बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि केंद्र सरकार को देश भर में हवाई अड्डों के नामकरण के लिए एक समान नीति तैयार करनी चाहिए और नए नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को इस कार्य को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए।
शुक्रवार को चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस जी एस कुलकर्णी की बेंच वरिष्ठ वकील फिल्जी फ्रेडरिक द्वारा दायर एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें केंद्र को हवाई अड्डों के नामकरण और नाम बदलने के लिए एक समान नीति तैयार करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
शुक्रवार को सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि वह नवी मुंबई में 24 जून को हुए प्रोटेस्ट को नजर अंदाज नहीं कर सकते। उस दौरान तकरीबन 25 हजार लोगों ने कोविड-19 प्रोटोकॉल को तोड़ते हुए नए बनने जा रहे एयरपोर्ट का नाम दिवंगत किसान नेता डी बी पाटिल के नाम पर रखने की मांग की थी। इसमें किसान और मछली व्यवसाय से जुड़े लोग शामिल थे।
यह प्रोटेस्ट महाराष्ट्र सरकार और राज्य द्वारा संचालित नगर नियोजन एजेंसी (CIDICO) द्वारा एयरपोर्ट का नाम शिवसेना के संस्थापक दिवंगत बाल ठाकरे के नाम पर रखने की घोषणा के बाद हुआ था।
2016 में नाम बदलने को लेकर बना था एक मसौदा
अदालत ने कहा कि 2016 में नाम बदलने को लेकर एक मसौदा तैयार हुआ था, जिसमें शहरों के नाम पर हवाई अड्डों का नाम रखने का प्रस्ताव था, न कि व्यक्तियों के नाम पर। हालांकि, ऐसी नीति की वर्तमान स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है। बेंच ने केंद्र सरकार के वकील अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह से कहा, 'हम नाम बदलने के मसौदे की वर्तमान स्थिति जानना चाहेंगे?'
अदालत ने आगे कहा, ‘‘यदि कोई नई नीति अभी भी ड्राफ्ट स्तर पर है, तो इसे अभी पूरा करें। आपके पास अभी नए-नए बने मंत्री हैं। नए विमानन मंत्रालय को यह काम करने दीजिए। यह नए एविएशन मिनिस्टर का पहला कार्य होना चाहिए।’’
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