरा करने के लिए वितरण कंपनी की कमर तोड़ रखी है। पिछले पांच साल में दोनों सरकार की योजनाओं से इंदौर-उज्जैन संभाग के 16 जिलों में 21 हजार करोड़ रुपए की बिजली के बिल अनुदान के रूप में छोड़ दिए गए हैं।

यह पैसा सरकारों ने वितरण कंपनी को देना था, लेकिन पांच साल में एक कौड़ी भी कंपनी को नहीं चुकाई गई। ऊपर से बिजली उत्पादन केंद्र भी कोयले की किल्लत के चलते बंद पड़े हैं। निजी सेक्टर से बिजली खरीदना पड़ रही है। इंदौर संभाग के छह और उज्जैन के चार जिलों को बिजली कटौती के लिए तैयार रखा गया है। घोषित रूप से भले ही लोड शेडिंग नहीं की जा रही, लेकिन इंदौर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में दिन में कई बार दो से तीन घंटे के लिए बिजली बंद करना पड़ रही है।

ढाई लाख लोगों को मिले 150 रुपए बिल
100 यूनिट तक 150 रुपए बिल आने का लाभ अकेले इंदौर शहर में ढाई लाख लोगों को दिया गया। पिछले तीन साल से यह योजना चल रही है। हर महीने अनुदान की राशि सरकार पर बकाया होती जा रही है। यह बढ़ते-बढ़ते 21 हजार रुपए तक पहुंच गई है। अगस्त की ही बात करें तो 16 जिलों में 31.81 लाख उपभोक्ताओं को 1 रुपए यूनिट के हिसाब से बिल भेजे गए हैं।

200 रुपए की योजना का पैसा भी नहीं आया
2017-18 में सरकार ने कमजोर वर्ग के महीनों व वर्षों के बकाया बिल मात्र दो रुपए से जमा करवाकर माफ कर दिए थे। ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में हुए संभागीय कार्यक्रम में ऐसे भी उपभोक्ता थे, जिनके बिल सवा लाख से ढाई लाख रुपए तक थे। उनके केवल 200 रुपए जमा करवाकर पूरे बिल माफ हो गए थे। दोनों संभाग के मिलाकर 10 लाख से ज्यादा उपभोक्ताओं को इसका लाभ दिया था। इस योजना में भी एक हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि माफ की गई थी, जिसका भुगतान सरकार को करना था।

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