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51% पैसा खर्च, काम 20 फीसदी भी नहीं:1640 करोड़ की इंदौर-दाहोद लाइन पर 847 करोड़ खर्च, 200 किमी लाइन के 37 किमी में काम हुआ, वह भी अधूरा

 

इंदौर-दाहोद नई रेल लाइन - Dainik Bhaskar
इंदौर-दाहोद नई रेल लाइन
  • अतरिक्त राशि स्वीकृत हो गई लेकिन रेलवे अफसरों के पास काम शुरू करने का प्लान ही नहीं

महू-खंडवा-अकोला गेज कन्वर्जन के लिए 85 करोड़ और इंदौर-दाहोद नई लाइन प्रोजेक्ट के लिए रेलवे ने 70 करोड़ रुपए की अतिरिक्त राशि दी है। महू-खंडवा-अकोला प्रोजेक्ट के लिए कुल 350 करोड़, जबकि दाहोद प्रोजेक्ट के लिए 90 करोड़ रुपए मिल चुके हैं, लेकिन रेलवे स्पष्ट नहीं कर पा रहा है कि कब वह काम दोबारा शुरू कर पाएगा। दोनों प्रोजेक्ट सालभर से ज्यादा समय से होल्ड हैं। यहां तक कि कॉन्ट्रेक्ट भी शॉर्ट टर्मिनेट कर दिए गए हैं।

अब रेलवे को इन प्रोजेक्ट के लिए नए सिरे से टेंडर करना होंगे। स्थिति यह है कि इंदौर-दाहोद लाइन पर 1640 करोड़ में से 847 करोड़ खर्च कर दिए हैं। यानी प्रोजेक्ट की 51 फीसदी राशि खर्च हो चुकी है। इसके बावजूद 200.97 किमी लंबी लाइन पर 13 साल में सिर्फ 37 किमी हिस्से में काम हुआ है, वह भी अधूरा। बस इंदौर-टिही के बीच 21 किमी में काम पूरा हो पाया है। दूसरी ओर दाहोद से कठवाड़ा के बीच 16 किमी हिस्से में काम चल रहा है। यह प्रोजेक्ट 2008 में शुरू हुआ था। तीन साल में प्रोजेक्ट पूरा होना था।

रतलाम-इंदौर-महू-अकोला गेज कन्वर्जन

  • स्वीकृत हुआ: 2008 में 5912 करोड़ कुल लागत
  • 2231 करोड़ अब तक खर्च
  • 472.64 किमी का गेज कन्वर्जन होगा। 276 किमी में काम पूरा। ट्रेनों की आवाजाही शुरू।
  • ये काम हुआ: रेलवे ने अब तक रतलाम से इंदौर, इंदौर से महू का काम पूरा कर दिया। अकोला से खंडवा, खंडवा से ओंकारेश्वर के बीच भी काम जारी।
  • वर्तमान स्थिति: महू के आगे घाट सेक्शन के काम के लिए रेलवे ने अभी तक प्लानिंग नहीं की है। सर्वे ही चल रहा है।

इंदौर-दाहोद नई रेल लाइन...

  • स्वीकृत हुआ: 2008 में
  • 1640 करोड़ रुपए कुल लागत
  • 847 करोड़ रुपए अब तक खर्च
  • ये काम हुआ... कुल 200.97 किमी में से इंदौर-टिही के बीच 21 किमी में ही काम पूरा। दाहोद से कठवाड़ा के बीच 16 किमी में काम जारी। टीही के आगे तीन किमी की टनल अटकी है।
  • वर्तमान स्थिति...कॉन्ट्रेक्ट शॉर्ट टर्मिनेट। काम बंद पड़ा है।

ये कैसी रफ्तार : 13 साल में डिजाइन ही तय नहीं
महू-खंडवा-अकोला गेज कन्वर्जन में महू के आगे घाट सेक्शन के लिए डिजाइन ही फाइनल नहीं हो पाई है। घाट के लिए 25 साल में तीन बार सर्वे हो चुका है। जेडआरयूसीसी मेंबर अजीतसिंह नारंग ने रेलवे जीएम को पत्र भी लिखा है कि 13 साल में सर्वे, प्लानिंग, डिजाइनिंग, जमीन अधिग्रहण नहीं होे सका, जबकि 145 साल पहले अंग्रेजों ने 5 साल में लाइन बिछा दी थी। यही स्थिति रही तो 10 साल में काम पूरा नहीं होगा।

एक्सपर्ट : देरी पर हर साल 10 से 15 फीसदी बढ़ेगी लागत
रेलवे पैसेंजर एमीनिटीज कमेटी के पूर्व सदस्य नागेश नामजोशी कहते हैं कि इन दोनों प्रोजेक्ट को बजट भले मिल गया, लेकिन कॉन्ट्रेक्ट शॉर्ट टर्मिनेट होने से कॉन्ट्रेक्टर मशीनरी भी वापस ले गए। काम शुरू करने के लिए दोबारा टेंडर करना होंगे। रेलवे को इंदौर-दाहोद प्रोजेक्ट में टनल काम अधूरा छोड़ने के बजाय धार तक लाइन जोड़ देना था। देरी होने से हर साल प्रोजेक्ट की लागत 10-15 फीसदी तक बढ़ती जा रही है।

सीधी बात- विनीत गुप्ता, DRM
इंदौर-दाहोद, महू-खंडवा के बीच काम के टेंडर जल्द जारी करेंगे

इंदौर-दाहोद, महू-अकोला के काम अतिरिक्त बजट के बाद भी क्यों रुके हैं? - अब आगे के काम के लिए जल्द टेंडर जारी करेंगे। पुराने टेंडर शॉर्ट टर्मिनेट हैं।

कब तक टेंडर जारी होंगे? - जल्द टेंडर जारी कर काम शुरू करवाएंगे। कंस्ट्रक्शन डिपार्टमेंट से भी बैठक करेंगे।

महू के आगे घाट सेक्शन का सर्वे ही पूरा नहीं कर पाए हैं अब तक? - सर्वे हो चुका है। जल्द डिजाइन फाइनल करेंगे। पहले घाट के आगे काम शुरू कर देंगे।

इंदौर-दाहोद पर आधे से ज्यादा राशि खर्च हो गई, काम सिर्फ 37 किमी में? - बड़ी राशि जमीन अधिग्रहण पर खर्च हुई है।

ये हैं प्रोजेक्ट के जिम्मेदार अधिकारी
पश्चिम रेलवे के सीएओसी (चीफ एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर कंस्ट्रक्शन) सुधांशु शर्मा से जब प्रोजेक्ट होल्ड करने पर सवाल पूछे तो उन्होंने कुछ भी कहने से मना कर दिया।

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