Header Ads Widget

Responsive Advertisement

कभी-कभी बड़े सामाजिक काम करने के लिए दान मांगना पड़ता है, लेकिन लेने वाले की नीयत अच्छी होनी चाहिए

 

कहानी - आचार्य विनोबा भावे भूदान आंदोलन में लगे हुए थे। इस आंदोलन का उद्देश्य था, जिन जमींदारों के पास ज्यादा जमीन है, वो भूदान करें यानी वे अपनी जमीन दान में दे दें। ताकि जिन लोगों के पास आजीविका का कोई साधन नहीं है, उनका काम दान में दी हुई जमीन से चल सके।

विनोबा भावे गांव-गांव घूमते और बड़े लोगों से मिलते थे और इस आंदोलन को आगे बढ़ा रहे थे। एक बहुत बड़ा जमींदार था, उसको सूचना मिली कि विनोबा मिलने आने वाले हैं। उसने विनोबा से मिलने के लिए मना कर दिया। ऐसा उसने कई बार किया।

उस जमींदार के मिलने-जुलने वाले लोगों ने उससे पूछा, 'आप विनोबा भावे से मिलने के लिए मना क्यों कर देते हैं?'

जमींदार बोला, 'वो मुझसे मिलने आएंगे तो जमीन मांगेंगे जो मैं देना नहीं चाहता। मेरा मन नहीं है जमीन दान करने का।'

लोगों ने कहा, 'जमीन देने से मना कर देना। आपको जमीन नहीं देना है, ये आपका अधिकार है। उनसे मिल तो लो।'

जमींदार बोला, 'बस यही तो दिक्कत है। जब विनोबा सामने होते हैं तो वे बहुत ही सहजता, सरलता और प्रेम से जमीन मांगते हैं, मैं तो क्या कोई भी उन्हें मना नहीं कर सकता है। मैं जानता हूं कि मुझे उन्हें जमीन देनी ही पड़ेगी।'

ये बात विनोबा भावे तक पहुंची। उन्होंने मुस्कान के साथ कहा, 'बस यहीं से अपना काम हो गया। जो व्यक्ति ये मान चुका है कि जमीन देना अच्छी बात है और किसी संकोच की वजह से जमीन नहीं दे रहा है तो वह हमारी सरलता और हमारे प्रेम को देख संकोच तोड़ सकता है।'

सीख - विनोबा का चरित्र हमें ये बात समझाता है कि जीवन में जब भी कोई बड़ा सामाजिक काम करना हो तो दूसरों से दान मांगना पड़ता है। मांगने वाले की नीयत, उसका चरित्र और व्यवहार अच्छा होगा तो धनी लोग प्रसन्नता के साथ दान करेंगे। दान देने वाले वाले व्यक्ति की इच्छा होती है कि उनके धन का उपयोग सही जगह होना चाहिए। दान लेने वाले का चरित्र अच्छा होगा तो दान में मिले धन का इस्तेमाल सही तरीके से होता है।




एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ