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कोरोना :इंजेक्शन-बेड के बाद जलाऊ लकड़ी की डिमांड बढ़ी वन विभाग ने जारी किया अलर्ट

 


  • कोरोना से होने वाली मौतों की वजह से कई गुना बढ़ी जलाऊ लकड़ी की खपत, वन विभाग ने जारी किया अलर्ट

कोरोना महामारी ने हर तरफ हाहाकार मचा रखा है। इसकी वजह से अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन, जरूरी दवाओं और इंजेक्शन की कमी पिछले एक महीने से जारी है। लेकिन अब मौतों का ग्राफ जिस तेजी से बढ़ा है, उसके कारण जलाऊ लकड़ी की डिमांड भी बढ़ गई है।

इसी के चलते वन विभाग अलर्ट मोड पर है, और लोगों के अंतिम संस्कार में लकड़ियों की कमी न हो इसके लिए मंडला-िडंडौरी के जंगलों से सैकड़ों टन जलाऊ लकड़ियाँ बुलवाकर जबलपुर के उपडिपो में संग्रहण किया गया है। वन विभाग के सूत्रों की मानें तो आम दिनों की तुलना में अंतिम संस्कार के लिए वर्तमान में जलाऊ लकड़ियों की खपत कई गुना बढ़ गई है। इसी वजह से वन विभाग के अफसरों ने वन नाकों में लकड़ियों के वाहनों पर सिर्फ औपचारिक चैकिंग के निर्देश दिए हैं।

विदित है कि जबलपुर वन विभाग व्यावसायिक उपयोग के साथ जलाऊ और अन्य कार्यों में उपयोग होने वाली लकड़ियों की पूर्ती के लिए मंडला, डिंडौरी जैसे बड़े डिपो में जंगलों से एकत्रित होने वाली लकड़ियों को एकत्रित करके सालाना निविदा के जरिए विक्रय करता है।

जबलपुर जिले की सिहोरा, कुंडम, पाटन, शहपुरा, पनागर और बरगी जैसे उपडिपो के जरिए इनका बंटवारा किया जाता है। लेकिन वर्ष 2020 में कोरोना महामारी की शुरुआत के बाद लकड़ी के विक्रय पर रोक लगा दी गई थी।

अक्टूबर 2020 के बाद हालात सामान्य होने पर ये कार्य दोबारा शुरू हुआ था, लेकिन इस वर्ष एक बार फिर कोरोना की दूसरी लहर आने के बाद लकड़ियों के विक्रय पर रोक लगी हुई है। अब लगातार हो रही मौतों को देखते हुए वन विभाग ने जलाऊ लकड़ियों को आवश्यक वस्तुओं में शामिल करके इनके परिवहन और विक्रय पर नए नियमों के तहत काम शुरू कर दिया है।

वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए पूर्व में ही मंडला-डिंडौरी के बड़े डिपो से जबलपुर वन मंडल की सभी रेंजों में मौजूद उपडिपो में पर्याप्त मात्रा में जलाऊ लकड़ियों का संग्रहण कर लिया गया है।
महेन्द्र खरे, एसडीओ वन विभाग

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