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कागजों में स्मार्ट!:टीटी नगर को ‘स्मार्ट’ बनाने तोड़े 559 मकान, 100 दुकानें हटाईं, लेकिन 6 साल बाद भी ज्यादातर प्रोजेक्ट आधे-अधूरे

कागज पर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में भोपाल देश में दूसरे और प्रदेश में पहले स्थान पर है। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। - Dainik Bhaskar
कागज पर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में भोपाल देश में दूसरे और प्रदेश में पहले स्थान पर है। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है।
  • 3440 करोड़ का स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट, इसमें से 1948 करोड़ रु. के प्रोजेक्ट...काम चालू है...मोड में
  • 2015 में आज ही के दिन शुरू हुआ था स्मार्ट सिटी मिशन

आज से ठीक छह साल पहले 25 जून 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्मार्ट सिटी मिशन की घोषणा की थी। भोपाल उन पहले दस शहरों में शामिल था जिन्हें स्मार्ट सिटी के लिए चुना गया था। केंद्र और राज्य सरकार ने पांच साल तक भोपाल को 100-100 करोड़ यानी कुल 1000 करोड़ रुपए दिए।

यह राशि लगभग पूरी खर्च भी हो गई। प्लॉट बेचकर राजस्व जुटाने की स्कीम बनाकर भोपाल को स्मार्ट बनाने के लिए 1948 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट हाथ में ले लिए गए। 342 एकड़ में टीटी नगर स्मार्ट सिटी के लिए 2070 करोड़ खर्च होना है। इनमें से 1061 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट्स पर काम शुरू हुआ। इसके लिए 559 मकान खाली कराए, 100 दुकानें हटाईं लेकिन अब यहां बुलेवर्ड स्ट्रीट को छोड़कर कोई भी पूरा नहीं हुआ। यानी 6 साल बाद भी यह वीरान है। कागज पर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में भोपाल देश में दूसरे और प्रदेश में पहले स्थान पर है। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है।

उलझन में थे प्रोजेक्ट... पिछले एक साल में इन्हें ही सुलझाया

भोपाल में स्मार्ट सिटी के कई प्रोजेक्ट अलग-अलग कारणों से उलझे हुए थे। पिछले एक साल में हमने इन उलझनों को निपटाया। कचरा ट्रांसफर स्टेशन बनाए। स्मार्ट रोड, स्मार्ट पार्क और बुलेवर्ड स्ट्रीट को चालू कराया। गवर्नमेंट हाउसिंग भी अलॉटमेंट की स्थिति में है। टीटी नगर में हम पौधरोपण शुरू कर रहे हैं। - वीएस चौधरी कोलसानी, ईडी , स्मार्ट सिटी (नगर निगम कमिश्नर)

अधूरे और लेट हुए प्रोजेक्ट्स की लिस्ट लंबी है

  • 27 करोड़ की स्मार्ट रोड पर डेडलाइन बीतने के 3 साल बाद ट्रैफिक शुरू हो गया, लेकिन फुटपाथ व साइकिल ट्रैक पर अतिक्रमण है।
  • 40 करोड़ की बुलेवर्ड स्ट्रीट डेडलाइन से दो साल बाद शुरू हो पाई। यहां दूसरी सड़कों से आधा ही ट्रैफिक है।
  • 175 करोड़ रुपए से 18 किमी की अन्य सड़कों का निर्माण धीमी गति से चल रहा है। ये सितंबर 2020 तक बन जाना थीं।
  • 42 करोड़ के अधूरे कमर्शियल काॅम्प्लेक्स को स्मार्ट सिटी कंपनी बेचना चाहती है, लेकिन कोई खरीददार नहीं मिल रहा।
  • 39 करोड़ के आर्च ब्रिज के लिए कंपनी के बजट से भुगतान हुआ। ट्रैफिक शुरू होने के बाद किलोल पार्क पर जाम की समस्या।
  • 200 करोड़ के गवर्नमेंट हाउसिंग फेज-1 प्रोजेक्ट का 6वां टॉवर नाले को डायवर्ट करके बनाया जा रहा है।
  • 525 करोड़ के गवर्नमेंट हाउसिंग प्रोजेक्ट फेज-2 और फेज-3 का काम ठप हो गया है। इसे सितंबर 2020 में पूरा होना था।
  • 180 करोड़ से महालक्ष्मी परिसर बीडीए के 551 फ्लैट तैयार, लेकिन अभी अलॉटमेंट का इंतजार।
  • 31 करोड़ की लागत से स्मार्ट दशहरा मैदान नवंबर 2019 में पूरा होना था, पर काम बहुत धीमी गति से चल रहा है।
  • 41 करोड़ के वाटर स्काडा सिस्टम को बजट की कमी के कारण केवल नर्मदा प्रोजेक्ट तक सीमित किया जा रहा है।
  • 6 करोड़ की स्मार्ट स्ट्रीट का काम अधूरा है, 400 करोड़ में पीपीपी पर स्मार्ट पोल भी स्ट्रीट लाइट के खंभे बनकर रह गए हैं।
  • 7 एकड़ में बुलेवर्ड स्ट्रीट के दोनों ओर प्लॉट बेचकर 1500 करोड़ जुटाने को भी बहुत अधिक रिस्पांस नहीं मिला।

ये काम अब तक हुए

  • 27करोड़ के आईटीएमएस से ट्रैफिक मैनेजमेंट हो रहा है
  • 55 करोड़ से 11 कचरा ट्रांसफर स्टेशन बनाए।
  • 17करोड़ का आईसीसीसी, कोरोना कॉल सेंटर यहीं बना
  • 09 करोड़ का स्मार्ट पार्क तैयार हो गया है
  • 50 करोड़ की एमपी नगर मल्टीलेवल पार्किंग बनाई गई
  • 36 करोड़ की टीटी नगर की मल्टीलेवल पार्किंग।

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