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इंदौर:पहले डोज के टारगेट सिर्फ 1 फीसदी दूर, आज 70 मोबाइल वेन टीमें एक-एक को ढूंढ़कर लगाएगी वैक्सीन, शाम तक टारगेट संभव

 

शहरी क्षेत्र में पहले डोज का 100 फीसदी टारगेट पूरा करने के बाद वह जिले में भी इस टारगेट से सिर्फ 1 फीसदी दूर है। - Dainik Bhaskar
शहरी क्षेत्र में पहले डोज का 100 फीसदी टारगेट पूरा करने के बाद वह जिले में भी इस टारगेट से सिर्फ 1 फीसदी दूर है।

स्वच्छता, स्मार्ट सिटी, वैक्सीनेशन महाभियान जैसे क्षेत्रों में देश में परचम लहराने वाला इंदौर बस कुछ ही घंटों में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल करने की ओर अग्रसर है। शहरी क्षेत्र में पहले डोज का 100 फीसदी टारगेट पूरा करने के बाद वह जिले में भी इस टारगेट से सिर्फ 1 फीसदी दूर है। रविवार को इस टारगेट को पूरा करने के लिए 70 मोबाइल वेन पूरे जिले खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में घूमेगी और एक-एक ऐसे पात्र व्यक्ति को ढूंढ़कर वैक्सीन लगाएगी जिसने अभी तक पहला डोज नहीं लगाया है। 28 लाख पात्र लोगों में से अब मात्र 40 हजार लोग ही ऐसे बचे हैं। इसके लिए जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग, नगर निगम, नगर पंचायत, जनपद पंचायत, एनजीओ आदि ने पूरी ताकत झोंक दी है। संभव है कि शाम तक यह टारगेट पूरा कर इंदौर ऐसा जिला बन जाएगा जहां पहले डोज 100 फीसदी हो जाएगा। यानी 28 लाख लोग सुरक्षा कवच में होंगे।

दरअसल, अब 40 हजार जो लोग बचे हैं वे अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों के ही हैं। शनिवार को इसके लिए 30 मोबाइल वेन टीमें लगाई गई थी जिसे रविवार को दो गुना से भी ज्यादा (70) किया गया है। वैसे अब तक 98.88 फीसदी लोगों को पहला डोज लग चुका है जबकि 33.46 फीसदी ऐसे लोग हैं जिनके दोनों डोज पूरे हो चुके हैं। ऐसे में पूरे जिले में पहला डोज पूरा करने के बाद जिला प्रशासन का फोकस फिर दूसरे डोज पर ही रहेगा जिसे फिर आसानी से पूरा किया जा सकता है। रविवार को 1 लाख सेल ज्यादा वैक्सीन लगाने का लक्ष्य रखा गया है जिसके लिए 400 से ज्यादा सेंटर बनाए गए हैं।

इसलिए है आज के दिन पर फोकस और तैयारियां

इस बीच कलेक्टर मनीष सिंह ने 29, 30 व 31 अगस्त तक पहला डोज लगाने वालों के लिए लकी ड्रा के माध्यम से पुरस्कृत करने की घोषणा की है जिसमें फ्रिज, माइक्रोवेव, मिक्सर, गैस चूल्हे जैसे पुरस्कार रखे गए हैं। ये पुरस्कार गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा दिए जाएंगे। फिर भी हर संभव कोशिश है कि यह उपलब्धि रविवार को ही हासिल कर ली जाए क्योंकि 40 हजार लोगों को अब वैक्सीन लगाना कठिन नहीं है। कारण यह भी है कि अब पर्याप्त मात्र में वैक्सीन (कोविशील्ड व कोवैक्सीन दोनों) भी उपलब्ध हैं।

- रविवार को अवकाश होने से बचे लोगों तक पहुंचने में आसानी होगी।

- जिन गर्भवती महिलाओं का पहला डोज बचा है उसके लिए पीसीएनपीएनडीटी विभाग से मदद ली जा रही है क्योंकि उक्त विभाग के पास गर्भवती महिलाओं का पूरा रिकॉर्ड रहता है।

- 400 से ज्यादा सेंटरों पर टीमे, 70 मोबाइल वेन टीमों के अलावा स्पेशल टीम भी बनाई गई है।

- वोटर कार्ड लिस्ट के माध्यम से वैक्सीन नहीं लगवाने वालों को क्रॉस चेक किया जा रहा है।

- आंगनवाडी व आशा कार्यकर्ताओं की मदद ली जा रही है।

- ग्रामीण क्षेत्रों में खुद सीएचओ (कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर) टीम के साथ पहले डोज के बचे लोगों का पता लगाने में जुटे हैं।

- सभी एसडीएम व तहसीलदारों द्वारा मैदानी तौर पर इसकी मॉनिटिरंग की जा रही है।

- आधार कार्ड, आयुष्मान कार्ड आदि माध्यमों से भी छूटे हुए लोगों का पता लगाया जा रहा है।

- लोगों के नौकरी के स्थानों से जानकारी ली जा रही है।

- मंडियों, संस्थाओं सहित संबंधितों को आदेशित किया गया है कि अपने यहां ऐसे लोगों को प्रवेश नहीं दे जिन्होंने पहला डोज नहीं लगाया है। ऐसे में बचे लोग धीरे-धीरे सामने आ जाएंगे।

- वैसे अब जो 40 हजार लोग बचे हैं उसमें भी अधिकांश चलने-फिरने में असमर्थ बुजुर्ग, दिव्यांग या बीमार आदि हैं। उनके मिलने के साथ ही मनोवैज्ञानिक तरीके से समझाइश देकर वैक्सीन लगाई जाएगी। शनिवार को तो 85 वर्ष से अधिक के उम्र के लोगों को घर-घर जाकर वैक्सीन लगाई गई।

…तो फिर घातक व भयावह स्थिति नहीं होगी

प्रशासन की कोशिश यही है कि कैसे भी 100 फीसदी पहला डोज पूरा हो जाए क्योंकि अगर यह नहीं हुआ तो बचे हुए लोगों में से अगर कोई संक्रमित होता रहा तो वह बाकी को भी चपेट में ले लेगा। हालांकि अधिकारी खुद मानते हैं कि फ्लोटिंग पापुलेशन में कुछेक लोगों का छूट जाना संभव है। दूसरा यह कि इसके बाद कभी ऐसे कई युवा हैं जो आगामी दिनों में 18 वर्ष की आयु पूरी करेंगे तो वे भी वैक्सीन के पात्र होंगे। ऐसे में उन्हें पहला डोज लगाना आवश्यक होगा। एससीएस मो. सुलेमान खान पूर्व में ही बता चुके हैं कि वैक्सीन लगाना सुरक्षा कवच तो है साथ ही ऐसे लोगों की भविष्य में क्रिटिकल स्थिति नहीं बनती यानी अस्पताल में भर्ती करने जैसी नौबत नहीं आती।

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