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पहली बार ओलिंपिक खेलेंगे मप्र के गांव के खिलाड़ी:72 साल बाद भारतीय दल में एक साथ प्रदेश के दो खिलाड़ी, हॉकी में मिडफील्डर विवेक सागर और शूटर ऐश्वर्य प्रताप

 

विवेक इटारसी से 13 किमी दूर शिवनगर चांदौन से और ऐश्वर्य खरगोन से 70 किमी दूर झिरना तहसील के गांव रतनपुर से हैं और दोनों ही किसान परिवार से हैं।
  • इससे पहले 1948 में भाेपाल से लतीफउर रहमान और अख्तर हुसैन एक साथ चुने गए थे भारतीय दल में

जापान के टोक्यो में 23 जुलाई से ओलिंपिक खेला जाना है। इसमें 88 भारतीय खिलाड़ी हिस्सा लेने पहुंच चुके हैं। इनमें दो खिलाड़ी मप्र से हैं। हॉकी टीम में मिडफील्डर विवेक सागर प्रसाद और शूटिंग में ऐश्वर्य प्रताप सिंह तोमर। दोनों ही गांव से निकले हैं।

विवेक इटारसी से 13 किमी दूर शिवनगर चांदौन से और ऐश्वर्य खरगोन से 70 किमी दूर झिरना तहसील के गांव रतनपुर से हैं और दोनों ही किसान परिवार से हैं। ओलिंपिक इतिहास के 124 साल में ऐसा पहली बार हुआ है जब भारतीय दल में मप्र के गांव के दो खिलाड़ी हैं। 72 साल बाद मप्र के एक साथ दो खिलाड़ी ओलिंपिक दल में हैं। इससे पहले 1948 ओलिंपिक में भारतीय टीम में भोपाल से लतीफउर रहमान, अख्तर हुसैन चुने गए थे। विवेक और ऐश्वर्य दाेनों ने अपने खेल को खेल एवं युवा कल्याण विभाग भोपाल द्वारा संचालित मप्र अकादमियों में संवारा है।

ऐश्वर्य को बचपन से बंदूक पसंद थी, जब भी मेला जाता, बंदूक ही खरीदता था

ऐश्वर्य टोक्यो में 10 मीटर रायफल में चुनौती पेश करेंगे। उनके नाम वर्ल्ड रिकाॅर्ड के साथ गोल्ड मैडल है। उनके पिता वीर बहादुर सिंह तोमर किसान हैं। उनकी करीब 70 बीघा जमीन है। वे बताते हैं कि ऐश्वर्य गांव से दूर जब शहर या मेला जाता था, तब खिलौने के रूप में वह बंदूक ही खरीदवाता था। उसके कॅरियर की शुरुआत में उसकी बुआ के लड़के नवदीप राठौड़ का विशेेष योगदान है। उसी के कहने पर 2014 में ऐश्वर्य मप्र शूटिंग अकादमी भोपाल में ट्रायल देने आया था। पहले साल चुना नहीं गया। दूसरे साल यानी 2015 में अकादमी में चुन लिया गया।

विवेक- पढ़ाई नहीं करना पड़े इसलिए छिपकर हॉकी खेलने भाग जाता था

विवेक इटारसी से 13 किलोमीटर दूर गांव चांदौन से है। यह गांव वैसे तो ताकू प्रूफ रेंज के करीब है। यहां पर गोला बारूद की टेस्टिंग होती है। इस गांव में अधिकतर डिफेंस के लोग रहते हैं। इसी गांव में एक छोटा सा मैदान भी है। पढ़ाई ना करना पड़े इसलिए विवेक इसी मैदान पर अपने दोस्तों के साथ खेलने में मस्त रहता था। जबकि पिता चाहते थे कि वह पढ़ाई करे। विवेक के पिता रोहित प्रसाद गांव के प्राथमिक स्कूल में टीचर हैं और थोड़ी सी खेती भी है। एक बार वह बगैर बताए इटारसी खेलने आ गया। यहां पर उसने अपने खेल से सभी को प्रभावित किया। इसके बाद वह इटारसी की ही टीम से खेलने लगा।


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