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राज्यपाल पटेल ने कुलपतियों को दिए कड़े निर्देश

 

 राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा है कि कार्य का भाव उसके परिणामों को प्रभावी बनाता है। कार्य यह सोच कर किए जाने चाहिए कि यदि ऐसा मेरे साथ होता तो मुझे कैसा लगता, यह भाव कार्य में संवेदनशीलता लाता है। उन्होंने कहा कि परीक्षा, परिणाम, डिग्री देने के कार्यों में देरी के मामलों में विद्यार्थी की भावनाओं और पेंशन प्रकरण में विलंब पर सेवानिवृत्ति के समय हमें कैसा लगेगा, यदि इसे ध्यान में रख कर कार्य किया जाएगा तो कार्य में  कभी भी विलंब नहीं होगा। उन्होंने सभी कुलपतियों को हिदायत दी है कि छात्र हित के कार्यों में किसी भी प्रकार की लापरवाही और देरी को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। विलंब के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। राज्यपाल पटेल प्रदेश के 10 विश्वविद्यालयों के साथ चर्चा कर रहे थे। चर्चा में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, जीवाजी विश्वविद्यालय, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, विक्रम विश्वविद्यालय, अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय, महाराजा छत्रसाल, विश्वविद्यालय, महर्षि पाणिनी संस्कृत विश्वविद्यालय और छिन्दवाड़ा विश्वविद्यालय के कुलपति उपस्थित थे।

राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि व्यक्ति के कार्य के प्रति भावना बहुत महत्वपूर्ण होती है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण हमारे बच्चों के भविष्य का विषय है। इस सोच के साथ यदि पर्यावरण संरक्षण पर विचार किया जाएगा तो विषय की गंभीरता स्वत: समझ आएगी। उन्होंने कहा कि वृक्षारोपण का कार्य भी जन- सहभागिता के साथ किया जाए तो परिणाम बहुत प्रभावी होते हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि स्कूलों में यदि एक बच्चें को एक पौधे की देख भाल की जिम्मेदारी दी जाती है तो उसमें पौधे के प्रति अपनेपन का भाव आता है। इससे पौधे की देखभाल अच्छी तरह से हो जाती है। उन्होंने कहा कि पौध-रोपण में बड़े पौधों का चयन किया जाना चाहिए। इससे उनकी देखभाल सरल हो जाती है।

राज्यपाल पटेल ने कहा कि प्रदेश के विश्वविद्यालयों में दीक्षांत समारोह पूर्व निर्धारित तिथि पर अनिवार्यत: आयोजित करने की व्यवस्था हो। उन्होंने तिथि निर्धारण के लिए कुलपतियों को निर्देशित किया कि हर विश्वविद्यालय एक महान विभूति के साथ जुड़ा हुआ है। दीक्षांत समारोह का आयोजन उनके जीवन के महत्वपूर्ण प्रसंग के अवसर पर आयोजित करने की व्यवस्था की जाए। उन्होंने विश्वविद्यालयों को स्वच्छता के प्रति सजग और सक्रिय रहने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा है कि विश्वविद्यालय में अध्यनरत विद्यार्थियों को ग्रामीण अंचल में जन-जागृति के कार्यों में भी जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी अध्यादेशों और अधिनियमों का प्रभावी पालन हो, यह सुनिश्चित करना कुलपतियों का दायित्व है। वित्तीय नियंत्रण को प्रभावी बनाने और ऑडिट और एकॉउन्टिंग के  कार्यों में आवश्यकता अनुसार विशेषज्ञ परामर्श की व्यवस्थाएँ भी की जा सकती हैं।

राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि विश्वविद्यालय की शैक्षणिक गुणवत्ता पर ध्यान केन्द्रित किया जाना चाहिए। प्राध्यापकों के रिक्त पदों की पूर्ति के लिए शीघ्र प्रयास किए जाए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा छात्रों को रोजगार उपलब्ध कराने के प्रयासों पर विशेष बल दिया जाना चाहिए। रोजगार मेलों का आयोजन सुनियोजित रणनीति के अनुसार किया जाना चाहिए। मेले में कितने नियोजक आये। नियोजक द्वारा कितनों का चयन रोजगार के लिए किया गया। मेले में शामिल छात्रों की संख्या और नियोजित होने वाले छात्रों का प्रतिशत आदि का विवरण संधारित किया जाना चाहिए। विश्वविद्यालय के निकटवर्ती क्षेत्रों के नियोजको को रोजगार मेलों में शामिल होने के लिए विशेष प्रयास किए जाने चाहिए ताकि छात्रों को घर के निकट ही रोजगार उपलब्ध हो। इसका विवरण भी संधारित किया जाना चाहिए।                

बैठक में विश्वविद्यालयों के कुलपतियों द्वारा विश्वविद्यालय की प्रशासनिक संरचना, शैक्षणिक गतिविधियों शोध, अनुसंधान और नवाचार के कार्यों, विकास के प्रयासों, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन, एकेडमिक कैलेंडर, प्रवेश, परीक्षाओं, परिणामों और डिग्री प्रदान करने संबंधी कार्यों, रिक्त और बैकलॉग पदों की पूर्ति के संबंध में प्रस्तुतिकरण दिया गया।



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