इंदौर के विजय नगर में शराब ठेकेदार अर्जुन ठाकुर पर फायरिंग मामले में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। गोलीकांड का मकसद छोटे ठेकेदारों को डराना था, ताकि वे डर जाएं और अपना हिस्सा न मांगे। इंदौर में छोटे-बड़े 32 ठेकेदारों ने मिलकर 980 करोड़ में शराब दुकानों का ठेका लिया है। इसमें 30% हिस्सा छोटे ठेकेदारों का है। बड़े ठेकेदार मुनाफा नहीं देना चाहते हैं, इसलिए सिंडिकेट पर कब्जा करने के लिए गैंगवार की स्थिति बनी है।
घटना के बाद फरियादी के बयानों के आधार पर पुलिस ने आरोपियों पर 10 हजार का इनाम घोषित किया है। आरोपियों के अवैध संपत्तियों की जानकारी भी निकाली जा रही है। पुलिस पूरी घटना के साक्ष्य जुटाने में लगी है, वहीं आरोपियों की धरपकड़ के लिए टीमें रवाना हो चुकी हैं।
यह है शराब का पूरा खेल
पिछले साल शराब ठेकेदारों को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ था। इंदौर के बड़े शराब माफिया पिंटू भाटिया ने इस घाटे को रिकवर करने के लिए रमेश चंद्र राय और मनोज नामदेव को सिंडिकेट में शामिल किया। इस सिंडिकेट में 32 अलग-अलग पार्टनर हैं, जिन्होंने 980 करोड़ रुपए में इंदौर जिले का ठेका लिया है। इनमें पिंटू भाटिया 25%,रमेश चंद्र राय 25%, मनोज नामदेव 11% और अर्जुन ठाकुर 7% का पार्टनर हैं। बाकी अन्य छोटे शराब ठेकेदार हैं जो दो से तीन प्रतिशत की पार्टनरशिप में इस सिंडिकेट से जुड़े हुए हैं।
छोटे ठेकेदारों को क्यों हटाना चाहते हैं?
सूत्र बताते हैं कि पिछले वर्ष शराब दुकानों में घाटा होने के बाद 6% व 7% के हिस्सेदार रिंकू भाटिया और मोनू भाटिया ने अपना शेयर हटा लिया था। इसके बाद इंदौर की व्यवस्था गड़बड़ा गई थी। इंदौर में व्यवसाय ठप होने लगा था, जिसके बाद पिंटू भाटिया ने शराब के सप्लायर एके सिंह, झाबुआ के अल्पेश और धार के नन्हे सिंह को इस शराब सिंडिकेट से जोड़ा था। वर्तमान सिंडिकेट में बड़े नामों का हिस्सा लगभग 70% है, वहीं छोटे ठेकेदारों का 30% है। छोटे ठेकेदारों को मुनाफा ना देना पड़े, इस कारण से एक बार डराकर सभी बड़े पार्टनर इस पूरे सिंडिकेट पर कब्जा करना चाहते थे।
जिसे गोली मारी गई, उसके पिता ने शुरू किया था सिंडिकेट
इंदौर में सिंडिकेट का काम शुरू करने वाले अर्जुन ठाकुर (जिसे गोली मारी गई) के पिता वीरेंद्र ठाकुर थे। कुछ वर्षों पहले वीरेंद्र ठाकुर और नागेंद्र ठाकुर शराब किंग कहे जाते थे। नागेंद्र ठाकुर की मौत के 11 माह बाद ही वीरेंद्र ठाकुर की ही मौत हो गई थी। इसके बाद शराब का पूरा काम काज अर्जुन ठाकुर ही संभाल रहे हैं।
पिता की तस्वीर फेंकने के बाद हुआ विवाद
सूत्रों की मानें तो गांधीनगर नवदा पंथ सर्कल की शराब दुकान की देखरेख अर्जुन ठाकुर करता था। सोमवार सुबह इस दुकान का चार्ज अर्जुन से लेने के लिए हेमू ठाकुर अपनी टीम के साथ पहुंचा था। यहां हेमू ठाकुर के एक साथी ने दुकान में घुसते से ही वहां लगी वीरेंद्र ठाकुर (अर्जुन के पिता) की फोटो बाहर फेंक दी। इस बात की जानकारी अर्जुन ठाकुर को लगी और उसने हेमू ठाकुर को फोन लगाकर कहा कि अंकल.. आपने मेरे पापा की फोटो बाहर क्यों फेंक दी, जिस पर दोनों में कहासुनी हुई।
यह जानकारी सिंडिकेट के बड़े पार्टनर एके सिंह और पिंटू भाटिया को लगी। पिंटू भाटिया ने अर्जुन को फोन कर सिंडिकेट ऑफिस में बुलाया और कहा कि बैठ कर बात करेंगे। इसके बाद अर्जुन ठाकुर अपने साथियों के साथ विजय नगर थाना क्षेत्र स्थित सिंडिकेट ऑफिस पर पहुंचा। बाद में हेमू ठाकुर और उसके अन्य साथी आए थे।
सूत्र बताते हैं कि हेमू ठाकुर और उसके साथियों का प्लान था कि केबिन में घुसते ही हवाई फायर करना है, लेकिन आमना-सामना होते ही बहस बढ़ गई और पहले से ही मौजूद गैंगस्टर ने हवाई फायरिंग कर दी। इसमें एक गोली जमीन पर और दूसरी छत पर चलाई गई थी। वह दोनों लौटकर अर्जुन को जा लगी।
केबिन में बैठे थे सभी पार्टनर
सूत्रों की मानें तो सिंडिकेट ऑफिस में एके सिंह, पिंटू भाटिया, अंशुमन, अर्जुन ठाकुर, महेश राय, मुकेश शिवहरे, आशीष चौकसे, हेमू ठाकुर और चिंटू ठाकुर सहित दो गैंगस्टर भी मौजूद थे।
डराने के लिए चलाई थी गोलियां
सूत्र बताते हैं कि यह गोलीकांड छोटे ठेकेदारों को डराने के लिए किया गया था। गोली चलाने वाले को यह नहीं मालूम था कि गोली जाकर अर्जुन ठाकुर को लग जाएगी। अर्जुन ठाकुर अन्य लोगों को डराने के लिए तीन फायर किए गए, जिसमें एक गोली जमीन और दूसरी गोली छत से टकराकर अर्जुन को लगी है।
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