Header Ads Widget

Responsive Advertisement

इंदौर जिले के किसानों को खेतों से खरपतवार नियंत्रित करने की सलाह

इंदौर जिले में कृषि विभाग ने किसानों को सामायिक सलाह देते हुये कहा है कि जिन किसानों ने 10 दिन 15 दिन पहले सोयाबीन की बोनी की है वे अपने खेतों से खरपतवार को नियंत्रित करने के लिये उपाय करें। अनुशंसित विधि को अपनाएं और खरपतवार नाशक दवाईयों का छिड़काव करें। ऐसे किसान जिन्होंने अभी तक सोयाबीन की बोनी नहीं कि उन्हें सलाह दी गई है कि वे गेहरी जुताई करने के पश्चात ही बोनी करें।

      कृषि कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार किसानों से कहा गया है कि वे कृषि कार्य करते समय कोरोना नियंत्रण के लिए सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करे। ऐसे क्षेत्र जहां सोयाबीन की फसल 10-15 दिन की हुई है वहां के किसानों से कहा गया है कि वे खरपतवारों के कारण सोयाबीन फसल के उत्पादन में होने वाले नुकसान को कम करने के लिए फसल को प्रारंभिक 45 दिन खरपतवार मुक्त रखना अत्यंत आवश्यक हैं। यह सलाह दी गई हैं कि किसान अपनी सुविधा अनुसार खरपतवार नियंत्रण की विभिन्न अनुशंसित विधियों (डोरा/कुलपा/हाथ से निंदाई/रासायनिक खरपतवारनाशक) में से किसी एक का प्रयोग करें। सोयाबीन की खड़ी फसल में उपयोगी एवं अनुशंसित खरपतवारनाशकों का उपयोग करें।         

      ऐसे क्षेत्र जहाँ पर सोयाबीन की बोवनी होना है वहां के किसानों से कहा गया है कि उत्पादन क्षमतापकने की अवधि तथा जैविक कारकों के लिए प्रतिरोधक क्षमता के आधार पर विभिन्न समयावधि में पकनेवाली अपने क्षेत्र के लिए अनुशंसित 2-3 किस्मों की बोनी करें। प्रत्येक 3 वर्ष में एक बार जमींन कि गहरी जुताई करने की जाये। इस वर्ष यदि गहरी जुताई नहीं करनी होतो विपरीत दिशाओं में दो बार बक्खर चलाकर खेत को बोवनी हेतु तैयार करे। सलाह दी गई है कि 4-5 वर्ष में एक बार अपने खेत में 10 मीटर के अंतराल पर आड़ी एवं खड़ी दिशा में सब-साईलर चलाये इससे अधोभूमि की कठोर परत को तोड़ने में सहायता मिलती हैजिससे जमीन में नमी का अधिक से अधिक संचयन होता है व सूखे की स्थिति में फसल को सहायता मिलती हैं। अंतिम बखरनी के पूर्व पूर्णतः पकी हुई गोबर की खाद कि अनुशंसित मात्रा 5 से 10 टन या मुर्गी की खाद 2.5 टन प्रति हेक्टेर की दर से फैला दें।  वैश्विक जलवायु परिवर्तन के परिपेक्ष्य में विपरीत मौसमसूखे कि स्थितिअतिवृष्टि आदि से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए सलाह दी गई है कि संभव होने पर सोयाबीन की बोवनी बी.बी.एफ पद्धति या रिज एवं फरोपद्धति से करें। इससे अतिरिक्त पानी का निकास व जल संचयन होने से सूखे की स्थिति में लाभ मिलता है। न्यूनतम 4 इंच वर्षा होने पर ही सोयाबीन कि बोवनी करें जिससे उगी हुई फसल को कम नमी के कारण किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं हों। सोयाबीन की बोवनी हेतु अपने पास उपलब्ध बीज के न्यूनतम 70 प्रतिशत अंकुरण के अनुसार बीज दर का प्रयोग करें। जैसे कि 70 प्रतिशत अंकुरण क्षमता वाले बीज को 70 किलो तथा 55,60.65 या 50 प्रतिशत अंकुरण क्षमता वाले बीज को 18 इंच कतारों की दूरी रखते हुए 90.80.75 या 100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज दर का उपयोग करें।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ