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कपड़ों की उपयोगिता शरीर के लिए है, इनका बहुत ज्यादा प्रदर्शन नहीं करना चाहिए

 

कहानी - कबीर दास जी के प्रवचन सुनने के लिए एक धनी व्यक्ति भी आया करता था। वह कबीर की बातें बहुत ध्यान से सुनता और चिंतन करता था। वह ये जानना चाहता था कि आखिर कबीर की बोली में ऐसा क्या है जो लोग इतने आकर्षित हो जाते हैं।

एक दिन प्रवचन सुनते समय उसकी नजर कबीर दास जी के कुर्ते पर गई तो उसने देखा कि कुर्ता बहुत साधारण कपड़े से बना था। उस धनी व्यक्ति ने विचार किया कि मैं इतने बड़े संत के लिए एक मूल्यवान कुर्ता लाकर देता हूं।

कुछ समय बाद धनी व्यक्ति मखमल का एक कुर्ता लेकर कबीर दास जी के पास पहुंच गया। मखमल के कुर्ते की विशेषता ये थी कि वह एक तरफ तो मुलायम था और दूसरी तरफ साधारण कपड़ा था। मुलायम वाला हिस्सा सभी को दिखाई देता था और साधारण भाग शरीर को स्पर्श करता था। धनी व्यक्ति ने कुर्ता कबीर दास जी को भेंट कर दिया।

अगले दिन प्रवचन शुरू हुए तो कबीर ने मखमल का कुर्ता पहना था, लेकिन उल्टा। मलमल वाला हिस्सा शरीर को छू रहा था और साधारण हिस्सा बाहर दिख रहा था। प्रवचन समाप्त होने के बाद उस धनी व्यक्ति ने पूछा, 'ये आपने क्या किया? कुर्ता ऐसे कैसे पहना है?'

कबीर ने सभी लोगों से कहा, 'ये मूल्यवान कुर्ता इन सज्जन ने ही दिया है।'

सभी लोगों ने पूछा, 'आपने कुर्ता उल्टा क्यों पहना है?'

कबीर ने कहा, 'मैंने विचार किया कि मलमल का भाग शरीर को स्पर्श होना चाहिए, क्योंकि कपड़े तो शरीर के लिए ही हैं। दिखाने के लिए तो साधारण हिस्सा ही काफी है। दूसरों को हमारे कपड़ों से क्या लेना-देना?'

उस धनी व्यक्ति को और अन्य लोगों को ये बात समझ आ गई कि कबीर जो बोलते हैं, उसे अपने जीवन में उतारते भी हैं।

सीख - कबीर ने सभी को समझाया कि वस्त्र मौसम से रक्षा के लिए और अपनी लज्जा को ढकने के लिए पहने जाते हैं। कपड़ों को बहुत ज्यादा दिखावे की चीज नहीं बनाना चाहिए। वस्त्रों की उपयोगिता शरीर के लिए होनी चाहिए, न कि प्रदर्शन के लिए। जब-जब कपड़ों का प्रदर्शन किया जाता है, तब-तब कपड़े अपनी गरिमा और उद्देश्य खो देते हैं।


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