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इंदौर में प्लाज़्मा डोनेशन के लिए चलेगा अभियान

इंदौर कोरोना संक्रमण से जूझ रहा है और पूरी शिद्दत के साथ इसका मुक़ाबला भी कर रहा है। ऐसे  में कोरोना को हराने के लिए प्लाज़्मा थैरेपी को भी बढ़ावा दिया जाएगा। कोरोना के जो मरीज़ ठीक हुए हैं उनसे सम्पर्क कर प्लाज़्मा डोनेशन के महत्व से अवगत कराया जाएगा। ऐसे डोनर अनेक जिंदगानी बचा सकते हैं। संभागायुक्त डॉ. पवन कुमार शर्मा ने इस आशय की पहल करते हुए एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा इंदौर में प्लाज़्मा डोनेशन का अभियान शुरू करने की रणनीति बनायी। उन्होंने कहा कि दिल्ली और मुम्बई में तो टोसी जैसे इंजेक्शन की कम ज़रूरत पड़ी है, क्योंकि वहाँ पर प्लाज़्मा का तुलनात्मक रूप से अधिक उपयोग हुआ है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि स्वयं उनके पिताजी को, जब वे कोविड पॉज़िटिव हुए, भी प्लाज़्मा के कारण जीवन रक्षा में महत्वपूर्ण मदद मिली थी। इस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में आयुक्त नगर निगम सुश्री प्रतिभा पाल, डीन मेडिकल कॉलेज डॉ. संजय दीक्षित, मेडिकल कॉलेज के प्लाज़्मा प्रभारी डॉ. अशोक यादव, वरिष्ठ पत्रकार श्री अमित मंडलोई सहित अन्य संबंधित व्यक्ति उपस्थित थे।

         वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में बताया गया कि प्लाज़्मा डोनेशन में वही शर्तें निर्धारित रहती है जो रक्तदान के लिए आवश्यक रहती है। डोनर की आयु 18 वर्ष से अधिक और 60 वर्ष से कम होना चाहिए। उसे कोई पुरानी गंभीर बीमारी नहीं होनी चाहिए। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में डॉक्टर अशोक यादव ने बताया कि इंदौर में प्लाज़्मा लेने के लिए उम्दा गुणवत्ता की मशीनें उपलब्ध हैं। डोनर से 400 से 500 एमएल प्लाज़्मा लिया जाता है। जो कि दो व्यक्तियों को डोज देने के लिए पर्याप्त रहता है।

      वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में आयुक्त नगर निगम सुश्री प्रतिभा पाल ने उन परस्थितियों का ज़िक्र किया जिनके कारण कोई डोनर प्लाज़्मा डोनेशन में हिचकिचाहट रखता है। उन्होंने बताया कि प्रायः डोनर हॉस्पिटल नहीं आना चाहता साथ ही वर्तमान परिस्थितियों में प्लाज़्मा डोनेशन के लिए एक सुरक्षित वातावरण भी चाहता है। संभागायुक्त डॉ. पवन शर्मा ने व्यवस्था बनाते हुए निर्देश दिए कि हम ऐसे व्यक्ति जो प्लाज़्मा डोनेट करना चाहते हैं उनसे नगर निगम की टीम एवं स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा संपर्क करेंगे और उनकी काउंसलिंग करेंगे। डोनेशन के लिए तैयार होने पर हम उनके घर में पैरामेडिकल स्टाफ़ भेज कर एंटीबॉडी की जाँच करेंगे इसके बाद एक बेहद सुरक्षित स्थल और वातावरण में उसे प्लाज़्मा डोनेशन के लिए बुलाया जाएगा। जिस स्थान पर प्लाज़्मा डोनेशन होगा वहाँ पर उसके लिए ग्रीन कॉरिडोर भी बनाया जाएगा ताकि डोनर स्वयं को सुरक्षित महसूस कर सके।

       वरिष्ठ पत्रकार श्री अमित मंडलोई ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में कहा कि ऐसे डोनर जो प्लाज़्मा देने के लिए हास्पिटल में नहीं आना चाहते हैं उन्हें हम विकल्प भी दें। इंदौर में हमारे पास प्लाज़्मा डोनेशन के लिए एक बड़ी संख्या उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि जिन व्यक्तियों ने पहले प्लाज़्मा डोनेट किया है और जिनके कारण किसी की जान बची है ऐसी प्रेरक कहानियों को समाज के सामने लाया जाना चाहिए। डीन मेडिकल कॉलेज डॉ. संजय दीक्षित ने कहा कि हमारे पास कोविड से ठीक हो चुके मरीज़ों का डाटाबेस उपलब्ध है हम उनसे सम्पर्क कर प्लाज़्मा डोनेशन के लिए प्रेरित करेंगे।

          संभागायुक्त डॉक्टर पवन शर्मा ने कहा कि हम आज से ही यह अभियान प्रारंभ करेंगे।  मेडिकल कॉलेज में 30 अप्रैल को पहला कैंप लगाया जाएगा। यह पीड़ित मानवता को बचाने का अभियान है। संभागायुक्त डॉ. शर्मा ने सभी संभावित प्लाज़्मा डोनर से इस अभियान से जुड़ने की अपील की।  उन्होंने कहा कि प्लाज़्मा डोनेशन के लिए हास्पिटल में रहकर ठीक होने वाले मरीज़ पहली प्राथमिकता में रहेंगे। इसके बाद लक्षणयुक्त मरीज़ और उसके बाद आलाक्षणिक मरीज़ जो ठीक हुए हैं उन्हें वरीयता में रखा जाएगा। डॉं शर्मा ने कहा कि हम सभी आशंकाओं और बाधाओं से परे जाकर इस अभियान को इंदौर के उस जज्बे के साथ सफल बनाएंगे जिस जज्बे ने इंदौर को देश में स्वच्छता के क्षेत्र में प्रतिष्ठा प्रदान की है।

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